West Bengal Election Result 2021 : पश्चिम बंगाल चुनाव में BJP का ‘बाजीगर’ प्रदर्शन, वोटों के अंकगणित से समझें पूरा विश्लेषण – Navbharat Times

कोलकाता
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (Bengal Vidhan Sabha Chunav Result) में जारी वोटों की गिनती में अब तक आए रुझानों में एक बात तो साफ हो गई है कि राज्य में एक बार फिर से तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सरकार बनने जा रही है। अब तक कुल 292 विधानसभा सीटों के आए के रुझानों में टीएमसी 202 और बीजेपी 82 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। पहली नजर में देखें तो पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार हुई है, लेकिन अगर वोटों के गुणा-भाग पर नजर डालें तो कई राजनीतिक मायने समझे जा सकते हैं। चुनाव रिजल्ट को देखकर ऐसा लग रहा है मानों बीजेपी ने बाजीगर जैसा प्रदर्शन किया है। यानी बीजेपी चुनाव हारकर भी काफी कुछ जीती है।

बीजेपी की ताकत बढ़ने से कांग्रेस-वाम की ताकत घटी
2021 विधानसभा चुनावों में अब तक हुई वोटों की गिनती के हिसाब से तृणमूल कांग्रेस 48.56% वोटों के साथ बढ़त बनाए हुए है। वहीं बीजेपी को 37.55% वोट मिलते हुए दिख रहे हैं। वहीं कांग्रेस को महज 2.78% और सभी वाम दलों CPI+CPI(M)+CPI(ML)(L) को मिलाकर 4.82% वोट मिलते हुए दिख रहे हैं। वोटिंग प्रतिशत बता रहे हैं कि पश्चिम बंगाल की जनता ने केवल टीमएमसी और बीजेपी पर भरोसा किया है। तीन दशक तक पश्चिम बंगाल में सत्ता चलाने वाली वाम दलों को जनता ने पूरी तरह से नकार दिया है। वहीं कांग्रेस का भी यही हश्र है। इससे साफ संकेत है कि राज्य की राज्य जनता टुकड़ों में वोट करने के बजाय वह राज्य में केवल दो विचारधारा को जिंदा रखना चाहती है।



2019 लोकसभा चुनाव के मुकाबले घटी बीजेपी की ताकत
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में 40.3% वोट हासिल कर सबसे अच्छा प्रदर्शन किया था। इसके मुकाबले 2021 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 37.55 % वोट मिले हैं। यानी बीजेपी ने पिछले दो साल में 2.75% वोट बैंक गंवाए हैं। वोट बैंक घटने के पीछे क्या वजह है ये अलग मसला है।

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यहां यह गौर करने वाली बात है कि पिछले दो लोकसभा चुनावों में बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा रहा है जबकि इसके मुकाबले विधानसभा चुनावों वोट प्रतिशत में गिरावट देखी जाती रही है। साल 2011 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 4.1%, 2014 के लोकसभा चुनाव में 17 फीसदी, 2016 के विधानसभा चुनाव में 10.3 फीसदी और 2019 के लोकसभा चुनाव में 40.3 फीसदी वोट मिले थे। यही पैटर्न इस बार भी देखने को मिला है।

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टीएमसी की लगातार बढ़ रही है ताकत

वहीं बीजेपी के मुकाबले टीएमसी का वोट प्रतिशत 2011 में सत्ता हासिल करने के बाद लगातार बढ़ रही है। 2011 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी 38.9 फीसदी वोट हासिल कर पहली बार सत्ता में आई थी। उसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में 39.8%, 2016 के विधानसभा चुनाव में 45.6% वोट हासिल की थी। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में वोट प्रतिशत के मामले में टीएमसी को 43.3 % प्रतिशत यानी 2.3% वोटों को नुकसान हुआ था। जिसे TMC ने 2021 के विधानसभा चुनाव में 5.2% प्रतिशत अधिक वोट हासिल कर अपनी ताकत बढ़ाई है।

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कांग्रेस और वाम लगातार हो रही है कमजोर

टीएमसी और बीजेपी का वोट प्रतिशत घटने की मुख्य वजह वामदल और कांग्रेस का राज्य में कमजोर होना है। पहले बात अगर वाम दल की करें तो 2011 के विधानसभा चुनावा में वाम दलों को 41.1%, 2014 लोकसभा चुनावों में 29.9%, 2016 के विधानसभा चुनावों में 26.6% और 2019 के लोकसभा चुनावों में 7.5 फीसदी वोट हासिल किए। 2021 में आकर यह करीब 5 फीसदी वाटों पर सिमट गई।

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वहीं कांग्रेस 2011 में 9.1%, 2014 में 9.7%, 2016 में 12.4 और 2019 में महज 5.6% वोटों पर सिमट गई। यानी वाम दल और कांग्रेस का वोट बैंक छिटककर टीएमसी और बीजेपी के पास चली गई। वाम दल के समर्थक मानते हैं कि बीजेपी के स्ट्रांग होने से उनके लिए राज्य में रास्ते खुल सकते हैं क्योंकि ममता बनर्जी और वाम दल दोनों के वोट बैंक करीब करीब एक समान माने जाते हैं।












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यह सबके सामने है कि ममता बनर्जी लगातार तीसरी बार पश्चिम बंगाल की सत्ता में प्रचंड बहुमत के साथ वापसी की हैं, लेकिन बीजेपी के प्रदर्शन को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। बीजेपी ने महज 10 साल में राज्य की राजनीति में 80 से ज्यादा सीटों के साथ मुख्य विपक्षी पार्टी बनने का तमगा हासिल करती दिख रही है। बीजेपी के इस प्रदर्शन को इसलिए भी सफलता के तौर पर देखा जाना चाहिए क्योंकि जिस राज्य में उनकी विचारधारा की कोई तवज्जो नहीं थी, यह पार्टी एक वक्त पर ममता बनर्जी की पिछलग्गू बनी थी वह अब अपने बूते नंबर दो पार्टी बनी है। बीजेपी ने दो राष्ट्रीय पार्टियों कांग्रेस और वामदलों को साइड कर दिया है। यानी अब राज्य में बीजेपी राष्ट्रीय दल के रूप में और टीएमसी क्षेत्रीय दल के रूप में राजनीति करती दिखेंगी।

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