नंदीग्राम के ‘अधिकारी’ : ममता को पटखनी देते नजर आ रहे भाजपा नेता सुवेंदु, पिछले चुनाव में भी भारी जीत हासिल की थी – अमर उजाला – Amar Ujala

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Sun, 02 May 2021 10:29 AM IST

सार

बंगाल का नतीजा चाहे तृणमूल के पक्ष में जाए, लेकिन नंदीग्राम में टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी कड़े मुकाबले में घिर गई हैं। उन्हें सुवेंदु मात दे सकते हैं। 
 

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विस्तार

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बंगाल की नंदीग्राम सीट सबसे रोचक व प्रतिष्ठापूर्ण है। यहां टीएमसी प्रमुख व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भाजपा नेता व कभी उनके करीबी रहे सुवेंदु अधिकारी पटखनी देते नजर आ रहे हैं। रविवार को मतगणना शुरू होने के बाद से बढ़त बनाए हुए हैं और सात हजार से ज्यादा मतों से आगे हैं। दरअसल यह सुवेंदु अधिकारी का गढ़ है। आइये जानते हैं कौन हैं सुवेंदु और क्या है उनकी ताकत।

पिछले चुनाव में भाकपा के सेख को 81 हजार मतों से हराया था

नंदीग्राम विधानसभा सीट पर एक दशक से ज्यादा समय तक टीएमसी का कब्जा रहा है। 2016 में तृणमूल कांग्रेस से सुवेंदु अधिकारी ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के अब्दुल कबीर सेख को 81230 वोटों के मार्जिन से हराया था। इस बार देखना दिलचस्प होगा कि वे क्या कमाल दिखाते हैं। 

36 साल की उम्र में बने पहली बार विधायक

तृणमूल कांग्रेस में रहते हुए सुवेंदु अधिकारी का कद ममता बनर्जी के बाद पार्टी में सबसे बड़ा माना जाता था। पिछले साल उन्होंने भाजपा में शामिल होकर ममता बनर्जी को तगड़ा झटका दिया था।  सुवेंदु अधिकारी का जन्म 15 दिसंबर 1970 को बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर जिले के करकुली में हुआ था। प्रभावशाली जनाधार वाले नेता माने जाने वाले अधिकारी ने कांधी पीके कॉलेज से स्नातक किया और यहीं से राजनीति में प्रवेश किया था। 2006 में 36 साल की आयु में सुवेंदु पहली बार कांधी दक्षिण सीट से विधायक बने थे। इसी साल वह कांथी नगर पालिका के चेयरमैन भी नियुक्त किए गए थे। साल 2009 और 2014 में वह लोकसभा भी पहुंचे। 2016 के बंगाल विधानसभा चुनाव में उन्होंने नंदीग्राम विधानसभा सीट से भारी जीत हासिल की थी। 

नंदीग्राम से ही हुआ था ममता का उदय

वर्ष 2007 में हुए नंदीग्राम आंदोलन से ही बंगाल की राजनीति में ममता का प्रवेश हुआ था। इस आंदोलन ने राज्य में दशकों तक रही वाम दलों की सत्ता को उखाड़ फेंका था। बता दें कि इस आंदोलन का खाका सुवेंदु अधिकारी ने ही तैयार किया था। अधिकारी ने ही मेदिनीपुर, पुरुलिया जैसे जिलों में टीएमसी को मजबूत किया था।

भूमि आंदोलन का रफ्तार दी

उस वक्त सुवेंदु अधिकारी कांथी दक्षिण विधानसभा सीट से विधायक थे। उन्होंने भूमि उच्छेद प्रतिरोध समिति के तहत लोगों को जमा किया और वाम सरकार के खिलाफ भूमि आंदोलन को रफ्तार दी। जब वाम दल की जीत तय मानी जा रही थी तब सुवेंदु अधिकारी ने ही सीबीआई एम के बाहुबली उम्मीदवार लक्ष्मण सेठ को हराया था। 

इस कारण हुआ था ममता बनर्जी से मनभेद

एक समय पश्चिम बंगाल सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले सुवेंदु अधिकारी बीते दिनों पार्टी और मंत्री पद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे। इस्तीफा देने से पहले अधिकारी परिवहन मंत्री का पद संभाल रहे थे। सुवेंदु अधिकारी के इस्तीफे के बाद पश्चिम बंगाल की राजनीति में बवाल खड़ा हो गया था।

अधिकारी की ममता से नाराजगी इस बात से थी कि वह पार्टी के दूसरे नेताओं की तुलना में अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को ज्यादा तरजीह दे रही थीं। हालांकि, सुवेंदु ने पार्टी में रहते हुए इस बारे में कभी खुलकर नहीं कहा। लेकिन भाजपा में शामिल होने के बाद वह लगातार ममता और अभिषेक दोनों पर हमलावर रहे हैं।

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