G7 के मंथन से दुनिया को वैक्सीन रूपी अमृत का उपहार, चीन को ट्रिपल टेंशन – Hindustan

कोरोना महामारी के बीच दुनिया के सात सबसे अमीर लोकतांत्रिक देशों के राष्ट्र प्रमुख जब एक मंच पर साथ बैठे तो दुनिया की निगाहें इस बात पर ही टिकी थीं कि मंथन से क्या-क्या निकलेगा। उम्मीद के मुताबिक ही इस मंथन से जहां एक तरफ दुनिया के लिए वैक्सीन रूपी अमृत का अपहार निकला तो दुनिया को महामारी में धकेलने वाले चीन को ट्रिपल टेंशन दे दी गई है। कोरोना की उत्पत्ति की फिर से जांच, ड्रैगन की आर्थिक नीतियों को चुनौती और मानवाधिकारों के उल्लंघन पर रोक लगाने के लिए प्रेशर बढ़ाने पर सहमति बन गई है। जी-7 के देशों में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, अमेरिका और ब्रिटेन हैं। इस मंच पर भारत को भी आमंत्रित किया गया था।

दुनिया के अमीर देशों के नेताओं ने गरीब देशों को कोविड-19 रोधी टीके की एक अरब से ज्यादा खुराकें मुहैया कराने का संकल्प लिया है। इसके साथ ही उन्होंने बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर वैश्विक न्यूनतम टैक्स का समर्थन किया और सहमति जताई कि वे चीन की बाजार विरोधी आर्थिक नीतियों से मुकाबला के लिए साथ मिलकर काम करेंगे और बीजिंग से शिनजियांग और हांगकांग में मानवाधिकारों का सम्मान करने के लिए कहेंगे।
     
दक्षिण-पश्चिम इंग्लैंड में रविवार को जी-7 के शिखर सम्मेलन के समापन पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि देशों को सीधे तौर पर और अंतरराष्ट्रीय कोवैक्स पहल, दोनों तरीके से टीकों की आपूर्ति की जाएगी। इस प्रतिबद्धता के बावजूद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि दुनिया की कम से कम 70 प्रतिशत आबादी के टीकाकरण और महामारी को समाप्त करने के लिए और 11 अरब और खुराकों की जरूरत है।
     
G7 की ओर से रविवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया, ”चीन के संबंध में और प्रतिस्पर्धा के लिए हम वैश्विक अर्थव्यवस्था के निष्पक्ष और पारदर्शी व्यवस्था को कमजोर करने वाली बाजार विरोधी नीतियों और प्रथाओं को चुनौती देने के लिए सामूहिक दृष्टिकोण पर परामर्श करना जारी रखेंगे।” 
     
नेताओं ने कहा कि वे चीन से शिनजियांग और हांगकांग में मानवाधिकारों और मौलिक आजादी का सम्मान करने के लिए कहेंगे। चीन पर आरोप है कि शिनजियांग में अल्पसंख्यक उईगरों के अधिकारों का वह हनन कर रहा है। सम्मेलन की मेजबानी करने वाले जॉनसन ने कहा कि दुनिया के बाकी हिस्सों में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के मूल्य को प्रदर्शित करने और दुनिया के गरीब देशों को टिकाऊ विकास के लिए जी-7 नेताओं के बीच “शानदार सद्भाव” है। 

कोरोना की उत्पत्ति की हो दोबारा जांच
G7 के देशों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से कहा है कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए विशेषज्ञों की अगुआई में वैज्ञानिक तरीके से दोबारा जांच की जाए। यह जांच निश्चित समय में और पारदर्शी तरीके से की जाए। गौरतलब है कि पहले हुई जांच का कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया था। चीन ने उस समय जांच करने गए विशेषज्ञों को अपने तरीके से पड़ताल करने से रोका था। 

मल्टीनेशनल कंपनियों पर 15 पर्सेंट टैक्स 
विभिन्न देशों के वित्त मंत्रियों द्वारा टैक्स से बचने का प्रयास कर रही बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर कम से कम 15 प्रतिशत वैश्विक टैक्स लगाने को लेकर चर्चा के बाद न्यूनतम कॉरपोरेट टैक्स को लेकर भी जी-7 में व्यापक विचार-विमर्श हुआ। अमेरिका ने न्यूनतम टैक्स की पैरवी की और राष्ट्रपति जो बाइडन का मानना है कि एक साथ काम करते हुए यह सम्मेलन ज्यादा उचित वैश्विक अर्थव्यवस्था का समर्थन कर सकता है। 

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