West bengal election result: ममता बनर्जी की हैट्रिक…क्या कहते हैं इस चुनाव के नतीजे और बीजेपी के लिए क्या संकेत? – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम और बंगाल का रिजल्ट बीजेपी के लिए अलर्ट
  • चुनाव नतीजों से साफ, अगर राज्य में शक्ल हो तो उसके सहारे जीता जा सकता है चुनाव
  • बीजेपी के लिए आने वाले दिनों में जिन राज्यों के चुनाव होने हैं वहां के लिए टेंशन बढ़ी

कोलकाता
पांच प्रदेशों के चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण माने जा रहे पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने भारी जीत हासिल की। लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन पूरी तरह पस्त हुआ। बीजेपी दूसरी सबसे बड़ी बनकर उभरी। वहीं, केरल में लगातार दूसरी बार लेफ्ट गठबंधन की सरकार बनेगी।

तमिलनाडु में डीएमके सत्ता में आई है। असम में बीजेपी गठबंधन ने दोबारा जीत हासिल की है। केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में एनडीए विजयी रहा। इन राज्यों के नतीजे ने देश की राजनीति को काफी हद तक बड़ा संदेश दिया है। जानिए इन नतीजों के क्या हैं मायने

….तो रोकी जा सकती है मोदी लहर
अगर राज्य स्तर पर मजबूत चेहरा है तो मोदी लहर को रोका जा सकता है। बंगाल में टीएमसी और तमिलनाडु में डीएमके की जीत से यह बात साबित हो गया। लगातार हार से पस्त होते जा रहे विपक्ष के लिए यह एक सुकूनभरी बात हो सकती है। अगले कुछ महीनों में जिन दूसरे पांच राज्यों में चुनाव होने हैं, वहां क्षेत्रीय चेहरों का दबदबा है।

जीत के लिए ममता दीदी को बधाई। कोरोना के खिलाफ जीत हासिल करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को केंद्र की ओर से हरसंभव मदद जारी रहेगी।
पीएम मोदी

क्षेत्रीय चेहरे जीत की गारंटी नहीं बन पाए
बीजेपी की सारी निर्भरता नरेंद्र मोदी पर ही बनी हुई है। जिन राज्यों में गैर-एनडीए क्षेत्रीय दल -मोदी की लहर को पार पाने में कामयाब हो जा रहे हैं, वहां बीजेपी के पास हार का सामना करने के सिवाय कोई और विकल्प नहीं है। अभी तक बीजेपी के क्षेत्रीय चेहरे जीत की गारंटी नहीं बन पाए हैं।

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कांग्रेस के पास जीत का माद्दा खत्म?
कांग्रेस के लिए कोई बहुत अच्छी खबर नहीं है। असम और केरल जैसे राज्यों में वह सीधी लड़ाई में थी। यहां उसकी जीत की सबसे ज्यादा संभावनाएं देखी जा रहीं थी। लेकिन इन राज्यों में हार मिलने से यह दिखता है कि पार्टी के पास जीत का माद्दा खत्म हो गया है। विपक्ष की मुख्य धुरी बनने की संभावना फिलहाल उसमें नहीं है।

बंगाल ने आज भारत को बचा लिया। नंदीग्राम में चुनाव नतीजे की घोषणा के बाद कुछ हेरफेर की गई है। मैं कोर्ट जाऊंगी।
ममता बनर्जी, टीएमसी चीफ

ममता के रूप में नैशनल पॉलिटिक्स को मिलेगा नया चेहरा!
विपक्ष को ममता की शक्ल में राष्ट्रीय स्तर पर एक गैर कांग्रेसी चेहरा मिल सकता है। विपक्ष की सबसे बड़ी कमजोरी यह देखी जा रही कि उसके पास मोदी के मुकाबले कोई चेहरा नहीं है। राहुल गांधी इसके लिए अपने को साबित नहीं कर पाए हैं। अन्य चेहरों की राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्यता नहीं है। लेकिन ममता बंगाल को छोड़कर राष्ट्रीय राजनीति में कोई दिलचस्पी दिखाएंगी, यह कहना थोड़ा जल्दबाजी होगी।

हाशिए पर पहुंचा वाम दल
बंगाल में लगातार तीसरी हार के बाद राष्ट्रीय राजनीति में वामदलों की प्रासंगिकता और कम हुई है। बंगाल के भीतर ही वाम दल हाशिए पर चले गए हैं। एक वक्त वाम दलों के गढ़ कहे जाने वाले राज्य में राजनीति का चेहरा ही बदल गया है। आने वाले वक्त में यहां की लड़ाई टीएमसी और बीजेपी के बीच ही देखी जाएगी।












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ध्रुवीकरण की सीमा
ध्रुवीकरण की राजनीति बीजेपी के लिए असम में काम कर गई। वहां उन्होंने अवैध प्रवासियों को कार्ड खेला और सीएए का ट्रम्प कार्ड खेलकर चुनाव में इसे मुद्दा बनाया। यह खेल बंगाल में फेल हो गया। यहां ममता बनर्जी अपनी छवि बंगाल की मिट्टी से जुड़ी बेटी के तौर पर पेश की और बीीजेपी को बाहरी बताया।

लगातार कमजोर हो रही कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी लगातार गर्त में जा रही है। राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी को प्रभावी तौर पर चुनौति देने वाली कोई पार्टी नहीं है। पश्चिम बंगाल में भगवा पार्टी की हार के बाद भी उसके सामने कोई खड़ा होने वाला नहीं है। कांग्रेस खुद केरल में बुरी तरह चुनाव हारी है, ऐसे में वह बीजेपी के सामने नहीं खड़ी हो पा रही है।

क्षेत्रीय चेहरे का प्रभाव
लोकसभा चुनाव में भले ही बीजेपी का प्रभाव हो। बीजेपी को बड़े स्तर पर जीत मिली हो लेकिन राज्यों के विधानसभा चुनाव में उसके पास क्षेत्रीय स्तर पर कोई चेहरा नजर नहीं आया। बंगाल में क्षेत्रीय चेहरा ममता बनर्जी, ओडिशा में नवीन पटनायक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में जगनमोहन रेड्डी और अब तमिलनाडु में एमके स्टालिन। केरल में भी पिनराई विजनय क्षेत्रीय चेहरा हैं लेकिन बीजेपी के पास इस तरह का कोई नेता नहीं है।












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कोविड-19 का भी नतीजे पर असर!
देश में कोरोना वायरस के दूसरी लहर तेजी से हावी हो रही है। खासकर महामारी पश्चिम बंगाल चुनाव प्रचार के दौरान तेजी से फैली। कोरोना के प्रसार को न रोक पाने के कारण केंद्र सरकार की फजीहत हो रही है। चुनाव में यह मुद्दा भी बना। बीजेपी ने टीएमसी पर फोकस किया लेकिन कोरोना पर ध्यान नहीं दिया। रैलियां कैंसल कर दी गई जो पीएम मोदी को करनी थीं। दावा है कि रैलियों में पीएम मोदी वोटरों को बीजेपी की ओर मोड़ते लेकिन ऐसा नहीं हो सका।



मोदी, ममता (फाइल फोटो)

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