Bengal Chunav: नजरबंद करने का आदेश, बीरभूम में बोलती है तूती… ममता के भरोसेमंद अनुब्रत मंडल की पूरी कुंडली – Navbharat Times

बीरभूम

पश्चिम बंगाल की राजनीति में हिंसा का इतिहास बहुत पुराना है। बदलते वक्त के साथ भी इस हिंसा में कमी देखने को नहीं मिली है। इसी को देखते हुए पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों को 8 चरणों में कराने का फैसला किया गया। हालांकि इसके बावजूद लगातार हिंसा की खबरें सामने आती रहीं। सूबे का एक जिला भी है जिसे बमों की फैक्ट्री कहा जाता है। राज्य का बीरभूम जिला राजनीतिक हिंसा का गढ़ है। इस जिले एक शख्स ऐसा भी है, जिसकी यहां तूती बोलती है। टीएमसी के बीरभूम के जिलाध्यक्ष अनुब्रत मंडल के बारे में कहा जाता है कि वो जिले में जो चाहें, करा सकते हैं।

‘केश्टो’ के नाम से जाने जाने वाले अनुब्रत खुद चुनाव नहीं लड़ते लेकिन टीएमसी चीफ ममता बनर्जी से उनकी सीधे बात होती है। अनुब्रत के कद का अंदाजा इस बात से लगाइए कि बीरभूम जिले की 11 विधानसभा सीटों में से एक दुबराजपुर सीट से जब टीएमसी ने आसिमा को प्रत्याशी बनाया तो अनुब्रत मंडल ने साफ दिया कि वह इस सीट पर टीएमसी की जीत की जिम्मेदारी नहीं लेंगे। इसके बाद टीएमसी ने इस सीट पर अपना प्रत्याशी बदल दिया और फिर यहां से सिउड़ी कॉलेज के देवब्रत साहा को कैंडिडेट बना दिया गया।

पश्चिम बंगाल के सबसे चर्चित और विवादित नेताओं में से एक अनुब्रत को चुनाव आयोग ने मंगलवार की शाम को नजरबंद करने का निर्देश दिया। चुनाव आयोग ने कहा था कि 27 अप्रैल की शाम 5 बजे से लेकर 30 अप्रैल की सुबह 7 बजे तक उनपर कड़ी निगरानी रखी जाए। हालांकि सूत्रों की मानें तो केन्द्रीय बलों और चुनाव अधिकारी अनुब्रत को खोजते ही रह गए और वह गायब हो गए। चुनाव अधिकारियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, अनुब्रत ट्रैफिक जाम के बहाने अधिकारियों की आंखों में धूल झोंकने में कामयाब हुए। फिलहाल अनुब्रत की तलाश की जा रही है।

अनुब्रत ने कथित तौर पर जुलाई 2013 में एक पब्लिक मीटिंग के दौरान समर्थकों को पुलिस पर बम फेंकने के लिए उकसाया था। इतना ही नहीं, पंचायत चुनाव में टीएमसी के बागी नेताओं के घर जलाने के लिए भी उन्होंने भीड़ को कहा था। इसके अलावा सितंबर 2018 में वह कैमरे पर कथित तौर पर यह कहते हुए पकड़े गए थे कि टीएमसी के एक बागी नेता के साथ बीजेपी की एक महिला नेता को भांग रखने के झूठे मामले में फंसाया जाए।

बता दें कि अनुब्रत को लेकर जिले के लोगों में खौफ बैठा है। वो अनुब्रत का नाम लेने से भी हिचकते हैं। एक शख्स ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि लोग यहां टीएमसी को वोट न देने पर जान से मारने की धमकियां देकर जाते हैं, लेकिन हम ये नहीं कह सकते कि ये अनुब्रत के कहने पर होता है। इस बात से ही अनुब्रत को लेकर लोगों के मन में बैठे खौफ को समझा जा सकता है। हालांकि मीडिया से बातचीत में अनुब्रत इन आरोपों को खारिज करते रहते हैं। पर विपक्षी पार्टियों के नेताओं के साथ मारपीट करने के बड़े आरोप लगते रहे हैं। साल 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान भी चुनाव आयोग ने उनके विवादित बयानों और धमकियों की वजह से घर में ही नजरबंद कर दिया था। इसके पहले 2016 में भी उन्हें निगरानी में रखा गया था।

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