Nautapa 2021: कोरोना काल के बीच अगले 9 दिन हो जाएं सतर्क, शुरू हो गया नौतपा – Zee News Hindi

नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी की दूसरी लहर के बीच आज यानी 25 मई से नौतपा (Nautapa) की शुरुआत हो गई है. ये 3 जून तक चलेगा. इन 9 दिनों में सूर्य अपने सर्वोच्च ताप में होगा. इसलिए गर्मी भी अपने चरम पर होती है. साथ ही इस अवधि में आगामी मानसून की स्थिति के बारे में पता चलता है कि इस साल मानसून (Monsoon 2021) कैसा रहने वाला है. आइए जानते हैं क‍ि नौतपा इतना महत्‍वपूर्ण क्‍यों है, और ज्योतिषविदों इसे लेकर क्या कहते हैं… 

जानें कब और क्या होता है नौतपा?

सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में होकर वृष राशि के 10 से 20 अंश तक रहता है तब नौतपा होता है. इन दिनों सूर्य पृथ्वी के सबसे करीब होता है. इस नक्षत्र में सूर्य करीब 15 दिनों तक रहेगा. लेकिन शुरुआती 9 दिनों में गर्मी बहुत बढ़ जाती है. इसलिए इन 9 दिनों के समय को ही नौतपा कहा जाता है. आज सुबह 8 बजकर 16 म‍िनट पर सूर्य रोह‍िणी नक्षत्र में प्रवेश कर चुके हैं और 8 जून की सुबह 6 बजकर 40 म‍िनट तक वहां रहेंगे. 

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शुरुआत के 3 दिन पड़ेगी भीषण गर्मी

ज्योतिषविदों ने नौतपा के शुरुआती तीन दिनों में भीषण गर्मी पड़ने के संकेत दिए हैं. लेकिन नौतपा के आखिरी दिनों में आंधी-बारिश (Rain) के चलने के आसार भी बने हुए हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि इस साल मानसून सामान्य से अच्छा रहने की संभावना है. यानी इस साल सामान्य से भी अच्छी देखने को मिलेगी.

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नौतपा के दौरान क्या करें और क्या नहीं?

नौतपा के दौरान महिलाएं हाथ पैरों में मेहंदी लगाती हैं. क्योंकि मेहंदी की तासीर ठंडी होने से तेज गर्मी से राहत मिलती है. इन दिनों में खूब पानी पीते हैं और जरूरतमंदों को जल दान भी किया जाता है ताकि पानी की कमी से लोग बीमार न हो. 

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क्यों खास हैं नौतपा के 9 दिन?

हिंदू धर्म में सूर्य देवता का व‍िशेष स्‍थान है. नौतपा का वर्णन श्रीमद्धागवत गीता में भी किया गया है. ऐसी मान्यता है कि जब ज्योतिष की रचना हुई तभी से नौतपा चला आ रहा है. खगोल विज्ञान के मुताबिक, नौतपा में सूर्य की किरणें धरती पर एकदम सीधी पड़ती हैं, जिससे तापमान में वृद्धि होती है और मैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र बनने लगता है. ये निम्न दबाव का क्षेत्र समुद्र की लहरों को आकर्षित करता है. जिसके कारण ठंडी हवाएं, तूफान और बारिष के आसार रहते हैं. इस दौरान हवाएं चल सकती है, लेकिन बारिश नहीं होनी चाहिए. बारिश मानसूनी गतिविधियों को कम कर देती है लेकिन अगर बारिश नहीं होती है तो मानसून अच्छा रहता है.

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