Corona News : कोरोना के खिलाफ हर्ड इम्यूनिटी जल्द बनने के आसार नहीं, यूं ही कहर बरपाता रहेगा वायरस: एक्सपर्ट्स – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • हर्ड इम्यूनिटी तब तैयार होता है जब बड़ी आबादी वायरस के खिलाफ इम्यून हो जाती है
  • हर्ड इम्यूनिटी वायरस के खिलाफ ऐंटिबॉडी बनने या फिर टीका लगवाने से तैयार होती है
  • लेकिन कोरोना वायरस के म्यूटेंट्स ने हर्ड इम्यूनिटी के फॉर्म्युले को चुनौती दी है

नई दिल्ली
याद होगा कि देश में कोरोना की पहली लहर के दौरान हर्ड इम्यूनिटी (Herd Immunity against Corona) को लेकर खूब बातें हुई थीं। तब स्वास्थ्य विशेषज्ञों (Health Experts) ने कहा था कि जब किसी इलाके में ज्यादातर लोग संक्रमित हो जाएंगे तो उनके शरीर में ऐंटिबॉडी बनेगी जो भविष्य में कोरोना से से रक्षा करेगी। अब एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना के नए-नए म्यूटेंट्स ने इस थिअरी को जबर्दस्त चुनौती दे रहे हैं।

निकट भविष्य में हर्ड इम्यूनिटी की संभावना नहीं

देश के हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि निकट भविष्य में हर्ड इम्यूनिटी तैयार नहीं हो पाएगी, इस कारण कोरोना वायरस यूं ही फैलता रहेगा। उन्हें लगता है कि कोविड से मौतें और अस्पतालों में भर्तियां होती रहेंगी, लेकिन अब से करीब छह से नौ महीने के बाद इनमें कमी आएगी। हर्ड इम्यूनिटी तब तैयार होता है जब आबादी का बड़ा हिस्सा वायरस के खिलाफ इम्यून हो जाता है। इसके दो तरीके हैं- वायरस का संक्रमण या फिर टीकाकरण। ऐसी स्थिति में जिनका वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा तंत्र दुरुस्त नहीं है, वो भी संक्रमण के खतरे से बाहर हो जाएंगे क्योंकि बड़ी आबादी का इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होने के कारण वायरस के लिए एक से दूसरे में घुसने की गुंजाइश नहीं के बराबर बचेगी।

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हर्ड इम्यूनिटी नहीं, हर्ड प्रॉटेक्शन कहिए, जनाब

पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PHFI) के प्रेसिडेंट के श्रीनाथ रेड्डी कहते हैं, “यह वास्तव में हर्ड प्रॉटेक्शन है ना कि हर्ड इम्यूनिटी। वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी विकसित नहीं कर पाने वाला व्यक्ति अगर वैसी जगह जाता है जहां फैल रहा हो तो उसे भी संक्रमण हो सकता है। हर्ड इम्यूनिटी आबादी पर आधारित है, किसी व्यक्ति पर नहीं।” रेड्डी ने कहा कि आज की दुनिया में लोग अक्सर यहां से वहां जाते-आते रहते हैं। ऐसे में कोरोना के खिलाफ नॉन-इम्यून लोग अब भी संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। इसलिए, बेहतर है कि हर व्यक्ति कोविड से सुरक्षा प्रदान करने वाला टीका लगवा ले। वरिष्ठ महामारी विशेषज्ञ गिरिधर बाबू ने कहा, “वायरस के खिलाफ हमारी लड़ाई लंबी चलने वाली है।”

वायरस को हराते रहने की तैयारी ही एकमात्र उपाय

यूके जैसे देशों में कोविड कहीं न कहीं नियंत्रण में दिखने लगा है क्योंकि वहां लॉकडाउन के साथ जोरदार टीकाकरण अभियान भी चलाया गया। 3 मई को यूके में सिर्फ 1,649 नए कोरोना केस सामने आए और महज एक मरीज की मौत हुई। हालांकि, फ्रांस में मध्य अप्रैल तक हर दिन 25 हजार के करीब नए केस आते रहे। जर्मनी और स्पेन में अक्टूबर महीने में और फिर इस वर्ष की शुरुआत में पीक आया। अक्टूबर से जनवरी के बीच वहां कम केस देखे गए थे। गिरिधर बाबू कहते हैं, “हमें स्वास्थ्यकर्मियों की तगड़ी फौज और संसाधनों का भंडार यूं ही तैयार रखना है ताकि कोरोना की जितनी भी लहर आए, हम उसका तब तक मुकाबला करते रहें जब तक कि उसका खात्मा नहीं हो जाए।” उन्होंने कहा कि टीकाकरण कोरोना के खिलाफ हमारा सबसे ताकतवर हथियार है।

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वायरस की रफ्तार तेज, टीकाकरण की धीमी

देश में कोरना वायरस के वेरियेंट्स तेजी से फैल रहे हैं जबकि टीकाकरण की रफ्तार धीमी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसे में हर्ड इम्यूनिटी विकसित होने में देर होगी। चूंकि वायरस तेजी से अपना रूप बदल रहा है और हर म्यूटेशन के पास संक्रमण का अपना अलग-अलग तरीका होता है, इसलिए दिक्कत यह है कि अगर आप किसी म्यूटेंट से संक्रमित होकर कोविड से उबर भी जाते हैं तो दूसरे म्यूटेंट से संक्रमित होने का खतरा बना रहता है। फोर्टिस सी-डॉक के चेयरमैन अनूप मिश्रा कहते हैं कि शुरुआती दौर में माना जाता था कि इलाज के बाद ठीक हो जाने वाला संक्रमित व्यक्ति कोरोना के प्रति इम्यून हो जाता है, लेकिन अब ऐसा नहीं लग रहा है।

हर्ड इम्यूनिटी की थिअर पर ही सवाल

वहीं, डॉ. रेड्डी कहते हैं कि कोविड-19 के खिलाफ हर्ड इम्यूनिटी का पैमाना क्या है, यह आज तक तय नहीं हो पाया है। इतना जरूर पता है कि संक्रमण के बाद जिनके शरीर में एंटिबॉडीज बन रहे हैं, वो कुछ महीनों में ही खत्म हो जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “ऐसे में टीका लगवाना ही बेहतर है। इसकी दूसरी डोज लगते ही शरीर में उचित मात्रा में एंटिजेन तैयार हो जाता है। एंटिबॉडी सर्वे के आधार पर यह कहना है कि हमने हर्ड इम्यूनिटी विकसित कर ली है, एक गलती होगी। हमने सालभर पहले ही हर्ड इम्यूनिटी के भ्रमजाल के प्रति सचेत किया था।”

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सांकेतिक तस्वीर।

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