2 नहीं 10 मीटर तक हवा में फैल सकता है कोरोना वायरस, सरकार ने जारी की नई एडवाइजरी – Zee News Hindi

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में सरकार ने ‘ईजी टू फॉलो’ एडवायजरी जारी की है, जिसमें कहा गया है कि कोरोना वायरस के एयरोसोल्स हवा में 10 मीटर तक तैर सकते हैं. सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार विजय राघवन (Vijay Raghavan) के कार्यालय ने गुरुवार को कहा कि कोविड-19 (Covid-19) से पीड़ित व्यक्ति की छींक से निकलने वाली ड्रॉपलेट्स दो मीटर में गिर सकती हैं और इससे निकलने वाले एयरोसोल 10 मीटर दूर तक जा सकते हैं. 

प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) के कार्यालय ने अपनी ‘ईजी टू फॉलो’ एडवाइजरी में कहा है, ‘संक्रमण रोकिए, महामारी को समाप्त कीजिए, SARS-CoV-2 वायरस को फैलने से रोकने के लिए मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग रखने, स्वच्छता रखने और खुली हवादार जगह का इस्तेमाल कीजिए’. 

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एडवाइजरी की मुख्य बातें

– कोविड-19 के वायरस का प्रकोप कम करने में खुली हवादार जगह अहम भूमिका निभा सकती है. खुली जगह में एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे में संक्रमण फैलने का खतरा भी कम होता है. 

– ‘लार और छींक तथा उससे निकली संक्रमित बूंद वायरस को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचा सकती हैं. बड़ी बूंदें जमीन और सतहों पर गिर जाती हैं और छोटी बूंदे हवा में काफी दूरी तक जा सकती हैं.’

– ऐसे स्थान जो बंद हैं और जहां हवा का संचार नहीं है वहां संक्रमित बूंदें कॉन्संट्रेटेड हो जाती हैं और इससे उस इलाके के लोगों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

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– संक्रमित व्यक्ति के नाक से निकलने वाली बूंदें दो मीटर के क्षेत्र में गिर सकती हैं जबकि और भी छोटी बूंदें हवा के जरिए दस मीटर तक जा सकती हैं.’

– पहले के प्रोटोकॉल के मुताबिक संक्रमण को रोकने के लिए छह फुट की दूरी आवश्यक बताई गई थी. सोशल मीडिया पर कई लोगों ने कहा है कि किसी भी बाहरी व्यक्ति के संपर्क में नहीं आने के बावजूद वे संक्रमित हो गए. ऐसे में अब कहा जा रहा है कि जगह अगर हवादार हो तो संक्रमण से बचाव हो सकता है. 

– जिस तरह घर के दरवाजे और खिड़कियां खोलने और एक्जॉस्ट फैन चलाने से हवा से गंध कम हो जाती है, ठीक उसी तरह हवादार जगह में वायरस की संख्या कम हो सकती है और इससे संक्रमण का जोखिम कम हो जाता है.

प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार द्वारा जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि महज पंखे चलाने, खुले दरवाजे और खिड़कियां होने से वायु गुणवत्ता में सुधार हो सकता है.

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