रामविलास पासवान अक्सर अपने छोटे भाई पशुपति कुमार पारस को अपना ‘मैनेजर’ और अपने सबसे छोटे भाई, राम चंद्र पासवान को अपना “बेटा” कहते थे, दोनों के बीच 15 साल का अंतर था।
लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। जिसके बाद पार्टी बिखरती नज़र आ रही है। लोजपा के संरक्षक जब तक उनके हाथ में कमान रही तब तक पासवान परिवार में किसी ने भी पार्टी तोड़ने या उनके खिलाफ जाने की कोशिश नहीं की।
पासवान से पत्रकारों ने जब भी परिवारवाद पर सवाल किया वे हस्ते हुए कहते थे कि “वो मतदाता ही हैं जो हमें चुनते हैं। चुनाव में जीत ही एकमात्र कारक है।” बिहार वंशवाद की राजनीति में हमेशा से रहा है। लालू यादव और उनका परिवार 44 वर्षों से राजनीति कर रहा है। वहीं लोजपा के छह सांसदों में से तीन पासवान हैं। जमुई के सांसद चिराग पासवान, हाजीपुर के सांसद पशुपति कुमार पारस और समस्तीपुर के सांसद प्रिंस राज हैं।
रामविलास पासवान अक्सर अपने छोटे भाई पशुपति कुमार पारस को अपना ‘मैनेजर’ और अपने सबसे छोटे भाई, राम चंद्र पासवान को अपना “बेटा” कहते थे, दोनों के बीच 15 साल का अंतर था। तीनों भाइयों में अच्छी ट्यूनिंग थी। इस बात का अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि जब भी पासवान दिल्ली से अपने घर वापस आते थे। पारस रसोई का कार्यभार संभालते थे और वे तय करते थे कि “बड़े साहब” के लिए क्या पकाया जाएगा।
तीनों भाई एक दूसरे के बेहद करीब थे। रामविलास पासवान हमेशा अपने छोटे भाइयों को साथ लेकर चलते थे। इसके चलते उन पर अक्सर एक आरोप लगता था कि एलजेपी एक परिवार की पार्टी है। आलोचक अक्सर नेपोटिस्म की बात करते हुए इसे ‘भाई-भतीजावाद’ कहते हैं।
अब लोजपा के दो पासवान- पशुपति कुमार पारस और प्रिंस राज (दिवंगत राम चंद्र पासवान के बेटे) के साथ विभाजन के कगार पर है। वे रामविलास पासवान के बेटे चिराग के खिलाफ हैं। इसको लेकर परिवार के भीतर से पहली प्रतिकृया रामविलास पासवान की पत्नी राजकुमारी देवी से आई है। राजकुमारी देवी का कहना है कि इस समय ‘परिवार को साथ रहने की जरूरत है।
बिहार के खगड़िया जिले के शहरबन्नी गांव में पासवान के पैतृक घर में रहने वाली देवी ने कहा “रामविलास जी ने हमेशा अपने परिवार को साथ रखा। पासवान परिवार को एक साथ रहना चाहिए।” राजकुमारी देवी के दो बच्चे आशा और उषा पटना में रहते हैं।
चिराग पासवान ने हालही में अपने चहेरे भाई प्रिंस राज पर सेक्स स्कैंडल में शामिल होने का आरोप लगाया है। चिराग की तरफ से कहा गया है कि बड़ा भाई होने के नाते उन्होंने प्रिंस को पुलिस के पास जाने की सलाह दी थी ताकि झूठ और सच का पता चल सके और दोषी को दंड मिले।
वहीं चिराग़ के चाचा पशुपति कुमार पारस का कहना है कि चुनाव से पहले जिस तरह एनडीए गठबंधन से अलग हुआ गया, वह 99 फ़ीसदी कार्यकर्ताओं की भावनाओं के ख़िलाफ़ था।
पशुपति कुमार पारस ने पत्रकारों से कहा, “कुछ असामाजिक तत्वों ने हमारी पार्टी में सेंध लगाई और उसने 99 फीसदी कार्यकर्ताओं की भावना की अनदेखी करते हुए गठबंधन को तोड़ दिया और ये गठबंधन एक दूसरे ही ढंग से तोड़ा गया। किसी से हम दोस्ती करेंगे, किसी से प्यार करेंगे, किसी से नफरत करेंगे। इसका परिणाम ये हुआ कि बिहार में एनडीए गठबंधन कमजोर हुआ और लोक जनशक्ति पार्टी बिलकुल समाप्ति के कगार पर पहुंच गयी। पिछले छह महीने से हमारी पार्टी के पाँचों सांसदों की इच्छा थी कि पार्टी को बचा लिया जाए। मैंने पार्टी को तोड़ा नहीं, बचाया है।”