मासूम को थी 16 करोड़ के इंजेक्शन की जरूरत, 62 हजार लोगों ने बड़ा दिल दिखाकर बचा ली जान – Hindustan

कई बार क्राउड फंडिंग इतनी कारगर साबित होती है कि किसी को मौत के मुंह से खींच निकाले। हैदराबाद के तीन साल के बच्चे अयांश गुप्ता के लिए तो ये किसी वरदान सी साबित हुई। दरअसल अयांश रेयर जेनेटिक डिस्ऑर्डर स्पाइनल मस्कुलर एट्रोपी (SMA) टाइप 1 नाम की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित था। इलाज के लिए मां-पिता के पास पैसे नहीं थे। फिर क्राउंडफंडिंग से 16 करोड़ जुटाकर एक इंजेक्शन लगाया गया। उसे यूएस में बना जोलगेन्स्मा का एक शॉट दिया गया।

8000 में से एक बच्चे को होती है ये बीमारी

बच्चे को ये दवा उसकी रीढ़ की हड्डी की मांसपेशियों को ठीक करने के लिए दी गई। ये बीमारी 8000 में से एक बच्चे को होती है। अयांश के मामले ने कई बॉलीवुड सेलिब्रिटी और क्रिकेटरों ने फंड में दान दिया था और दूसरे लोगों को डोनेट करने से लिए भी प्रोत्साहित किया।

भारत सरकार ने भी की मदद

इस हद से ज्यादा महंगे इंजेक्शन के लिए पैसे कहां से आए, ये जानना भी दिलचस्प है। दरअसल, क्राउडफंडिंग साइट के जरिए  62,400 से अधिक लोगों ने अयांश के इलाज के लिए 14.84 करोड़ रुपए जुटाए। बाकी बचे 1.2 करोड़ रुपए एक अंतरराष्ट्रीय क्राउडफंडिंग के जरिए मिले। वहीं भारत सरकार ने भी अयांश के इलाज के लिए  मदद की। सरकार ने 6 करोड़ रुपए का आयात शुल्क माफ कर दिया। ये शुल्क न माफ होने की स्थिति में दवा की कीमत 22 करोड़ रुपए हो जाती। 

क्या है स्पाइनल मस्कुलर एट्रोपी टाइप 1

इस गंभीर बीमारी से पीड़ित बच्चे मेडिकल इंटरवेंशन के बिना शायद ही दो साल से ज्यादा जी पाते हैं। रेनबो चिल्ड्रन हॉस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ रमेश कोनांकी के मुताबिक,  “एसएमए एक प्रोग्रेसिव न्यूरोमस्कुलर बीमारी है जो एसएमएन 1 जीन में डिफेक्ट के कारण होती है। प्रभावित बच्चों में शुरू में मांसपेशियों में कमजोरी आती है, लेकिन ओवरटाइम में सांस लेने और निगलने में कठिनाई होती है। ”

संबंधित खबरें

Related posts