Election results :केरल और असम ने नकार दिए कांग्रेस नेतृत्व के दोनों भावी चेहरे – अमर उजाला – Amar Ujala

अनूप बाजपेयी, नई दिल्ली
Published by: Amit Mandal
Updated Mon, 03 May 2021 07:15 AM IST

राहुल गांधी-प्रियंका गांधी वाड्रा (फाइल फोटो)
– फोटो : PTI

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नतीजों से ठीक पहले ही भांप लिया था कि विधानसभा चुनाव में गांधी परिवार या पार्टी नेतृत्व को पांच राज्यों की जनता फिर नकारने जा रही है। यही कारण है कि राहुल ने पार्टी के भीतर अपने खिलाफ उठने वाले भूचाल को यह कहकर ठंडा करने की कोशिश की है कि पार्टी कार्यकर्ता ही नेतृत्व तय करेंगे। राहुल ने न तो नेतृत्व संभालने से इनकार किया, न ही खुद का दावा किया है। माना जा रहा है कि नतीजों के इंतजार में बैठे असंतुष्ट नेता जून में संगठन चुनाव कार्यक्रम को आगे नहीं बढ़ने देंगे।

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न राहुल के रोड शो काम आए, न रैलियां

दरअसल 5 राज्यों में कांग्रेस और गांधी परिवार के लिए केरल व असम के नतीजे सीधे तौर पर महत्वपूर्ण और आशा से भरे थे, जबकि, दोनों राज्यों ने कांग्रेस के भविष्य के नेतृत्व राहुल गांधी और प्रियंका को नकार दिया है। केरल ने कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका दिया है। यहीं से नेतृत्व सबसे बड़ी उम्मीद लगाए था। लोकसभा में पार्टी का बेहतर प्रदर्शन और राहुल का वायनाड से प्रतिनिधित्व भी वहां वापसी नहीं करा पाया। राहुल ने सबसे अधिक रैलियां, रोड शो और विभिन्न वर्गों के साथ संवाद किया, लेकिन सब बेनतीजा रहा।

बंगाल में सिर्फ प्रदेश इकाई सक्रिय

बंगाल को लेकर पार्टी को राज्य इकाई जितनी सक्रिय दिखी, केंद्रीय नेतृत्व उतना ही निष्क्रिय। दिल्ली से एकमात्र नेता के रूप में प्रभारी जितिन प्रसाद बंगाल में डेरा डाले रहे। नेतृत्व ने अधीर रंजन को राज्य की कमान सौंपकर सब उनके और राज्य नेताओं पर छोड़ दिया। राहुल ने जैसे-तैसे अंतिम समय में एक जनसभा की। पार्टी बंगाल में सियासी रूप से भी लोगों को बढ़ाने में असफल रही कि केरल में जिन वामपंथी दलों के खिलाफ है, बंगाल में उनके साथ क्यों है? अब्बास सिद्दीकी के इंडियन सेकुलर फ्रंट से तालमेल क्यों किया? राज्य इकाई के भरोसे चुनाव छोड़कर नेतृत्व ने शायद पहले ही हार मान ली थी।

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