हिम्मतवाले तीमारदारः पति की देखभाल करते हुए खुद और बेटा भी हुए कोरोना पॉजिटिव, पर नहीं हारी हिम्मत… – नवभारत टाइम्स

इन दिनों कोरोना के मामले दिल्ली में इतनी तेजी से बढ़ रहे हैं कि लगभग एक लाख एक्टिव मरीज हो गए हैं और 52 हजार से ज्यादा लोग होम आइसोलेशन में है। कोविड पॉजिटिव मरीज के घर में रहने और इनका केयर करने वाले तीमारदारों पर काफी दबाव है। कई बार तीमारदार इन मरीजों का ख्याल रखते रखते खुद संक्रमित हो जाते है, वो अपना ख्याल नहीं रख पाते। कई बार ऐसा देखा जा रहा है कि तीमारदार पैनिक हो जाते हैं, एक साथ दो-दो मरीज का ख्याल रखना उनके लिए मुश्किल हो जाता है। ऐसे में डॉक्टर का कहना है कि तीमारदार का बहुत अहम रोल है, न केवल उन्हें खुद को संक्रमण से बचाना है बल्कि मरीज का सही ख्याल भी रखना है ताकि अगर दिक्कत बढ़े तो उनका सही समय पर इलाज हो सके।

पति की देखभाल करते हुए खुद और बेटा भी हो गए पॉजिटिव, पर न हिम्मत हारी, न हारने दी



कोरोना पीड़ित पति की देखभाल करते हुए मैं और मेरा 15 साल का बेटा रुद्रप्रकाश त्रिवेदी भी कोरोना पॉजिटिव हो गए। पति की हालत ज्यादा खराब होने पर उन्हें इलाज के लिए राजीव गांधी हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा। हालत इतनी खराब हो गई कि उन्हें सीधे आईसीयू में शिफ्ट करना पड़ा। हॉस्पिटल में उन्हें कई दिन तक 104 फीवर रहा। हालात जवाब दे रहे थे, लेकिन हिम्मत पूरी थी। उस वक्त मेरे हिम्मत हारने का असर सिर्फ मुझ पर नहीं, मेरे बेटे पर भी पड़ता। उसका ख्याल कौन रखता। आज ही हम तीनों की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई है।

आनंद त्रिवेदी परिवार के साथ खजूरी खास में रहते है। शुरुआत में उन्हें हल्के फीवर के साथ खांसी हुई। जांच कराई तो 12 अप्रैल को कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद उन्होंने खुद को ग्राउंड फ्लोर पर क्वारंटीन कर लिया। उनकी पत्नी सुनीता त्रिवेदी और बड़ा बेटा रूद्र उनकी देखभाल में जुट गए। सुनीता ने बताया कि घर पर पहले से ही ऑक्सीमीटर वगैरह मंगा रखा था। दिन में चार बार ऑक्सिजन लेवल चेक करती थी। उन दिनों मेरी सुबह की शुरुआत उन्हें गर्म पानी के गरारे कराने से होती थी। इसके बाद काढ़ा और दिनभर का रूटीन फॉलो करवाती। कुछ दिन तक सब कुछ नॉर्मल चलता रहा, लेकिन इसके बाद मेरे साथ बेटे को भी हल्का फीवर शुरू हो गया। जांच कराई तो हमारी रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए छोटी बेटी प्राची को करीबी रिश्तेदार के घर भेजना पड़ा।

इसी दौरान पति की हालत ज्यादा बिगड़ गई। हालत खराब होते ही एक बार तो हिम्मत जवाब दे गई, लेकिन अगले ही पल खुद को संभालते हुए करीबियों की मदद से पति को इलाज के लिए 16 अप्रैल को राजीव गांधी कोविड सेंटर में भर्ती कराया। खुद पॉजिटिव होने के बाद भी हॉस्पिटल में एडमिट पति से मोबाइल के माध्यम से टच में रहती। उनकी हिम्मत बढ़ाती। उनसे कहती कोरोना को हराकर सही सलामत हमारे पास लौटना है। सुनीता बताती है कि उधर हॉस्पिटल में पति कोरोना से लड़ाई लड़ रहे थे इधर मैं और मेरा बेटा कोरोना को हराने के लिए पूरी ताकत से लड़ रहे थे। चार दिन बाद 20 अप्रैल को आनंद त्रिवेदी को हॉस्पिटल से छुट्टी देकर घर भेज दिया। दो दिन घर पर हल्का फीवर रहा, लेकिन धीरे धीरे हालत में सुधार हो रहा था। इसके बाद तीनों ने अपनी कोरोना जांच कराई। 26 अप्रैल को परिवार के तीनों सदस्यों की रिपोर्ट निगेटिव आई और चेहरे पॉजिटिव मुस्कान के साथ खिल उठे।

पति और बड़ी बेटी हैं संक्रमित, पर पूरी हिम्मत से अकेले लड़ रहीं जंग



कोरोना पॉजिटिव पति और बेटी की देखभाल करते हुए खुद को और छोटी बेटी को संक्रमित होने से बचाना इस समय मेरी सबसे बड़ी चुनौती है। इसके लिए मैं पूरी कोशिश कर रही हूं… द्वारका सेक्टर-3 के हेरिटेज अपार्टमेंट में रहने वाली नमिता चौधरी के अनुसार यह मुश्किल है, पर मुमकिन है। नमिता के अनुसार, उनके पति आलोक को 19 अप्रैल को कुछ लक्षण नजर आए। फीवर और पेट खराब हुआ। उन्होंने बताया कि उस समय मेरी सास हमारे साथ ही रहती थीं। इसलिए उनकी सेफ्टी हमारे लिए सबसे जरूरी रही। उन्हें हमने एक रूम में शिफ्ट किया, दोनों बच्चियों को एक रूम में, पति अलग रूम में और मैं खुद हॉल में शिफ्ट हो गई। शाम को जैसे ही पति की रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो किसी भी तरह के रिस्क से बचने के लिए हमने अपनी सास को रिश्तेदारों के यहां शिफ्ट कर दिया। पति अटैच बाथरूम वाले रूम में शिफ्ट हो गए। मैं हॉल में और दोनों बच्चे एक रूम में शिफ्ट हो गए।

उन्होंने बताया कि पति का डायट चार्ट डॉक्टरों ने ही बनाया हुआ है जिसके हिसाब से उन्हें खाना देती हूं। पति जब बर्तन बाहर रखते हैं तो वह उन्हें सैनिटाइज करते हैं। आधा घंटे बाद मैं भी उन पर केमिकल डालती हूं और उसके बाद बर्तन साफ करती हूं। यह बर्तन दूसरे बर्तनों के साथ मिक्स नहीं होते। पति के कपड़े भी बाहर बास्केट में एक से दो घंटे तक ऐसे ही रहते हैं। फिर डिटॉल में भिगाते हैं। अभी उन्हें वॉशिंग मशीन में नहीं धोते। कपड़े धोकर बालकनी में इस तरह टांगते हैं कि उसका पानी हमारी बालकनी में ही गिरे। जब पानी पूरा सूख जाता है तो कपड़े बालकनी में आ रही धूप में ही सूखा देती हैं। इसके अलावा टाइम टाइम पर ऑक्सिजन, टेंपरेचर चेक करती हूं और दवाएं देती हूं।

अब उनकी बड़ी बेटी साक्षी भी कोरोना पॉजिटिव हो गई हैं। इसलिए वह भी अलग कमरे में रहती है। इसकी वजह से छोटी बेटी अपेक्षा भी अलग रूम में अकेली रह रही है। वह क्रिकेट खेलती है और काफी एनर्जेटिक है, तो उसे संभालना काफी मुश्किल है। वह कई बार इरिटेट होती है, डाउन होती है। मैंने उसके कमरे में हैंगिंग बॉल लटका दी है, जिस पर वह दिन भर ठोका-पिटी करती रहती है। जब लगता है वह डाउन हो रही है, तो हम अलग-अलग तरह के कुछ क्रिएटिव गेम दूर-दूर से खेलते हैं। जैसे अंताक्षरी, नेम प्लेस थिंग एनिमल आदि। उन्होंने बताया कि अपना पूरा घर केमिकल से तीन बार खुद सैनिटाइज करती हैं। घर में भी हर समय मास्क पहनकर रहती हैं। खाने-पीने के लिए ही मास्क हटता है। बेटी कभी वॉशरूम आदि के लिए बाहर आती है तो वह मास्क पहनती है।

​‘वो रात बहुत मुश्किल थी, मगर मैं पैनिक नहीं हुई’



‘पिछले हफ्ते एक-एक दिन निकालना मुश्किल था। मेंटल प्रेशर बढ़ता जा रहा था। एक तरफ कोविड 19 से पति की तबियत बिगड़ती जा रही थी, दूसरी तरफ डरे हुए दो बच्चों को संभालना एक चुनौती थी।‘ द्वारका में रहने वालीं श्वेता सिन्हा का यह अनुभव बताता है कि कोविड से संक्रमित मरीजों के तीमारदारों का रोल कितना बड़ा है। वह कहती हैं, कोविड को हराने के लिए सबसे पहले यही चाहिए कि मरीज ही नहीं, तीमारदार भी पैनिक ना हों, बस धैर्य रखें।

रिपोर्ट के बाद लक्षण और उभरकर सामने आने लगे

एक अलग कमरे में मरीज की देखभाल, उसे हिम्मत दिलाते रहना, बच्चों को समझाना, दवाइयों से लेकर ऑक्सिजन, अस्पताल में बेड का इंतजाम और इन सबसे जरूरी हार ना मानना, बतौर तीमारदार श्वेता के लिए ऐसी कई चुनौतियां सामने थीं। कोविड की इस दूसरी लहर में अप्रैल में उनके पति जितेंद्र कुमार सिन्हा संक्रमित हुए। श्वेता कहती हैं, वेा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में हैं, उन्हें उत्तराखंड को अपनी पोस्टिंग में जाना था। उसी बीच सर्दी-खांसी-बुखार की दिक्कत हुई तो कोविड टेस्ट करवाया। रिपोर्ट पॉजिटिव थी और उसके बाद लक्षण और उभरकर सामने आने लगे। अच्छा यह था कि मैं और बच्चे निगेटिव थे।

ऑक्सिजन लेवल घटा, मुश्किल से हुई डॉक्टर से बात

श्वेता बताती हैं, जिस दिन पति ने टेस्ट करवाया था, उसी दिन वो अलग हो गए थे। मगर अगला एक हफ्ता बहुत मुश्किल था। हमें एक बार ही सरकारी डॉक्टर का कॉल आया, तो मैंने प्राइवेट डॉक्टर ढूंढा। पूरा हफ्ता उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, बुखार था, खांसी थी। एक रात ऑक्सिजन का लेवल 90 तक पहुंच गया था। उस रात भी डॉक्टर से मुश्किल से बात हुई। ऑक्सिजन लेवल में फ्लक्चुएशन देखकर उन्होंने मुझसे अलग से कहा कि हो सकता है एडमिट करना पड़े। बेड का इंतजाम कीजिए। मैं डर गई थी। कई लोगों को कॉल किया मगर बेड और ऑक्सिजन की स्थिति सब जानते ही हैं! श्वेता कहती हैं, मेरे 15 साल और 10 साल के बेटे डर रहे थे। उधर, पति पूछ रहे थे कि डॉक्टर ने क्या कहा? अब मरीज को क्या बताएं! कहा, सब ठीक है। फिर डॉक्टर ने रात 11 बजे नेबुलाइजर लेने को कहा। सोसायटी में किसी की मदद की और नेबुलाइजर पहुंचाया। उससे उन्हें कुछ आराम मिला मगर फिर उल्टियां शुरू हो गईं। वो रात बहुत बुरी बीती। शुक्र है, वो सुबह बेहतर महसूस कर रहे थे। आज वो ठीक हैं, रिकवर कर रहे हैं।

तीमारदार को भी धैर्य और हिम्मत रखना बहुत जरूरी है

श्वेता कहती हैं, मैंने इस दौरान कुछ चीजों पर गौर किया। पहला, कोविड मरीज के साथ साथ तीमारदार को भी धैर्य और हिम्मत रखना बहुत जरूरी है। दूसरा, परिवार और दोस्तों का सपोर्ट जरूरी है, क्योंकि तीमारदार खुद मेंटल प्रेशर में होता है। फोन पर ही सही अगर वे हौसला देंगे, तो तीमारदार का कॉन्फिडेंस बढ़ेगा। तीसरा, अगर बहुत दिक्कत नहीं है तो घर पर ही शांत और अलर्ट रहकर मरीज की देखरेख कीजिए। जो केयर घर पर है, वो हॉस्पिटल में नहीं मिलेगी। इस आपाधापी में तो बिल्कुल नहीं।

कोरोना से बचने के लिए तीमारदार रखें इन बातों का ख्याल



मरीज को सबसे पहले आइसोलेट करें: आंबेडकर अस्पताल के डॉक्टर पंकज कुमार ने कहा कि ऐसे समय में सबसे ज्यादा जरूरी है कि तीमारदार अपने आपको संक्रमण से बचा कर रखें। सबसे पहले अगर किसी के परिवार में किसी एक सदस्य में कोई भी लक्षण दिखे तो उन्हें सबसे पहले आइसोलेट कर दें, ताकि अगर संक्रमण हो तो बाकी परिवार के लोग इससे बच सकें। आइसोलेट के बाद उनकी जांच कराएं, जब तक रिपोर्ट न आ जाए तब तक उन्हें आइसोलेट ही रखें। अगर रिपोर्ट नॉर्मल बाती है तो कोई बात नहीं। अगर पॉजिटिव आती है तो उन्हें पूरी तरह से आइसोलेशन में रखें। मरीज को ऐसे कमरे में रखें जिसमें अटैच बाथरूम हो, ताकि वो बाहर न निकल सकें। बाथरूम व रूम में प्रोपर वेंटिलेशन हो।

​मरीज से बनाकर रखें दूरी



डॉक्टर पंकज ने कहा कि इसके बाद तीमारदार का रोल आता है। परिवार में बाकी सभी सदस्यों को घर में भी मास्क पहन कर रहना होगा। तीमारदार को इस बात का ख्याल रखना होगा कि वो संक्रमित मरीज के रूम में नहीं जाएं। उन्हें खाना या बाकी जरूरत के सामान या दवा दरवाजे पर रखें। मरीज खुद समान उठाए। हमेशा मास्क व 6 गज की दूरी बनी रहे। ऐसे समय में तीमारदार परेशान हो सकता है, बार बार मरीज का ख्याल रखना आसान नहीं होता है। मरीज की दवा, ऑक्सिजन सेचुरेशन, टेंपरेचर आदि की चेकलिस्ट बना लें और मरीज का हालचाल मोबाइल से बात करके या विडियो कॉल से लें। मरीज के रूम में बिल्कुल नहीं जाएं।

तीमारदार अपनी इम्युनिटी पर भी दें ध्यान



तीमारदार खुद को मजबूत रखने के लिए विटामिन सी और जिंक सप्लीमेंट लें। काढ़ा पीएं। प्रोपर डाइट लें। योगा करें। पैनिक न हों। अगर मरीज की हालत खराब होती है या कोई जरूरत होती है तो पैनिक होने के बजाय संयम से काम लें। सेचुरेशन कम हो तो दोबारा चेक कर लें और किसी भी दिक्कत में पहले अपने डॉक्टर से बात करें। डॉक्टर के सलाह पर ही इलाज लें। पैनिक में बिना वजह अस्पताल न जाएं।

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