Himanta Biswa Sarma Swearing-in: असम में आखिर सर्बानंद सोनोवाल की जगह बीजेपी ने हिमंत बिस्व सरमा को क्यों दिया सीएम पद? – News18 हिंदी

सरमा (बाएं) चार बार से विधायक और वर्ष 2001 से ही असम सरकार के मंत्री हैं. (फ़ाइल फोटो)

Himanta Biswa Sarma: असम में बीजेपी को लगातार दूसरी बार जीत दिलाने के बावजूद सर्बानंद सोनोवाल को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी क्यों नहीं दी गई? इसके अलावा सवाल ये भी उठता है कि आखिर हिमंत बिस्व सरमा कैसे सीएम की रेस में बाज़ी मार ले गए?

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नई दिल्ली. असम में भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद हिमंत बिस्व सरमा आज दोपहर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. सर्बानंद सोनोवाल (Sarbananda Sonowal) सीएम की रेस में पीछे रह गए. लंबी खींचतान के बाद बीजेपी विधायक दल की बैठक में सरमा को सीएम बनाने का फैसला किया गया. साल 2014 से लेकर अब तक सरमा की ताकत काफी ज्यादा बढ़ी है. सवाल उठता है कि आखिर क्यों असम में लगातार दूसरी बार जीत के बावजूद सोनोवाल को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी नहीं दी गई? इसके अलावा सवाल ये भी उठता है कि आखिर हिमंत बिस्व सरमा कैसे सीएम की रेस में बाज़ी मार ले गए? बीजेपी नेताओं से पूछा जाए तो वो इसका कोई अधिकारिक जवाब नहीं देंगे. सरमा चार बार से विधायक और वर्ष 2001 से ही असम सरकार के मंत्री हैं. कहा जाता है कि वो हर मुश्किल हालात में काम करने के लिए तैयार रहते हैं. उनकी इस विशेषता का पुरस्कार उनके पूर्व मेंटर- पूर्व कांग्रेस मुख्यमंत्री हितेश्वर सैकिया और तरुण गोगोई- ने भी दिया और उन्हें ऊंचाई पर पहुंचने का मौका दिया. गोगोई द्वारा उनकी महत्वकांक्षा को समझने के बाद मतभेद हुआ और सरमा ने वर्ष 2015 में कांग्रेस छोड़ दी. इसके बाद वर्ष 2015 में उन्होंने कांग्रेस, मंत्रिमंडल और बाद में विधानसभा से भी इस्तीफा दे दिया. अगस्त 2015 में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर हुई बैठक के बाद सरमा भाजपा में शामिल हुए. काम के दम पर मिली जिम्मेदारी हिमंत बिस्व सरमा अपने काम के लिए जाने जाते हैं. कहा जाता है कि वो जो ठान लेते हैं उसे कर के रहते हैं. चाहे वो असम में CAA का मुद्दा हो या फिर NRC का. वो वहां के लोगों की भावनाओं से अच्छी तरह वाकिफ हैं. उन्हें ये अच्छे से पता है कि वहां के लोग क्या चाहते हैं. वह कांग्रेस के दो मुख्यमंत्रियों के साथ वर्षों तक काम करने के दौरान भी अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़संकल्पित रहे.ये भी पढ़ें:- पुणे के अजय मुनोत ने पेश की मिसाल, 14 बार डोनेट कर चुके हैं प्‍लाज्‍मा जमकर की मेहनत असम में वित्त मंत्री रहते हुए भी सरमा ने जमकर काम किए. असम ऐसा पहला राज्य था जहां सबसे पहले जीएसटी लागू किया गया. इसके अलावा उन्होंने असम की सबसे लोकप्रिय अरुनोदय स्कीम को लॉन्च किया. इसके तहत हर बेरोज़गार महिला को सालाना 8 हज़ार रुपये दिए गए.

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शाह के करीबी! कहा ये भी जा रहा है कि अमित शाह के करीबी होने के चलते सरमा को सीएम पद की जिम्मेदारी दी गई. इसमें कोई शक नहीं है कि असम में सोनेवाल के बाद वो दूसरे नंबर के नेता थे. सरमा की बीजेपी के खेमे में काफी मजबूत पकड़ थी. राज्य के हर बड़े फैसले में उन्हें शामिल किया गया. सरमा को भाजपा ने तत्कालीन पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सर्वानंद सोनोवाल के साथ असम में भाजपा के चुनाव प्रबंधन समिति का समन्वयक बनाया और पार्टी वर्ष 2016 में राज्य की सत्ता में आई. राज्य मंत्रिमंडल में भी उन्हें अहम वित्त, स्वास्थ्य, शिक्षा और लोक निर्माण विभाग मिले जिससे वह सोनोवाल सरकार में सबसे ताकतवर मंत्री बन गए.

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