कोरोना की चौथी लहर से जूझ रही दिल्ली, इधर दर-दर भटक रहे मरीज; उधर HC जजों को 5 सितारा होटल के रूप में मिला कोविड अस्पताल – Jansatta

दिल्ली हाईकोर्ट की गुजारिश पर अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली AAP सरकार ने अशोका होटल के 100 कमरों में कोविड फैसिलिटी सेंटर बनवाया, जहां प्राइमस अस्पताल इलाज का बंदोबस्त करेगा।

अशोक होटल भारतीय पर्यटन निगम की मिल्कियत है। वही इसे चलाता है। (फाइल फोटो)

दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्तियों, न्यायिक अधिकारियों और उनके परिवारों के लिए कोविड अस्पताल के रूप में राजधानी स्थित पांच सितारा होटल अशोका के 100 कमरे बुक कर दिए गए हैं। होटल में इलाज की सुविधाओं का बंदोबस्त चाणक्यपुरी स्थित प्राइमस अस्पताल करेगा।

दिल्ली सरकार ने इस बाबत एक आदेश भी जारी किया है। दरअसल, इसके लिए हाइकोर्ट ने दिल्ली सरकार से दरख्वास्त की थी। आदेश रविवार को चाणक्यपुरी की एसडीएम गीता ग्रोवर ने दिया। आदेश में एसडीएम ने बताया कि हाइकोर्ट ने गुजारिश की थी कि माननीय न्यायमूर्तियों, अधिकारियों और परिवारों के लिए कोविड हेल्थकेयर फैसिलिटी का बंदोबस्त किया जाए, इसलिए जनहित को ध्यान में रखते हुए अशोक होटल के 100 कमरों की व्यव्सथा की जाती है। हमारे सहयोगी अंग्रेजी अखबार ‘दि इंडियन एक्सप्रेस’ ने इस बारे में हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल मनोज जैन से बात करने की कोशिश की मगर उन्होंने न तो कॉल उठाई न ही मेसेज का जवाब दिया।

बहरहाल, एसडीएम ग्रोवर ने पुष्टि की कि उन्होंने उपर्युक्त आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि होटल में कोविड के इलाज की सुविधाओं का बंदोबस्त करते-करते एक हफ्ते का समय लग जाएगा। उन्होंने बताया यह सुविधा जजों, स्टाफ और परिवार के लिए होगी।

अशोक होटल भारतीय पर्यटन निगम की मिल्कियत है। वही इसे चलाता है। पर्यटन निगम इधर कुछ दिनों से संचालन के लिए इसे प्राइवेट सेक्टर को देना चाह रहा है। वैसे, जजों को सुविधा देने का यह क़दम ऐसे वक्त में उठाया गया है, जब दिल्ली शहर कोरोना वायरस की चौथी लहर से जूझ रहा है। अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन से लेकर श्मशानों में लाशों के अंतिम संस्कार करने के लिए मारामारी का हाल है।

बता दें कि कोविड के कारण पनपे गंभीर हालात पर हाइकोर्ट कई बार खुद केंद्र और राज्य सरकार पर टिप्पणियां कर चुका है। 22 अप्रैल को ही जस्टिस विपिन सांघवी ने अस्पतालों में बेड की किल्लत से जुड़े केस की सुनवाई में कहा था- मरीजों की संख्या में चार गुणी वृद्धि हो चुकी है। लोगों को बेड नहीं मिल रहे हैं। सड़क पर खड़े आम आदमी को तो छोड़ दीजिए, अगर मैं भी एक बेड मांगू तो वह मुझे भी आसानी से नहीं मिलेगा।

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