AIIMS ने तीसरी लहर के लिए किया आगाह, कहा- हो सकती है ज्यादा खतरनाक, बच्चों के टीके पर कही ये बात – दैनिक जागरण

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि देश में इस्तेमाल होने वाले दोनों टीके का बच्चों पर ट्रायल हो रहा है। दूसरे देशों में भी ट्रायल चल रहे हैं। उम्मीद है कि कुछ सप्ताह में सेफ्टी ट्रायल का डाटा आएगा। वैसे कोवैक्सीन के बारे में यह दवा किया जाता है कि उसे 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों को दिया जा सकता है। लेकिन, 12 साल से कम व छह साल से अधिक उम्र के बच्चों पर भी ट्रायल हो रहा है।

तीसरी लहर के बारे मेें कहा ये हो सकता है गंभीर

उन्होंने कहा कि माना जा रहा है कि तीसरी लहर आने पर जिन्हें संक्रमण नहीं हुआ वे बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। जिस तरह पहली लहर में बुजुर्ग व दूसरी लहर में युवा अधिक संक्रमित हुए उसी तरह तीसरी लहर में बच्चे अधिक संक्रमित हो सकते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि बच्चों पर टीके का ट्रायल जल्द खत्म हो। बच्चों पर टीके की सुरक्षा का डाटा आए तो जल्द उन्हें भी टीका लगाना जरूरी है।

कब आएगा दूसरी लहर का चरम

गुलेरिया के अनुसार संक्रमण अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग समय पर चरम पर पहुंच रहा है। ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र व पश्चिमी राज्यों में अब धीरे-धीरे मामले कम हो जाएंगे। 15 या 20 मई से दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में तेजी से मामले कम होंगे। बंगाल सहित पूर्वी राज्यों में अभी कुछ समय तक संक्रमण अधिक रहेगा। इस बात की संभावना है कि चार से छह सप्ताह में पूरे देश में कोरोना की दूसरी लहर से राहत मिलेगी। इसके लिए जरूरी है कि सभी लोग कोरोना से बचाव के नियमों का सही तरीके से पालन करें। जहां लाकडाउन है वहां उसका सख्ती से पालन किया जाए। 

उन्होंने कहा कि मोनोक्लोनल एंटीबाडी दवा को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिली है। यह दूसरे देशों में भी उपलब्ध है। भारत की एक कंपनी ने बाहर की कंपनी से समझौता किया है। लेकिन यह हल्के संक्रमण के इलाज के लिए है। अस्पतालों में भर्ती कम गंभीर व गंभीर मरीजों के लिए यह नहीं है। ट्रायल का जो डाटा है उसमें यह देखा गया है कि कोरोना के हल्के संक्रमण से पीड़ित जिन मरीजों की उम्र अधिक है या पहले से कोई बीमारी है, जैसे अधिक वजन, किडनी की बीमारी, जो डायलिसिस पर हैं, कैंसर के मरीज और जो कीमोथेरेपी पर हैं उन्हें मोनोक्लोनल एंटीबाडी शुरुआत में ही देने पर बीमारी गंभीर नहीं होती। लेकिन, गंभीर मरीजों के लिए यह फायदेमंद नहीं है। यह दवा महंगी भी है। इसके अलावा भी कई दवाओं का ट्रायल चल रहा है लेकिन अभी तक ऐसी कोई दवा नहीं आई जो बहुत ज्यादा असरदार हो। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 2-डीआक्सी डी-ग्लूकोज नाम की एक दवा विकसित की है, इसके परिणाम उत्साहजनक है। यह दवा संक्रमण होने पर वायरस को अपनी संख्या ब़़ढ़ाने से रोक सकती है। मरीज को आक्सीजन पर निर्भरता कम हो सकती है और मरीज को जल्दी अस्पताल से छुट्टी मिल सकती है। लेकिन, अभी और शोध व डाटा सामने आने के बाद ही पता चल सकेगा कि इससे कोरोना के इलाज में कितना फर्क प़़ड़ता है।

ठीक होने के दो सप्ताह बाद लें टीका

कोरोना से बिल्कुल ठीक होने के कम से कम दो सप्ताह के बाद टीका लगवा सकते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि चार से छह सप्ताह बाद टीका लेना चाहिए। लेकिन कम से कम दो सप्ताह इंतजार जरूर करना चाहिए।

जल्द चार टीके उपलब्ध हो जाएंगे

उन्होंने कहा कि दो टीके पहले से उपलब्ध हैं। स्पूतनिक टीके को कुछ समय पहले मंजूरी मिल ही चुकी है। अब जायडस कैडिला द्वारा विकसित टीके का ट्रायल भी पूरा हो गया है। इसके आने पर चार टीके उपलब्ध हो जाएंगे। इसके अलावा फाइजर के टीके की भी आने की संभावना है।

शॉर्ट मे जानें सभी बड़ी खबरें और पायें ई-पेपर,ऑडियो न्यूज़,और अन्य सर्विस, डाउनलोड जागरण ऐप

Related posts