”UP पंचायत चुनाव, लोकतंत्र का नहीं मौत का त्योहार” इन परिवारों में कोरोना मचा दी तबाही, सरकार ने केवल 3 मौत मानी – Jansatta

उत्तरप्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने कहा है कि पंचायत चुनाव में मृतक शिक्षकों की संख्या 1600 से ऊपर बताकर राज्य में भ्रम फैलाया जा रहा है और इसके लिए विपक्ष जिम्मेदार है।

उत्तरप्रदेश के शिक्षक संगठनों ने कहा है कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले 1,621 कर्मियों की मौत कोरोना संक्रमण की वजह से हुई जबकि सरकारी आंकड़ों में सिर्फ 3 मौतों की बात ही स्वीकारी गई है। (एक्सप्रेस फोटो: अभिषेक साहा )

उत्तरप्रदेश में पिछले दिनों संपन्न हुआ पंचायत चुनाव कई परिवारों के लिए कहर बनकर सामने आया। चुनावी ड्यूटी में लगे कर्मचारियों में से कईयों की मौत कोरोना की वजह से हो गई। कर्मचारियों की बड़ी संख्या में हुई मौतों की वजह से कई परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। लेकिन इसके बावजूद सरकार ने कोरोना की वजह से सिर्फ तीन कर्मचारियों के मौतों की बात ही मानी है। वहीं उत्तरप्रदेश के शिक्षक संगठनों ने कहा है कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले 1,621 शिक्षकों, शिक्षामित्रों और अन्य विभागीय कर्मियों की कोरोना से मौत हुई है। 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर में भी चुनाव में लगे कई कर्मचारियों की मौत कोरोना संक्रमण की वजह से हो गई। लेकिन इसके बावजूद सरकार पूरे राज्य में सिर्फ तीन मौतों के होने का ही दावा कर रही है। गोरखपुर की रहने वाली पार्वती प्रजापति भी पेशे से शिक्षिका थीं और वह पंचायत चुनाव की ट्रेनिंग के दौरान ही कोरोना संक्रमित हो गईं थी। कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद कुछ ही दिनों के बाद ही पार्वती की मौत हो गई। अपने पत्नी की मौत से गुस्साए पति शिवशंकर प्रजापति ने कहा कि पंचायत चुनाव लोकतंत्र का त्यौहार नहीं था बल्कि मौत का त्यौहार था।

पार्वती प्रजापति के मामले को लेकर जब गोरखपुर के डीएम के विजेंद्र पांडियन से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जिन भी कर्मचारियों की मौत ट्रेनिंग लेने के दौरान हुई है उन्हें सरकार द्वारा दी जा रही कोई वित्तीय सहायता नहीं मिलेगी। साथ ही डीएम ने कहा कि ट्रेनिंग के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखा गया था और इसकी अवधि भी सिर्फ एक घंटे ही रखी गई थी। हालांकि डीएम ने यह कहा है कि गोरखपुर जिले में करीब 8 लोगों की मौत चुनावी ड्यूटी के दौरान हुई है। सभी 8 मृतक कर्मचारियों के परिवार वालों को सहायता पहुंचाने के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखा गया है।

हालांकि पार्वती प्रजापति के परिवार वालों की तरह ही राज्य में कई ऐसे परिवार हैं जिन्होंने इस चुनाव में अपने प्रियजनों को खो दिया है लेकिन सरकार यह मानने को तैयार ही नहीं है कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी लगने की वजह से कई कर्मचारियों की मौत हुई है। उत्तरप्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने कहा है कि पंचायत चुनाव में मृतक शिक्षकों की संख्या 1600 से ऊपर बताकर राज्य में भ्रम फैलाया जा रहा है और इसके लिए विपक्ष जिम्मेदार है। साथ ही उन्होंने कहा कि सभी जिला अधिकारियों से मिली सूचना के आधार पर सिर्फ 3 शिक्षकों की ही मौत चुनाव ड्यूटी के दौरान हुई है।

हालांकि उत्तरप्रदेश के शिक्षक संघ ने कहा है कि 1,621 कर्मियों की मौत कोरोना संक्रमण की वजह से हुई है। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा है कि प्रदेश सरकार का यह रवैया सरकार की संवेदनहीनता को भी दर्शाता है। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर ड्यूटी खत्म करने के बाद घर पर किसी कर्मचारी की कोरोना संक्रमण से मौत हुई है तो क्या यह नहीं माना जाना चाहिए कि वो ड्यूटी के दौरान ही इस महामारी की चपेट में आया होगा। लेकिन राज्य के बेसिक शिक्षा विभाग ने अपने बयान में साफ़ कहा है कि राज्य सरकार केवल चुनाव ड्यूटी के दौरान हुई मौतों के लिए अनुग्रह राशि देगी. उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, चुनाव ड्यूटी का मतलब घर से ड्यूटी पर जाने से लेकर घर वापस आने तक है। इस ड्यूटी अवधि के दौरान, यदि कोई मृत्यु हुई है, तो अनुग्रह राशि का भुगतान किया जाएगा।

Related posts