मुकुल रॉय के TMC लौटने के बाद बंगाल भाजपा के नेताओं में आपसी नाराजगी, आरोप- एक-दो चेहरों को छोड़कर किसी का नहीं हुआ ढंग से इस्तेमाल – Jansatta

मुकुल रॉय के जाने के बाद भाजपा में अब टीएमसी से आए नेताओं और भाजपा-RSS संगठन के नेताओं के बीच आमना-सामना होने की आशंका।

मुकुल रॉय (बीच में) के टीएमसी लौटने की एक वजह सात महीने पहले भाजपा में शामिल होने वाले सुवेंदु अधिकारी (दाएं) का बढ़ता कद भी माना जाता है। (फोटो- ANI)

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव खत्म हुए अभी दो महीने भी नहीं हुए थे कि भाजपा के एक दिग्गज नेता मुकुल रॉय ने पार्टी से विदाई ले ली। हालांकि, भाजपा में ज्यादातर लोगों के लिए यह कोई चौंकाने वाली घटना नहीं रही। ज्यादातर नेताओं को मालूम था कि पार्टी की ओर से सुवेंदु अधिकारी को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाने का फैसला कई अन्य दिग्गजों को खटकेगा। इसके बावजूद पार्टी अपने फैसले के साथ आगे बढ़ गई और इधर मुकुल रॉय 2017 में जिस पार्टी की नंबर-2 की हैसियत छोड़कर भाजपा को खड़ा करने आए थे, उन्होंने फिर अपने पुराने दल में लौटने का फैसला किया।

बताया जाता है कि लोकसभा चुनाव में कैलाश विजयवर्गीय के साथ मिलकर वो मुकुल रॉय ही थे, जिन्होंने भाजपा को टीएमसी की टक्कर में खड़ा किया। उनकी इस निष्ठा के लिए विजयवर्गीय ने खुद पार्टी नेतृत्व से कई बार रॉय को पद देने की मांग की, लेकिन भाजपा ने उन्हें ज्यादातर समय नजरअंदाज ही किया। उन्हें पहली बार भाजपा संगठन में भी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी पिछले साल ही बनाया गया। हालांकि, माना जाता है कि इस दौरान मुकुल रॉय ने टीएमसी से आए भाजपा नेताओं के साथ भाजपा के पुराने कैडरों पर भी अच्छी पकड़ हासिल कर ली। टीएमसी के सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि आने वाले समय में कुछ भाजपा नेता भी उसके साथ आ सकते हैं। इसके लिए पार्टी मुकुल रॉय का ही इस्तेमाल करेगी।

मुकुल रॉय के टीएमसी जाने पर भाजपा के नेताओं का मानना है कि इससे राज्य में उसकी इकाई में भी गुटबाजी शुरू होगी। एक पार्टी नेता ने कहा कि भाजपा और आरएसएस का बैकग्राउंड लेकर पार्टी में काम कर रहे नेताओं और टीएमसी से भाजपा में आए नेताओं के बीच टकराव की स्थिति और खराब होती जा रही है।

भाजपा को इस दौरान पहले ही कुछ और टीएमसी नेताओं के ममता बनर्जी के पास लौटने का डर लग रहा है। इनमें सोनाली गुहा, दीपेंदु बिस्वास और राजीव बनर्जी जैसे नेता शामिल हैं, जो विधानसभा चुनाव के बाद से ही पार्टी पर निशाना साध रहे हैं और प्रत्यक्ष-अप्रत्य़क्ष तौर पर टीएमसी लौटने की मंशा जता चुके हैं।

इस बीच भाजपा के कुछ नेता पार्टी में चल रही उठापटक से नाराज बताए गए हैं। राष्ट्रीय महासचिव अनुपम हाजरा ने इशारों में मुकुल रॉय का जिक्र करते हुए कहा, “जिस तरह केंद्रीय नेताओं ने बंगाल में अभियान किया, भाजपा ने विपक्ष में बैठने के लिए लड़ाई नहीं लड़ी थी। लेकिन कई नेताओं का ठीक ढंग से इस्तेमाल तक नहीं हो पाया। पार्टी में संगठन की कमी है और गुटबाजी भी उभरी है। भाजपा को जल्द से जल्द इन मुद्दों को सुलझाना होगा। चुनाव के दौरान ही सिर्फ एक या दो नेताओं को काम करने का मौका दिया गया, जबकि बाकी योग्य नेताओं को बिठाए रखा गया।”

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