न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लुधियाना (पंजाब)
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Fri, 14 May 2021 05:08 PM IST
सार
डीएमसी के ईएनटी विभाग के हेड डॉक्टर मनीष मुंजाल ने बताया कि पिछले एक माह के दौरान उनके पास ब्लैक फंगस के दस मामले आ चुके हैं। 13 मई को उनके पास ब्लैक फंगस के चार मरीज आए।
पंजाब में ब्लैक फंगस के केस सामने आए
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
पंजाब में भी ब्लैक फंगस ने दस्तक दे दी है। लुधियाना में बारह से ज्यादा लोग ब्लैक फंगस की चपेट में आ चुके हैं। इसमें ज्यादातर पीड़ितों का इलाज दयानंद मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। वहीं पांच मरीज ऐसे हैं जिनके दिमाग तक फंगस पहुंच चुकी है। लुधियाना के डॉक्टर रमेश सुपर स्पेशियलिटी आई एंड लेजर सेंटर में अभी ब्लैक फंगस का एक मामला सामने आया है, मरीज की हालत को देखते उसे पीजीआई रेफर किया गया है।
डीएमसी के ईएनटी विभाग के हेड डॉक्टर मनीष मुंजाल ने बताया कि पिछले एक माह के दौरान उनके पास ब्लैक फंगस के दस मामले आ चुके हैं। 13 मई को उनके पास ब्लैक फंगस के चार मरीज आए, जिनकी आंख के नीचे, नाक और साइनस में ब्लैक फंगस थी। उनके फेफड़े खराब होने के कारण अभी आपरेशन नहीं किया जा सकता। पांच मामले नेत्र विभाग के पास आए थे, जिनका आपरेशन कर आंख निकालनी पड़ी। न्यूरो विभाग में भी लगभग ऐसे चार मामले आ चुके हैं। अभी तक जितने भी लोगों में ब्लैक फंगस मिला है, वह सभी कोरोना मरीज रह चुके हैं।
कोरोना को हरा चुके मरीजों को अपना शिकार बना रहा ब्लैक फंगस
फोर्टिस अस्पताल लुधियाना में नेत्र रोग विभाग की एसोसिएट कंसल्टेंट डॉ. शैफी बैदवालने बतातीं हैं कि कोरोना संक्रमण शरीर के हर अंग को प्रभावित करता है। आंखों पर इसका ज्यादा विपरीत प्रभाव सामने आ रहा है। कोरोना को हरा चुके मरीजों को यह अपना शिकार बना रहा है। इससे व्यक्ति के देखने की क्षमता खत्म हो जाती है। यह बीमारी कोरोना से रिकवरी के कई सप्ताह बाद हो सकती है। मिट्टी, पौधे, खाद, फल और सब्जियों में सड़न होने के कारण ब्लैक फंगस वायरस पैदा हो रहा है। यह वायरस सेहतमंद व्यक्ति की नाक, बलगम में मौजूद हो सकता है। जिन लोगों का पाचन तंत्र कमजोर होता है, उन पर जल्दी से हमला करता है। कॉर्टिकोस्टेराइड थैरेपी ले रहे और आईसीयू में वेंटिलेटर पर चल रहे मरीजों में इस इंफेक्शन के होने की संभावना ज्यादा रहती है।
माना जा रहा है कि कोविड-19 के गंभीर मरीजों के इलाज में जीवन रक्षक के तौर पर उपयोग किए जा रहे स्टेरायड की वजह से इस इंफेक्शन की शुरुआत हो रही है। यह स्टेरायड फेफड़ों की सूजन को कम करता हैं, लेकिन इससे इम्युनिटी भी कम हो रही है। जब फंगस पैरा नेसल साइनस म्यूरोसा पर हमला करता है तो यह दिमाग तक भी पहुंच जाता है।
नाक के शुष्क होने पर उसमें से खून बहना और सिरदर्द इसके आम लक्षण हैं। नर्म कोशिकाओं और हड्डी में घुसने पर इस इंफेक्शन के कारण स्किन पर काले धब्बे बनने लगते हैं। इसके साथ ही आंखों में दर्द और सूजन, पलकों का फटना व धुंधला दिखना भी ब्लैक फंगस के संकेत हो सकते हैं। इससे मरीज की मानसिक हालत में बदलाव आने के साथ-साथ उसे दौरे भी पड़ सकते हैं। गंभीर होने पर मरीज की जान बचाने के लिए उसकी आंख को हटाना जरूरी हो जाता है। ऐसी स्थिति में पहुंचने पर मरीज की देखने की शक्ति को नहीं बचाया जा सकता।
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कोरोना को हरा चुके मरीजों को अपना शिकार बना रहा ब्लैक फंगस