सरकार vs ट्विटर : क्यों और कैसे आखिरी चेतावनी तक बढ़ती गई तकरार, पूरी बात समझिए – Navbharat Times

नई दिल्ली
नए आईटी नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने ट्विटर के खिलाफ सख्त रुख अख्तियार किया है। शनिवार को सरकार ने ट्विटर को ‘अंतिम मौका’ देते हुए नोटिस जारी किया। केंद्र ने ट्विटर से दो टूक कहा है कि वह नए आईटी नियमों का हर हाल में पालन सुनिश्चित करे। नए आईटी नियमों को 25 मई से लागू होना था। सरकार ने ट्विटर को 26 मई को पहला नोटिस, 28 मई को दूसरा, 2 जून को तीसरा और अब 5 जून का ‘आखिरी नोटिस’ भेजा है। आखिर सरकार बनाम ट्विटर की यह जंग है क्या, क्यों बात इतनी बिगड़ती गई कि ‘आखिरी चेतावनी’ तक पहुंच गई, आइए समझते हैं पूरे मामले को।

आईटी नियमों पर ट्विटर बनाम सरकार
सबसे पहले जानते हैं कि नए आईटी नियमों को लेकर ट्विटर का क्या रुख है और सरकार क्या कह रही है। दरअसल, नए आईटी नियमों को लेकर ट्विटर ने कहा है कि इसमें कुछ ऐसे तत्व हैं जो फ्री स्पीच को बाधित कर रहे हैं। लेकिन सरकार ने दो टूक कहा है कि ट्विटर एक इंटरमीडियरी है लिहाजा उसे सरकारी आदेशों को मानना ही होगा। ऐसा नहीं चल सकता कि वह अपने नियमों का हवाला देकर सरकार के नियमों को मानने से इनकार करे। अब आगे सिलसिलेवार ढंग से बताते हैं कि विवाद की शुरुआत कब और कैसे हुई और कैसे यहां तक पहुंची।

New IT Rules: सरकार ने ट्विटर को दिया ‘एक आखिरी मौका’, जानें मामला
गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर मार्च में हिंसा से शुरू हुई तकरार
ट्विटर बनाम सरकार की ‘जंग’ इस साल जनवरी के आखिर में शुरू हुई। गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में किसानों की ‘ट्रैक्टर रैली’ हिंसक हो गई। उस दौरान ट्विटर पर कथित तौर पर कई फेक न्यूज और भड़काऊ कंटेंट शेयर किए जा रहे थे। 31 जनवरी को सरकार ने ट्विटर से कुछ अकाउंट्स के खिलाफ ऐक्शन को कहा। इसमें वे हैंडल भी शामिल थे जो #मोदीप्लानिंगफार्मरजेनोसाइड हैशटैग का इस्तेमाल कर रहे थे। ट्विटर ने 257 अकाउंट्स को सस्पेंड कर दिया लेकिन कुछ देर बाद ही ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ के नाम पर उन हैंडल्स को बहाल कर दिया। इससे सरकार और ट्विटर में ठन गई। 4 फरवरी को सरकार ने ट्विटर को 1157 और अकाउंट्स की सूची सौंपी जो भारत-विरोधी दुष्प्रचार में शामिल थे। सरकार के मुताबिक, वे अकाउंट्स या तो पाकिस्तान से जुड़े लोगों के थे या खालिस्तान समर्थकों के। इस बार भी ट्विटर ने महज कुछ हैंडल्स को ब्लॉक किया।

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25 फरवरी को सरकार ने जारी किए नए आईटी रूल्स
इस बीच 25 फरवरी को सरकार ने नए आईटी नियम जारी किए। 50 लाख से ज्यादा यूजर वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स भी इसके दायरे में रखे गए। नए नियमों के मुताबिक, ऐसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भारत में एक शिकायत अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी। सरकार अगर किसी भड़काऊ ट्वीट या पोस्ट के बारे में जानकारी मांगे तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को उस ट्वीट या पोस्ट के ओरिजिनेटर की जानकारी देनी होगी। इसके अलावा सरकार अगर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को किसी आपत्तिजनक कंटेंट को हटाने का आदेश दे तो उसे 36 घंटे के भीतर हटाना होगा। ट्विटर ने अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश बताकर नए आईटी नियमों का पालन करने से इनकार कर दिया। यहां तक कि बाद में मामला दिल्ली हाई कोर्ट भी पहुंचा और कोर्ट ने दो टूक कहा कि अगर सरकार खुद नए नियमों को लागू करने पर रोक नहीं लगाती है तो उसका पालन करना ही होगा।

ग्रेटा थनबर्ग टूलकिट केस से बढ़ा और तनाव
ट्विटर के नए नियमों को नहीं मानने से अड़ने पर सरकार से तल्खी बढ़ती ली गई। इसी बीच पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के टूलकिट का मामला सामने आ गया। सरकार ने कहा कि भारत में सौहार्द बिगाड़ने और अशांति फैलाने के लिए ट्विटर का दुरुपयोग हो रहा है। योजनाबद्ध तरीके से सोशल मीडिया अभियान चलाकर अशांति की कोशिश हो रही है।

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ट्विटर ने लद्दाख को चीन के नक्शे में दिखाया
तनातनी के बीच ही ट्विटर ने लद्दाख के कुछ हिस्सों को ‘गलती से’ चीन के नक्शे में दिखा दिया। गलती को सुधारने में ट्विटर ने कई दिनों का वक्त लिया। सरकार का इस पर लाल होना लाजिमी था। इधर ट्विटर के साथ तनातनी बढ़ रही थी, उधर कई केंद्रीय मंत्री और मंत्रालय ट्विटर का विकल्प बताए जा रहे देसी ऐप कू पर भी न सिर्फ मौजूदगी दर्ज करा रहे थे बल्कि उसे एक तरह से प्रमोट भी कर रहे थे। इसे भी सरकार की तरफ से ट्विटर को कड़े संदेश के तौर पर देखा गया।

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B.1.617 को ‘इंडियन वेरिएंट’ लिखने वाले पोस्ट्स पर ट्विटर ने नहीं लिया कोई ऐक्शन
सरकार और ट्विटर के बीच तनाव तब और भड़का जब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने कोरोना वायरस के B.1.617 वेरिएंट को ‘इंडियन वेरिएंट’ लिखने वाले पोस्ट्स के खिलाफ कोई ऐक्शन नहीं लिया। इसके अलावा सरकार ने ट्विटर पर वैक्सीन हेजिटेंसी बढ़ाने का भी आरोप लगाया।

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कुछ बीजेपी प्रवक्ताओं के पोस्ट्स पर ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’ का टैग
हाल ही में ट्विटर ने बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा समेत पार्टी के कुछ नेताओं के कुछ पोस्ट्स पर ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’ का टैग लगा दिया। इसके बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ट्विटर के दफ्तर भी पहुंची थी। इसके बाद ट्विटर ने बयान जारी कर कहा कि वह भारत में अपने कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। इसके अलावा उसने भारत में अपने यूजर्स की अभिव्यक्ति की आजादी पर संभावित खतरे को लेकर भी चिंता जताई। इस बयान पर आईटी मिनिस्ट्री ने बेहद तल्ख प्रतिक्रिया दी और कहा कि ट्विटर खुद ही जांच करने वाली एजेंसी और फैसला सुनाने वाली अदालत बनने की कोशिश कर रही है। सरकार ने ट्विटर के बयान को आधारहीन बताते हुए नए आईटी नियमों का पालन न करने के लिए उसका पैंतरा करार दिया।

उपराष्ट्रपति के पर्सनल अकांउट से हटाया ब्लू टिक
इसी बीच शनिवार को ट्विटर ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के पर्सनल ट्विटर अकाउंट से ब्लू टिक हटा दिया। संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत आरएसएस के कुछ नेताओं के भी ट्विटर हैंडल से ब्लू टिक हट गया। इसके बाद ट्विटर पर ही ट्विटर बैन इन इंडिया हैशटैग चलने लगा। ट्विटर पर ही मांग उठने लगी कि नाइजीरिया की तरह भारत में भी इसे बैन किया जाए।

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