इंदौर में अब तक ब्लैक फंगस के 200 केस: मरीज को कम से कम 7 दिन तक हर रोज 5 इंजेक्शन लगाने पड़ते हैं, बाजार मे… – Dainik Bhaskar

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इंदौर6 घंटे पहले

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इंदौर में कोरोना के साथ ही अब ब्लैक फंगस का कहर बढ़ता जा रहा है। रोजाना 8 से 10 केस नए आ रहे हैं। अकेले महाराज यशवंत राव हॉस्पिटल (एमएचवाय) में ही ब्लैक फंगस इंफेक्शन के 18 मरीज भर्ती हैं। अब तक सभी अस्पतालों का आंकड़ा देखें तो करीब 200 मरीज सामने आ चुके हैं। ब्लैक फंगस के लिए लगने वाले एम्फोसिटिरिन-बी, पोसाकोनाजोल, आईसेबुकोनाजोल इंजेक्शन बाजार में उपलब्ध नहीं हैं।

5 से 8 हजार रुपए तक में मिलने वाले यह इंजेक्शन एक मरीज को रोज 4 से 5 वायल लगते हैं। ऐसे में इंजेक्शन का ही रोज का खर्च 35 से 40 हजार का खर्च है। एक मरीज को कम से कम 7 दिन तो इंजेक्शन लगाना ही पड़ता है। इसके आगे भी इंफेक्शन को देखते हुए इंजेक्शन लगते हैं। इंजेक्शन के साथ सर्जरी भी जरूरी है। फंगस को जल्द पकड़ा जा सके, इसके लिए अब प्रशासन 20 लोगों की एक टीम तैनात कर रही है जो कोरोना से उबरे लोगों पर नजर रखेगी।

संक्रामक नहीं ब्लैक फंगस, लेकिन मृत्युदर 55% तक
मेडिकल कॉलेज में एचओडी मेडिसिन डॉ. वीपी पांडे के अनुसार, ब्लैक फंगस कोरोना की तरह संक्रामक नहीं है। कोविड में मृत्युदर 1 से 2% होती है, लेकिन म्यूकरमाइकोसिस में 55 फीसदी है। समय पर इलाज न मिले तो ना सिर्फ आंख जा सकती है, बल्कि मौत भी हो सकती है।

डॉक्टर जगराम वर्मा का कहना है कि इंजेक्शन के साथ मरीज की सर्जरी भी करना जरूरी होता है। मरीज शुरुआत में ही आ जाए तब भी कम से कम तो 7 दिन इंजेक्शन लगते ही हैं। वैसे संक्रमण को देखकर आगे भी इंजेक्शन देना पड़ता है। फंगस को हटाने के लिए सर्जरी भी करना होता है।

जितने सालभर में इंजेक्शन लगते थे, उसके करीब रोज बिक रहे
ब्लैक फंगस को लेकर लगने वाली दवाई जहां सालभर में पूरे देशभर में 2000 बायल के करीब लगते थे वह अब अकेले इंदौर में प्रतिदिन 1500 वायल के करीब लग रही है। इसके मरीज बड़े तो दवा कंपनियों के पास डिमांड पहुंची और उन्होंने उत्पादन बढ़ाने के लिए कच्चे माल के निर्यात को लेकर जर्मनी की कंपनियों को ऑर्डर दिए।

वहां भी ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या अचानक से बढ़ने पर सरकार ने इसके कच्चे माल के निर्यात पर राेक लगा दी। इसके बाद देशभर की फार्मा कंपनियों ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। इसके संबंध में दो दिन पहले रेसीडेंसी कोठी पर सांसद शंकर लालवानी, कलेक्टर मनीष सिंह और 6 प्रमुख दवा कंपनियों के प्रतिनिधियों, डॉक्टराें, सीएंडएफ, होलसेल और रिटेल केमिस्ट की आपात बैठक बुलाई गई।

फाइजर के पास दवा, लेकिन मात्रा पर्याप्त नहीं
रेसीडेंसी कोठी पर हुई बैठक में सांसद लालवानी ने तब दवा कंपनियों के प्रतिनिधियों से सप्लाय को लेकर जानकारी मांगी तो कंपनियों के प्रतिनिधियों ने पूरे भारत में कच्चे माल की उपलब्धता नहीं होने की बात कह दी। इस मौके पर फाइजर कंपनी के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।

उन्होंने सांसद लालवानी को ब्लैक फंगल बीमारी में लगने वाली दवाई के उपलब्ध होने की जानकारी दी, लेकिन वह भी पर्याप्त मात्रा में नहीं थी। उन्होंने बताया कि कंपनी के पास 50 बायल और 50 कैप्सूल ही उपलब्ध हैं। आगामी दिनों में भी दवाई का स्टॉक कब तब आ पाएगा इसके बारे में भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं थी। यह स्टॉक भी मीटिंग के अगले दिन ही खत्म हो गया।

प्रतिदिन 800 से 1000 इंजेक्शन की खपत
डॉक्टरों ने चर्चा में बताया कि ब्लैक फंगस के मरीज प्रतिदिन 8-10 बढ़ रहे हैं। ऐसे में प्रतिदिन 800 से 1000 इंजेक्शन की खपत भी बढ़ती जा रही है। आगामी दिनों यह जरूरत प्रतिदिन के हिसाब से 1500 से बढ़कर 2500 तक पहुंच सकती है।

इंदौर रिटेल केमिस्ट ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष मनीष जैन का कहना है कि शहरभर में जो भी स्टॉक था वह एक सप्ताह भी नहीं टिक पाया और कब तक आएगा इसके बारे में कोई कंपनी स्पष्ट जानकारी नहीं दे रही। हम इस मुश्किल घड़ी में समन्वय की भूमिका निभाने के लिए तत्पर हैं।

अब अस्पताल में पहुंचाएंगे ब्लैक फंगस का इंजेक्शन
सांसद लालवानी ने बताया कि कच्चे माल की उपलब्धता को लेकर हमने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया डॉ. वीजी सोमानी, मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को पत्र भी लिखा है। साथ ही इस इंजेक्शन की कालाबाजारी ना शुरू हो जाए इसके लिए एहतियात के तौर पर हम रेमडेसिविर और टोसी इंजेक्शन की तर्ज पर इसे भी सीधे अस्पतालों में ही पहुंचाने को लेकर रणनीति बना रहे हैं।

20 लोगों की टीम पोस्ट कोविड वालों से लेगी फीडबैक
एक अलग से 20 लोगों की टीम बना रहे हैं जो कि कॉल सेंटर के माध्यम से पोस्ट कोविड निगेटिव वाले मरीजों को फोन करके उनसे फीडबैक लेंगे। साथ ही उन्हें नियमित तौर पर अपना शुगर लेवल चेक करने के बारे में भी कहेंगे।

उन्होंने बताया कि बैठक में डॉक्टरों से आव्हान किया गया है कि वे ब्लैक फंगस से जुड़े मामलों पर वीडियो बनाकर भेजें। साथ ही शहरभर के ईएनटी वालों से भी संपर्क किया जा रहा है। ताकि अस्पतालों में ईएनटी के मरीजों का रेग्यूलर चेकअप शुरू किया जाए।

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