पश्चिम बंगाल की हिंसा में 12 लोगों की मौत, बीजेपी-टीएमसी में आरोप-प्रत्यारोप – BBC हिंदी

  • प्रभाकर मणि तिवारी
  • कोलकाता से, बीबीसी हिंदी के लिए

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पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजों के सामने आते ही राज्य के विभिन्न हिस्सों से बड़े पैमाने पर हिंसा की ख़बरें सामने आने लगी हैं. बीजेपी का आरोप है कि चुनाव में अप्रत्याशित जीत के बाद टीएमसी के समर्थकों ने जगह-जगह पार्टी कार्यकर्ताओं पर हमले शुरू कर दिए हैं.

दूसरी ओर, टीएमसी ने इसे बीजेपी की अंतर्कलह का नतीजा बताया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ़ोन पर राज्यपाल जगदीप धनखड़ से बातचीत में हिंसा से उपजी हालत का जायज़ा लिया. उन्होंने राज्य में जारी हिंसा पर गहरी चिंता जताई है. ख़ुद राज्यपाल ने अपने एक ट्वीट में इसकी जानकारी दी है.

सोशल मीडिया पर तस्वीरें और वीडियो

पश्चिम बंगाल में हिंसा

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रविवार को चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद से ही सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर हिंसा की तस्वीरों और वीडियो के साथ तमाम दावे किए जा रहे हैं. ऐसी पोस्ट और ट्वीट्स की तादाद इतनी ज़्यादा है कि स्वतंत्र रूप से उनकी पुष्टि संभव नहीं है.

लेकिन इससे राज्य में ख़ासकर ग्रामीण इलाक़ों में भ्रम और आतंक का माहौल पैदा हो गया है. इस मुद्दे पर विवादास्पद ट्वीट की वजह से अभिनेत्री कंगना रनौत का ट्विटर अकाउंट भी सस्पेंड कर दिया गया है.

पुलिस के मुताबिक़, रविवार रात से अब तक राज्य के अलग-अलग इलाक़ों में हुई झड़पों में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई. पुलिस ने यह नहीं बताया है कि मृतक किस पार्टी से जुड़े थे. लेकिन बीजेपी का दावा है कि उसके कम से कम छह लोग हिंसा में टीएमसी कार्यकर्ताओं के हाथों मारे गए हैं.

टीएमसी ने भी अपने चार लोगों की मौत होने का दावा किया है, जबकि एक व्यक्ति को इंडियन सेक्यूलर फ़्रंट का समर्थक बताया गया है.

इसके अलावा कई इलाक़ों में पार्टी दफ़्तरों में आग और घरों में तोड़-फोड़ की ख़बरें भी सामने आई हैं. हिंसा के आरोप में पुलिस ने राज्य के विभिन्न इलाक़ों से अब तक 26 लोगों को गिरफ़्तार किया है.

पश्चिम बंगाल में नतीजों के बाद हिंसा

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केंद्र ने माँगी रिपोर्ट

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस हिंसा पर गहरी चिंता जताते हुए राज्य सरकार से इस मामले पर रिपोर्ट माँगी है. राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी अपने एक ट्वीट में चिंता जताते हुए पुलिस प्रशासन से इस पर अंकुश लगाने को कहा है.

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा चुनाव बाद के हालात का जायज़ा लेने मंगलवार को दो दिन के दौरे पर यहाँ पहुँचे हैं. दूसरी ओर, ममता बनर्जी ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि बुधवार को उनके शपथ नहीं लेने तक क़ानून और व्यवस्था की ज़िम्मेदारी चुनाव आयोग पर है.

लेकिन हिंसा पर अंकुश लगाया जाना चाहिए. बीजेपी ने इस हिंसा के विरोध में पाँच मई को पूरे देश में धरना देने का एलान किया है.

हिंसा की ख़बरों के बाद राज्यपाल ने सोमवार शाम को पुलिस महानिदेशक नीरज नयन पांडे और कोलकाता पुलिस के आयुक्त सौमेन मित्र के अलावा गृह सचिव हरिकृष्ण द्विवेदी के साथ बैठक में परिस्थिति की समीक्षा की और ज़रूरी क़दम उठाने का निर्देश दिया.

उसके बाद ममता बनर्जी के साथ बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई. उसके बाद ममता ने पत्रकारों से कहा, “बीजेपी और केंद्रीय सुरक्षा बलों ने चुनाव के दौरान बहुत अत्याचार किए हैं. लेकिन मैं लोगों से शांति बहाल करने की अपील करती हूँ. हमारी प्राथमिकता कोरोना से लड़ना है. आपस में शांति बनाए रखें.”

ममता का दावा है कि ख़ासकर बंगाल के कूचबिहार समेत कई इलाक़ों में बीजेपी हिंसा फैला रही है. उसके कार्यकर्ता चुनाव हारने की हताशा में टीएमसी के लोगों पर हमले कर रहे हैं.

बीजेपी का आरोप – पुलिस बनी मूकदर्शक

दूसरी ओर, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष सवाल करते हैं, “आख़िर इतनी बड़ी जीत के बावजूद हिंसा क्यों हो रही है? पुलिस के सामने ही हमले हो रहे हैं. लेकिन वह मूकदर्शक बनी है. अगर मुख्यमंत्री इसकी ज़िम्मेदारी नहीं लेतीं, तो कौन लेगा?”

बीजेपी के नेताओं ने राज्यपाल से मुलाक़ात की

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बीजेपी के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाक़ात कर हिंसा की शिकायत करने के अलावा केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी इस बारे में पत्र भेजा है.

टीएमसी नेता शोभदेव चटर्जी कहते हैं, “बीजेपी ने पूर्व बर्दवान में हमारे तीन समर्थकों की हत्या कर दी है. इसके अलावा हुगली ज़िले के खानाकुल में टीएमसी नेता देबू प्रामाणिक (55) की हत्या कर दी है.”

वैसे, पूर्व बर्दवान ज़िले में भड़की हिंसा में जिन चार लोगों की मौत हुई है, उनमें एक महिला शामिल है. उस महिला के बीजेपी समर्थक की माँ होने का दावा किया जा रहा है.

वहाँ मृत गणेश मल्लिक (60) के पुत्र मनोज बताते हैं, “मेरे पिता टीएमसी के कार्यकर्ता थे. बीजेपी के लोगों ने उनके साथ काफ़ी मारपीट की. बाद में उन्होंने बर्दवान मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दम तोड़ दिया.”

बर्दवान के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कल्याण सिंह राय बताते हैं, “हिंसा में एक महिला समेत चार लोगों की मौत हुई है. फ़िलहाल हम इम मामलों की जाँच कर रहे हैं. अब तक छह लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.”

हिंसा की ख़बरें राज्य के विभिन्न हिस्सों से आ रही हैं. इनमें नदिया और बर्दवान के अलावा हुगली और मेदिनीपुर जैसे ज़िले भी शामिल हैं. बीजेपी नेता दिलीप घोष कहते हैं, “टीएमसी समर्थकों ने नदिया में उत्तम घोष नामक एक कार्यकर्ता की हत्या कर दी है.”

हालाँकि टीएमसी ने उनके दावे को ख़ारिज कर दिया है. ज़िला पुलिस के एक अधिकारी बताते हैं, “मृतक कई समाजविरोधी गतिविधियों में शामिल था. उसकी हत्या की वजह निजी दुश्मनी हो सकती है.”

उत्तरी बंगाल में भी हिंसा

कूचबिहार ज़िले के शीतलकुची इलाक़े में मानिक मैत्र (20) नामक एक युवक की गोली लगने से मौत के बाद टीएमसी और बीजेपी के नेता उसके अपना समर्थक होने का दावा करते रहे. लेकिन मृतक के चाचा कार्तिक मैत्र ने कहा, “मानिक किसी भी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ा था.”

ज़िले के दिनहाटा में एक कथित बीजेपी समर्थक की मौत के बाद इलाक़े में तनाव है. बीजेपी नेता मालती राभा राय कहती हैं, “टीएमसी के गुंडों ने हाराधन को घर से खींच कर बाहर निकाला और उसकी हत्या कर दी. पुलिस और प्रशासन ने इस बारे में चुप्पी साध रखी है.”

लेकिन ज़िला टीएमसी के नेता अब्दुल जमील अहमद दावा करते हैं, “चुनाव के नतीजों के बाद से ही बीजेपी ने इलाक़े में आतंक फैला रखा है. बीजेपी की आपसी अंतर्कलह की वजह से ही उसके कार्यकर्ता मारे गए हैं. हमारी पार्टी का इन मामलों से कोई लेना-देना नहीं है.”

ममता ने कहा फ़िलहाल चुनाव आयोग की ज़िम्मेदारी है

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पुलिस ने बताया है कि उत्तर 24-परगना ज़िले के कदमगाछी इलाक़े में हसनूर जमान नामक एक आईएसएफ़ कार्यकर्ता की हत्या हो गई है. लेकिन अब तक किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई है. ज़िले के कई इलाक़ों में घरों में लूटपाट की शिकायतें भी सामने आई हैं. उनकी जाँच की जा रही है.

बीजेपी नेता दिलीप घोष कहते हैं, “चुनावी नतीजों के बाद ही टीएमसी के लोगों ने पूरे राज्य में आतंक मचा रखा है. पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा अपने दौरे में पीड़ित परिवारों से मुलाक़ात करेंगे. हम इस आतंक के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे.”

पश्चिम बंगाल में नतीजों के बाद हिंसा

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सीपीएम ने भी इस हिंसा के ख़िलाफ आवाज़ उठाई है. जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष और अबकी चुनाव लड़ने वाली आइशी घोष ने अपने एक ट्वीट में कहा है कि टीएमसी को जनादेश का सम्मान करना चाहिए. उसे लोगों के हित में काम करने के लिए जनादेश मिला है, लोगों के ख़िलाफ़ हिंसा के लिए नहीं. टीएमसी के काडर दूसरे दलों के समर्थकों और दफ़्तरों पर हमले कर रहे हैं. इसे किसी भी क़ीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.

सीपीएम के दूसरे नेताओं ने भी पार्टी के दफ़्तरों में कथित तोड़-फोड़ की तस्वीरों के साथ ऐसे ही ट्वीट किए हैं.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पश्चिम बंगाल के चुनावों में हिंसा की लंबी परंपरा रही है. इस बार चुनाव के दौरान इतनी हिंसा नहीं हुई, जिसका अंदेशा था. अब चुनावी नतीजों के बाद ख़ासकर ग्रामीण इलाक़ों में हिंसा की ख़बरें आ रही हैं.

विश्लेषक प्रोफ़ेसर समीरन पाल कहते हैं, “राज्य में हालांकि अब भी केंद्रीय बलों की 200 से ज़्यादा कंपनियाँ तैनात हैं. बावजूद इसके हिंसा होना चिंता का विषय है. इसके लिए अब आरोप-प्रत्यारोप की बजाय तमाम दलों को मिलकर शांति बहाली की दिशा में ठोस पहल करनी चाहिए.”

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