Healthcare Workers पर हुए Research में वैज्ञानिकों का दावा: Covaxin से ज्यादा एंटीबॉडी बनाती है Covishield – Zee News Hindi

नई दिल्ली: कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) को लेकर किए गए एक शोध में यह बात सामने आई है कि कोवैक्‍सीन (Covaxin) की तुलना में कोविशील्‍ड (Covishield) ज्यादा एंटीबॉडी (Antibody)  तैयार करती है. इस शोध में डॉक्टर और नर्सों को शामिल किया गया और उन्हें कोविशील्‍ड एवं कोवैक्‍सीन की दोनों डोज लगाई गईं. इसके बाद यह देखा गया कि कौन सी वैक्सीन कितने प्रभावी ढंग से काम करती है. शोध के परिणाम के अनुसार, सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्‍ड, भारत बायोटेक की कोवैक्‍सीन के मुकाबले ज्यादा एंटीबॉडी तैयार करती है.  

इतने Health Care Workers हुए शामिल

इस अध्ययन में कुल 515 स्वास्थ्य कर्मियों (305 पुरुष, 210 महिला) को शामिल किया गया. जिसमें से 456 को Covishield और 96 को Covaxin लगाई गई. कुल मिलाकर, 79.3 प्रतिशत ने पहली डोज (First Dose) के बाद सेरोपॉजिटिविटी (Seropositivity) दर्शाई. वैज्ञानिकों ने पाया कि एंटी-स्पाइक एंटीबॉडी में रिस्पांडर रेट और मीडियन रेट Covishield लेने वालों में ज्यादा रहे.  

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दोनों में अच्छा रहा Immune Response

Coronavirus Vaccine-induced Antibody Titre नामक इस शोध में ऐसे हेल्थ केयर वर्कर्स को शामिल किया गया, जिन्हें वैक्सीन लग चुकी है फिर चाहे उन्हें कोरोना हुआ था या नहीं. रिसर्च के अनुसार, कोविशील्ड और कोवैक्सिन दोनों ने अच्छा इम्यून रिस्पांस (Good Immune Response) प्रमोट किया, लेकिन सेरोपॉजिटिविटी रेट और मीडियन एंटी-स्पाइक एंटीबॉडी कोविशील्ड में अधिक रहे. यानी कोवैक्‍सीन की तुलना में कोविशील्ड अधिक एंटीबॉडी निर्मित करती है.

ICMR ने भी किया था दावा

इससे पहले, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) प्रमुख डॉ. बलराम भार्गव (Dr Balram Bhargava) ने कोवैक्‍सीन (Covaxin) और कोविशील्‍ड (Covishield) द्वारा बनने वाली एंटीबॉडी (Antibody) को लेकर चौंकाने वाला दावा किया था. उन्होंने कहा था कि कोविशील्ड वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद कोवैक्सीन की पहली डोज के मुकाबले ज्यादा एंटीबॉडी बनती है. डॉक्टर भार्गव ने कहा था कि नई स्टडी के अनुसार कोवैक्‍सीन (Covaxin) की पहली डोज लेने के बाद ज्यादा एंटीबॉडी नहीं बनती, बल्कि दूसरी डोज पर्याप्त एंटीबॉडी बनाती है. वहीं कोविशील्‍ड (Covishield) की पहली डोज लेने के बाद ही इससे अच्छी संख्या में एंटीबॉडी बन जाती हैं.

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