हाइलाइट्स:
- लैब से लीक हुआ SARS-CoV-2, भारतीय रिसर्चर्स ने दुनिया के सामने रखे सबूत
- साइंटिस्ट कपल के अलावा ‘द सीकर’ के नाम से मशहूर शख्स भी इस टीम में
- चीनी भाषा जानता है और ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस में माहिर है ‘द सीकर’
- वुहान की लैब में चल रहे थे कोरोना वायरस से जुड़े प्रयोग, रिसर्च में पता चला
नई दिल्ली
तीन भारतीयों की रिसर्च ने पूरी दुनिया को कोविड-19 की उत्पत्ति को लेकर फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है। साइंटिस्ट कपल जोड़े डॉ मोनाली राहलकर और डॉ राहुल बहुलिकर के अलावा जो तीसरा शख्स है, उसे दुनिया फिलहाल ‘द सीकर’ के रूप में जानती है। उसकी 20 से 30 साल के बीच उम्र है, पूर्व भारत में कहीं रहता है। वह आर्किटेक्ट भी है, फिल्ममेकर भी। कभी साइंस भी पढ़ाता था। खुद को गुमनाम रखने में उसे बड़ा मजा आता है।
‘शोहरत नहीं चाहिए, सेफ्टी की चिंता’
‘द सीकर’ ने टाइम्स ऑफ इंडिया के सवालों का जवाब एनक्रिप्टेड ईमेल में दिया। वो कहता है कि उसका यूं ही रहना ठीक है क्योंकि उसे ‘शोहरत’ की चाह नहीं है। वह अपनी ‘सुरक्षा और प्राइवेसी’ को भी दांव पर नहीं लगाना चाहता। कोरोना वायरस की शुरुआत को लेकर रिसर्च क्यों की? इस सवाल के जवाब में वो कहता है कि ‘मेरी उत्सुकता ने मुझे इस ओर खींचा।’ उसने कहा, “अब तो सालभर से ज्यादा हो चुका है। मैं अपना काफी समय इसमें लगाया है।”
खुशमिजाज है ‘द सीकर’, पाया है तेज दिमाग
यह शख्स DRASTIC टीम का हिस्सा है जिसमें अलग-अलग बैकग्राउंड्स के लोग हैं। ये टीम इंटरनेट पर कोविड-19 की शुरुआत को लेकर रिसर्च करती है। ‘द सीकर’ ने ऐसा सबूत खोजा है जिससे महामारी के वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से लिंक को लेकर सवाल खड़े हुए। डॉ मोनाली के अनुसार ‘द सीकर’ बेहद दोस्ताना और खुशमिजाज शख्स है। DRASTIC के सदस्य एक-दूसरे से ट्विटर पर डायरेक्ट मेसेजेस के जरिए बात करते हैं। मोनाली के मुताबिक, ‘द सीकर’ उनको बेहद तेज दिमाग वाले लगते हैं। उन्होंने कहा, “उसे चीनी भाषा की कुछ समझ है और ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस भी जानता है। असल में वह इन्फॉर्मेशन का सीकर है।’
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कुछ ऐसा खोज निकाला, मिली पूरी दुनिया की अटेंशन
पिछले साल ‘द सीकर’ ने चीन से एक मास्टर की थीसिस का पता लगाया था। जिसमें बताया गया था कि कैसे 2012 में मोजियांग की एक चमगादड़ों से भरी खदान में छह कर्मचारी गए और सांस की एक एक रहस्यमयी बीमारी से पीड़ित हो गए जो काफी हद तक कोविड से मिलती थी। बाद में उनमें से तीन की मौत हो गई। ‘द सीकर’ ने जो कुछ भी खोजा है, उससे दुनियाभर की अटेंशन उनपर है। अब SARS-CoV-2 के प्राकृतिक होने के दावे को चुनौती दी जाने लगी है तो उसके पीछे DRASTIC की रिसर्च का भी योगदान है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने फूलप्रूफ जांच की मांग की है।
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चीन से सीधे जुड़ रहे हैं तार
‘द सीकर’ कहता है, “मैंने बहुत सारे ऐसे फैक्ट्स और डेटा देखे हैं जो लैब-लीक की तरफ इशारा करते हैं।” मगर वह सेलिब्रिटी जैसा स्टेटस पाने के बावजूद, वह खुद को सामने क्यों नहीं लाना चाहते? जवाब में वो कहता है, “मैंने पहले भी कहा है कि जबतक हो सकेगा, मैं अपनी पहचान छिपाकर रखूंगा।”
साइंटिस्ट कपल और ‘द सीकर’ की रिसर्च ने कई अहम कड़ियां जोड़ीं। इन्हीं लोगों ने साबित किया कि RaTG13 (SARS-CoV-2 से काफी मिलता-जुलता कोरोना वायरस) मोजियांग की खदान से मिला था। उन्होंने यह भी पता लगाया कि वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में RaTG13 पर प्रयोग किए जा रहे थे।