Gangwar in Chitrakoot jail: NIA अफसर का कत्ल, वेस्ट यूपी में खौफ का नाम… चित्रकूट जेल में ढेर गैंगस्टर मुकीम काला की पूरी कुंडली – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • वेस्‍ट यूपी के कैराना समेत आसपास के इलाकों में आतंक का पर्याय था मुकीम काला
  • कैराना में पलायन के पीछे मुख्य आरोपी मुकीम काला जहानपुरा गांव का रहने वाला था
  • शुक्रवार को चित्रकूट जेल के अंदर हुई गैंगवॉर में मुकीम काला की मौत, दो अन्य भी ढेर

लखनऊ/चित्रकूट
वेस्ट यूपी में आतंक का पर्याय रहे कुख्यात मुकीम काला की शुक्रवार को चित्रकूट जेल के अंदर हुई गैंगवॉर में मौत हो गई। जेल में मारा गया मुकीम काला वही अपराधी है, जिसने NIA ऑफिसर तंजील अहमद को दिन दहाड़े मौत के घाट उतार दिया था। कहा जाता है कि मुकीम काला ने तंजील अहमद को मारने से पहले प्रैक्टिस के तौर पर लखनऊ में निर्दोष होटल मैनेजर की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

वेस्‍ट यूपी के कैराना समेत आसपास के इलाकों में मुकीम काला आतंक का पर्याय रहा था। कैराना में पलायन के पीछे मुख्य आरोपी मुकीम काला ही था। काला कैराना क्षेत्र के गांव जहानपुरा का रहने वाला था। बीते साल मुकीम काला की मां मीना ने इलाहबाद हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था। इसमें उन्होंने आशंका जताई थी कि काला का एनकाउंटर हो सकता है। आइए जानते हैं मुकीम काला कैसे आतंक का पर्याय बना।

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अपराध की दुनिया में ऐसे आया मुकीम काला

जानकारी के मुताबिक, मुकीम काला 20 साल पहले अन्य मजदूरों के साथ मकान निर्माण में चि‍नाई मिस्त्री के साथ मजदूरी करता था। पानीपत में हुई डकैती से उसके जुर्म की शुरुआत हुई। मुकीम काला ने पहली वारदात हरियाणा के पानीपत में एक मकान में डकैती डालकर की। इस मामले में मुकीम काला जेल गया था। उसके बाद उसने अपराध की दुनिया में अपने कदम आगे बढ़ा दिए।

वेस्ट यूपी और हरियाणा-उत्तराखंड में भी काला का आतंक
मुकीम काला का खौफ वेस्ट यूपी के अलावा हरियाणा के पानीपत और उत्तराखंड के देहरादून जिलों तक फैला था। कहा जाता है कि जेल से बाहर आने के बाद मुकीम काला ने दादागिरी के साथ चोरी और राहजनी भी शुरू कर दी थी। जेल में ही उसकी मुलाकात सहारनपुर जिले के बाढ़ी माजरा थाना गंगोह के मुस्तफा उर्फ कग्गा से हुई। तब काला ने कग्गा से गैंग में शामिल होने की बात कही थी। इसके बाद मुस्तफा उर्फ कग्गा ने उसे अपने गैंग में शामिल कर लिया था। काला के आने के बाद कग्गा का गैंग और अधिक मजबूत हो गया था।

ऐसे बना गिरोह का सरदार
पुलिस के मुताबिक, दिसबंर 2011 में पुलिस एनकाउंटर में मुस्तफा उर्फ कग्गा मारा गया। मुस्तफा के मारे जाने के बाद मुस्तकीम काला ने कग्गा गैंग की कमान अपने हाथ में ले ली और वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया। मुकीम काला के गैंग में डेढ़ दर्जन से अधिक बदमाश शामिल थे और दो सालों में उसने हत्या, लूट, रंगदारी समेत कई जघन्य वारदातों को अंजाम दिया था।

2015 में पकड़ा गया काला
मुकीम काला को पकड़ने के लिए पुलिस ने कई बार प्लान बनाया, लेकिन हर बार वह पुलिस की आंखों में धूल झोंककर फरार हो जाता था। अक्तूबर 2015 में पुलिस ने मुकीम काला को उसके साथी साबिर के साथ गिरफ्तार किया था। काला को गिरफ्तार करने के बाद सहारनपुर जेल में रखा गया था लेकिन बाद में उसे महाराजगंज जिला जेल में शिफ्ट किया गया था।












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जेल से गैंग चलाता रहा मुकीम काला
कहा जाता है कि पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद भी मुकीम काला का नेटवर्क जारी रहा। काला लगातार जेल के अंदर से ही अपने गैंग को आदेश दिया करता था। बताया जाता है कि काला भले ही जेल में हो लेकिन उसके साथी लगातार वसूली करते थे।

काला पर दर्ज थे 30 से अधिक मुकदमें
पुलिस के अनुसार, मुकीम काला के ऊपर करीब अलग-अलग थानों में 30 से अधिक अपराधिक मुकदमें दर्ज थे। इसमें लूट, हत्या, डकैती और जबरन रंगदारी वसूलना है। सहारनपुर में ज्वैलर्स के यहां हुई डकैती में भी मुकीम काला का नाम सामने आया था।

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