बिहार: मिशन लोजपा पूरा, अब कांग्रेस तोड़ने पर काम तेज! एक मंत्री के हाथ है कमान, दस विधायक गए हैं मान – Jansatta

बताया गया है कि कांग्रेस को तोड़ने के लिए कांग्रेसी पृष्ठभूमि के नेता के साथ ‘ऑपरेशन लोजपा’ को अंजाम तक पहुंचाने वाले जदयू सांसद को भी लगाया गया है।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक दिन पहले ही कांग्रेस में टूट के सवालों को टालते हुए कहा था कि कांग्रेस एक डूबता हुआ जहाज है। (फोटो- PTI)

लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में दो दिन के अंदर आए भूचाल ने बिहार में राजनीतिक तस्वीर बदल दी है। पिता रामविलास पासवान के बाद बेटे चिराग पासवान को विरासत के तौर पर मिली पार्टी अब उन्हीं से अलग हो गई। हालांकि, रिपोर्ट्स की मानें तो ये बिहार में बदलते राजनीतिक घटनाक्रम की महज शुरुआत भर है। दरअसल, लोजपा में टूट को जदयू का ‘मिशन लोजपा’ मास्टर प्लान बताया जा रहा है। अब जदयू ने इस ऑपरेशन की सफलता के बाद कांग्रेस को तोड़ने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। इसके लिए नीतीश की पार्टी ने शुरू किया है ‘ऑपरेशन कांग्रेस’।

बताया गया है कि एक कांग्रेसी पृष्ठभूमि के नेता को इस ऑपरेशन की गति तेज करने की जिम्मेदारी दी गई है। बिहार में पिछले साल हुए चुनाव में कांग्रेस को 19 सीटों पर जीत मिली थी। ऐसे में कांग्रेस में किसी भी जोड़-तोड़ को बिना दल-बदल कानून के दायरे में लाए आगे बढ़ाने के लिए जदयू को कम से कम उसके दो-तिहाई यानी 13 विधायकों को मनाना होगा। जानकारी के मुताबिक, जदयू के जिस मंत्री को कांग्रेस को तोड़ने की जिम्मेदारी दी गई है, उसने 10 विधायकों से बात कर उन्हें पार्टी छोड़ने के लिए लगभग तैयार भी कर लिया है। बस मामला दो-तिहाई की संख्या पर अटका है।

नहीं टूट रहे कांग्रेस के वफादार विधायक: बिहार कांग्रेस में मौजूदा समय में कई ऐसे नेता हैं जो जदयू की ओर से बार-बार लालच दिए जाने के बावजूद टूटने के लिए तैयार नहीं हैं। इनमें अल्पसंख्यक वर्ग के 3 MLA, पुराने कांग्रेसी परिवार से जुड़े 3 विधायक, पार्टी से जीते दो नए विधायक और पार्टी के चुनाव चिह्न पर दोबारा चुनकर आए एक वफादार विधायक जदयू के ऑपरेशन कांग्रेस के रास्ते में रोड़ा बने हैं।

जदयू दे रही लालच- टूटने वाले नेताओं को आगे मिलेगा फायदा: बताया गया है कि कांग्रेस को तोड़ने के लिए कांग्रेसी पृष्ठभूमि के नेता के साथ ‘ऑपरेशन लोजपा’ को अंजाम तक पहुंचाने वाले जदयू सांसद को भी लगाया गया है। उन्होंने अपनी जाति वाले नेताओं के साथ अपने संपर्क में आए कांग्रेस विधायकों को जदयू में शामिल होने के फायदे गिनाए हैं। उन्हें भरोसा दिया गया है कि किसी भी तरह के समझौते में फायदा उन्हें ही होगा। हालांकि, आगे यह देखना बाकी है कि कांग्रेस के कितने नेता टूट जाते हैं।

पहले भी लग चुकी हैं कांग्रेस के टूटने की अटकलें: गौरतलब है कि पिछले साल विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद नवंबर में ही कांग्रेस के टूटने की अटकलें लगने लगी थी। माना जाता है कि तब भी मामला दल-बदल कानून के समीकरणों पर ही अटक गया था। कांग्रेस के कई शीर्ष नेताओं का दावा है कि पार्टी में टूट-फूट संभव नहीं है और सभी पार्टी को मजबूत करने की कोशिश में हैं, पर पिछले विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही कांग्रेस की खराब हालत के लिए पार्टी विधायक एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर चुके हैं।

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