भारत के भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण पर अब गुरुवार को हो सकता है। डोमिनिक की एक कोर्ट ने चोकसी के भारत भेजे जाने को लेकर बुधवार को हुई सुनवाई पर फैसला गुरुवार तक के लिए टाल दिया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी। मेहुल चोकसी के वकील विजय अग्रवाल ने कहा कि मजिस्ट्रेट के आदेश के आधार पर कल कोर्ट में फिर से चर्चा होगी। विजय अग्रवाल ने आगे कहा है कि इसने हमारे रुख को साबित कर दिया कि डोमिनिकन पुलिस ने 72 घंटों के भीतर पेश नहीं करना अवैध था। कोर्ट ने सहमति जताते हुए कहा कि गड़बड़ी को ठीक करने की जरूरत है।
आपको बता दें कि मेहुल के भाई चेतन चिनुभाई चोकसी ने पिछले शनिवार को लिंटन से मुलाकात कर मेहुल की मदद के बदले चुनावी चंदा देने की बात कही थी। इस दौरान चेतन ने अग्रिम राशि के तौर पर उन्हें दो लाख डॉलर दिए और आने वाले आम चुनावों में एक मिलियन डॉलर से ज्यादा की वित्तीय मदद का भरोसा दिया।
On the basis of Magistrate’s order, the discussion will resume in court tomorrow. It proved our stand that Dominican police committed illegality by not producing him within 72 hours; the court agreed & said irregularity needs to be corrected: Mehul Choksi’s lawyer Vijay Aggarwal
— ANI (@ANI) June 2, 2021
डोमिनिका ने कोर्ट में बोला- चोकसी को भारत को सौंप दें
भारतीय बैकों से धोखाधड़ी करके देश से भागे हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को डोमिनिका से बड़ा झटका लगा है। डोमिनिका सरकार ने कोर्ट में बुधवार को कहा कि मेहुल चोकसी को भारत को सौंप दिया जाए। सरकार ने साफ-साफ कहा है कि मेहुल चोकसी की याचिका वैध नहीं है और कोर्ट को उसे सुनना नहीं चाहिए।
चोकसी पर डोमिनिका में अवैध तरीके से दाखिल होने का भी आरोप है। डोमिनिका में विपक्षी पार्टी इस बात पर दबाव बना रही है कि चोकसी को ऐंटीगा भेज दिया जाए जबकि ऐंटीगा के प्रधानमंत्री गैस्टॉन ब्राउन का दावा है कि चोकसी अभी भारतीय नागरिक ही है। उनका कहना है कि ऐंटीगा की ओर से चोकसी को उसकी नागरिकता न देने का नोटिस भेजा गया था जिस पर उसने स्टे ले लिया था। गैस्टॉन की यह दलील भारतीय एजेंसियों के काम आ सकती है।
मेहुल चोकसी के वकील विजय अग्रवाल ने इससे पहले कहा कि जिस वक्त गीतांजलि समूह के अध्यक्ष और व्यापारी चोकसी ने एंटीगा की नागरिकता हासिल कर ली, वह भारत का नागरिक नहीं रह गया है। इसलिए कानूनी रूप से इमिग्रेशन और पासपोर्ट ऐक्ट के सेक्शन 17 और 23 के अनुसार उसे सिर्फ एंटीगुआ ही भेजा जा सकता है। वकील ने दावा किया है कि एंटीगुआ के अधिकारियों के बयान के विपरीत चोकसी डोमिनिका भागा नहीं था। उसे हनी ट्रैप के जरिए फंसाया गया था और अगवा कर लिया गया था।
इसलिए भारत का दावा मजबूत
मेहुल चोकसी का पीछा करने वाली भारतीय एजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि हो सकता है कि उसने अपना पासपोर्ट सरेंडर कर दिया हो, लेकिन भारत ने इसे स्वीकार नहीं किया है। साथ ही उसे पासपोर्ट सरेंडर का सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया है। सूत्रों का कहना है कि इंटरपोल ने भारत में किए गए वित्तीय अपराधों के लिए चोकसी के खिलाफ रेड नोटिस जारी किया है और इस पर अदालत में बहस होगी।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, पासपोर्ट अधिनियम 1967 के अनुसार, सभी भारतीय पासपोर्ट धारकों के लिए यह अनिवार्य है कि वे विदेशी नागरिकता प्राप्त करने के तुरंत बाद अपने पासपोर्ट नजदीकी भारतीय मिशन/पोस्ट को सौंप दें। भारतीय पासपोर्ट का दुरुपयोग पासपोर्ट अधिनियम 1967 की धारा 12(1ए) के तहत एक अपराध है।
क्या कहता है कानून?
जहां तक चोकसी की नागरिकता का सवाल है, कानून बहुत स्पष्ट है। भारत दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता है। भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 की सेक्शन 9 के अनुसार कोई भी भारतीय नागरिक जो विदेशी नागरिकता प्राप्त करता है, भारतीय नागरिक नहीं रह जाता है। इसलिए, सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए चोकसी एंटीगा का नागरिक बना हुआ है। भले ही वहां की सरकार ने उसकी नागरिकता रद्द करने के लिए कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी हो. इसे चोकसी ने एंटीगा कोर्ट में चुनौती दी है।