कोविड-19 की तीसरी लहर का बच्चों पर असर- वैक्सीन को लेकर क्या है भारत की नीति और नजर – News18 हिंदी

नई दिल्ली. एक तरफ कोविड-19 की दूसरी लहर ने ही भारत के स्वास्थ्य तंत्र को धराशायी कर के रख दिया है वहीं विशेषज्ञों ने तीसरी लहर के आने की चेतावनी भी दे डाली है. जिसके साल के अंत तक आने का अनुमान लगाया जा रहा है. ऐसा कहा जा रहा है कि तीसरी लहर की चपेट में बच्चों के आने की आशंका है. 10 राज्यों के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रत्येक जिले में कोविड-19 से संक्रमित हुए बच्चों और युवाओं के डेटा को एकत्रित करने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि इस डेटा का आकलन कर हम बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक व्यापक रणनीति तैयार कर पाएंगे. इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री ने सिंगापुर में नए स्ट्रेन से बच्चों पर पड़ रहे असर पर चिंता ज़ाहिर की थी. जिसे लेकर काफी विवाद का माहौल भी खड़ा हो गया था. सिंगापुर ने आगे बढ़कर दावा किया था कि उनके यहां किसी तरह की नई स्ट्रेन नहीं है. सिंगापुर के उच्चायोग ने साफ किया कि ‘सिंगापुर में नई स्ट्रेन वाली बात में कोई सच्चाई नहीं है, फायलोजेनेटिक टेस्टिंग बताता है कि सिंगापुर में कोविड के ज्यादातर मामलों में  B.1.617.2 वेरियंट ही देखी गई है, इन मामलों में बच्चे भी शामिल हैं.’ सिंगापुर में स्कूल बंद करने का आदेश देने की वजह यही थी कि B.1.617 का असर बच्चों पर भी देखने को मिल रहा था.

भारत में भी दूसरी लहर के भयानक रूप अख्तियार करने के पीछे B.1.617 वेरियंट ही है, जिसने पहली लहर से ज्यादा बच्चों को चपेट में लिया. इस बार, भारत में नवजात शिशुओं तक को वायरस से प्रभावित होने की रिपोर्ट मिली है, जबकि 2020 में आई पहली लहर के दौरान ऐसा मुश्किल से ही सुनने को मिला था. महाराष्ट्र में मध्य फरवरी से आए 60 फीसद मामलों के पीछे B.1.617 वैरियंट ही था. इस वेरियंट की तीन अलग किस्म सामने आई हैं- B.1.617.2, B.1.617.3 और B.1.617.1.बच्चे क्यों हैं निशाने पर और वैक्सीन क्यों ज़रूरी? कई विशेषज्ञ पहले से ही आगाह कर चुके हैं कि तीसरी लहर का असर बच्चों पर पड़ेगा. वायरोलॉजिस्ट डॉ वी. रवि ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि ये बड़ी आसान सी बात है कि वायरस उस पर हमला करेगा जो इम्यून नहीं होंगे, ‘कुछ लोग वायरस से संक्रमित होकर इम्यून हो गए हैं कुछ को वैक्सीन लग गई है, और जो इन दोनों ही श्रेणी में नहीं आते हैं वो ज्यादा खतरे में हैं.’ पहली और दूसरी लहर में ज्यादा वयस्क संक्रमित हो गए, वयस्कों को वैक्सीन भी लग गई है. जबकि पहली लहर में देश भर में 4 फीसद बच्चे संक्रमित हुए थे और दूसरी लहर में ये संख्या बढ़कर 10-15 फीसद पर पहुंच गयी. इसका मतलब ये है कि 60 फीसद बच्चे अभी भी ऐसे हैं जो खतरे में हैं. न्यूज 18 में लिखे अपने लेख में डॉ. बकुल जे. पारेख और डॉ. समीर एच. दलवाई ने बताया सरकार को मार्च-अप्रैल 2021 के दौरान ही बच्चों के वैक्सीनेशन के बारे में सोचना शुरू कर देना था. क्योंकि इस दौरान बच्चों में संक्रमण का व्यापक असर देखने को मिलने लगा था. यही नहीं इस बार कोविड-19 से प्रभावित बच्चों को अस्पताल में जाने और इंटेसिव केयर की ज़रूरत भी देखने को मिली. बच्चों के कोविड-19 की गिरफ्त में आने से संक्रमित लोगों की संख्या में अपने आप 40 फीसद इज़ाफा हो गया जिन्हें चिकित्सकीय सुविधा की ज़रूरत थी. इसके बाद इसमें कोई दो राय ही नहीं है कि बच्चों और किशोरों को भी तुरंत टीकाकरण कार्यक्रम से जोड़े जाने की ज़रूरत है.
क्या भारत बच्चों की सुरक्षा के लिए तैयार है? विशेषज्ञों की चेतावनी और दूसरी लहर से मची तबाही से सबक लेकर देश के कुछ राज्यों ने एहतियातन अपनी तैयारी शुरू भी कर दी है, जिससे तीसरी लहर आने पर वो बच्चों को उचित सुरक्षा प्रदान कर सकें. इन राज्यों में दिल्ली, कर्नाटक, और महाराष्ट्र जैसे राज्य शामिल हैं जहां कोविड की दूसरी लहर ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई है. दिल्ली ने  इसके लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स बनाने की योजना तैयार कर ली है. दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल का कहना है कि अगर तीसरी लहर आती है, हमें लड़ने के लिए पहले से तैयार रहना होगा, इसके लिए दिल्ली सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं. 1 तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स तैयार की जाएगी. 2 पर्याप्त संख्या में बिस्तर, ऑक्सीजन और ज़रूरी दवाओं का उचित प्रबंधन किया जाएगा. वहीं कर्नाटक के महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय की मंत्री शशिकाल जौले ने कोविड-19 से बच्चों के बचाव के लिए कई घोषणाएं की है, जिसमें सभी जिलों में बालचिकित्सा कोविड केयर सेंटर बनाना और अनाथ बच्चों के लिए आश्रय स्थल भी शामिल है. महाराष्ट्र में भी तीसरी लहर की चेतावनी के चलते बृह्न्मुंबई म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन ने बच्चों की देखरेख के लिए कोविड केयर सेंटर बनाने की घोषणा की है. अधिकारियों का कहना है कि 12 साल की उम्र तक के बच्चों के लिए केंद्र अगले 2 महीने में तैयार हो जाएगा. बाल अधिकार आयोग ने केंद्र और राज्य से मांगा जवाब राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग (एनसीपीसीआर), ने राज्य और केंद्र को तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए उचित कदम उठाने को कहा है. आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण से कहा है कि दूसरी लहर में बच्चों पर असर देखने को मिला है इसे देखते हुए तीसरी लहर के लिए हमें पहले से तैयार रहने की ज़रूरत है. कानूनगो ने स्वास्थ्य मंत्रालय से नवजात शिशुओं को ले जाने वाली एंबुलेंस और दूसरी सुविधाओं के लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी करने की प्रार्थना भी की. बच्चे और वैक्सीन दुनियाभर में ज्यादातर देशों में अभी वयस्कों में वैक्सीन लगने का काम चल रहा है, वहीं कई देश ऐसे भी हैं जहां बच्चों में वेक्सीन लगना शुरू हो गया है. यूएस के डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन की निदेशक रुशेल वेलेन्सकी ने बताया कि यूएस में फाइजर की बायएनटेक की वैक्सीन को मंजूरी मिलते ही हमने 12-15 साल के 6 लाख बच्चों को वैक्सीन का पहला डोज लगवा दिया है. उधर विशेषज्ञ एंथोनी फाउची ने बताया कि 4-6 साल की उम्र वाले बच्चों को 2021 के अंत और 2022 की शुरुआत तक वैक्सीन लग जाएगी. यही नहीं सिंगापुर में जहां बच्चों के स्कूलों को बंद कर दिया गया है वहां 12-15 उम्र के बच्चों को वैक्सीन लगाने का कार्यक्रम भी शुरू कर दिया गया है. स्वास्थ्य मंत्री ओंग ये कुंग का कहना है कि 12 से 15 साल के बच्चों को फाइजर की बायोएनटेक का इन्जेक्शन लगाया जा रहा है. गौरतलब है कि पहले ये वैक्सीन सिर्फ 16 की उम्र तक के लिए मंजूर की गई थी. यूएई भी इसी वैक्सीन का इस्तेमाल बच्चों के लिए कर रहा है. वहीं डब्ल्यूएचओ ने दुनियाभर के अमीर देशों से गुज़ारिश की है कि उन्हें कोवैक्स योजना के तहत गरीब देशों को वैक्सीन दान करने की पहल करनी चाहिए. भारत में वो सुबह कब आएगी? फिलहाल भारत में दो वैक्सीन उपलब्ध हैं और दोनों का ही बच्चों पर असर नहीं देखा गया है. हालांकि भारत बायोटेक ने भारत के औषधि नियंत्रण विभाग से तीसरे फेज की ट्रायल की अनुमति ले ली है. जिसमें 2-18 उम्र के बच्चों पर अगले 10-12 दिन में इसका असर देखना शुरु किया जाएगा. एस्ट्राजेनेका भी 6-17 उम्र समूह पर वैक्सीन का ट्रायल कर रहा है, लेकिन अभी तक कोई नतीजा सामने नहीं आया है. हालांकि फाइजर ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि उसकी सरकार से बातचीत चल रही है और जल्दी ही कोविड-19 वैक्सीन का भारत के लिए रास्ता खुल सकता है. इस दौरान कर्नाटक के बेलगावी में 20 बच्चों को जायडस कैडिला की ZyCoV-D का पहला डोज़ लगाया गया है. ये वैक्सीन भी अपने तीसरे फेज़ के ट्रायल पर है. कुल मिलाकर काम बहुत चल रहा है लेकिन फिर भी अभी यह कहना मुश्किल है कि भारत में 18 से कम उम्र वालों के लिए भारत में वैक्सीन कब उपलब्ध हो पाती है.

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