सीबीएसई बोर्ड की 12वीं क्लास की परीक्षा रद्द कर दी गई है (सांकेतिक तस्वीर)
CBSE 12th exam cancelled 2021: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस नतीजे पर पहुंचा गया कि कोरोना काल में सीबीएसई की 12वीं की परीक्षा आयोजित करना सही नहीं होगा. इसके बाद इन परीक्षाओं को रद्द करने का फैसला किया गया.
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नई दिल्ली. देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर (Coronavirus Second Wave) के चलते CBSE की कक्षा 12वीं की परीक्षा रद्द (CBSE12th Class Exams Cancel) कर दी गई हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अध्यक्षता में परीक्षा को लेकर हुई बैठक में यह फैसला किया गया. महामारी के प्रकोप के बीच सीबीएसई परीक्षा (CBSE Exams) के आयोजन को लेकर हुई इस उच्च स्तरीय बैठक में केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा बैठक में शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा व उच्च शिक्षा सचिव शामिल रहे.
बैठक में सीबीएसई के चेयरमैन ने भी भाग लिया. इस बैठक में प्रधानमंत्री को परीक्षा के आयोजित करने के सभी विकल्पों की जानकारी दी गई. हालांकि, बैठक के बाद इस नतीजे पर पहुंचा गया कि कोरोना काल में सीबीएसई की 12वीं की परीक्षा आयोजित करना सही नहीं होगा. इसके बाद इन परीक्षाओं को रद्द करने का फैसला किया गया. बाद में जब भी परीक्षा आयोजित की जाएगी तो उसके बारे में बच्चों के माता-पिता को जानकारी दी जाएगी.
अरविंद केजरीवाल ने की थी परीक्षा रद्द करने की मांग
कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते लगातार बोर्ड की परीक्षा को रद्द करने की मांग उठ रही थी. इस संबंध में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था. साथ ही ये मांग की थी कि बच्चों के अभिभावकों की चिंता को ध्यान में रखते हुए इस साल भी पिछले साल की तरह परफॉर्मेंस के आधार पर आकलन किया जाए.परीक्षा रद्द होने के फैसले का सीएम केजरीवाल ने स्वागत करते हुए कहा, ‘मुझे खुशी है कि 12वीं की परीक्षा रद्द कर दी गई है. हम सब बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर काफी चिंतित थे. बड़ी राहत.’
I am glad 12th exams have been cancelled. All of us were very worried abt the health of our children. A big relief
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) June 1, 2021
इसी के साथ ही करीब 300 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर परीक्षा के आयोजन के संबंध में स्वतः संज्ञान लेकर उन्हें रद्द करने की अपील की थी. छात्रों का कहना था कि इस महामारी के बीच परीक्षा का आयोजन किया जाना न सिर्फ छात्रों बल्कि उनके परिवार वालों, टीचर्स और अन्य स्टाफ के लिए जान जोखिम में डालने जैसा काम था.
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