लखनऊ में कहीं 25 हजार में बेच रहे 4800 का इंजेक्शन, तो कहीं मरीजों को थमा रहे नकली रेमडेसिविर, 8 अरेस्ट – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • लखनऊ में पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले गिरोह का खुलासा करते हुए 4 लोगों को गिरफ्तार किया
  • हत्थे चढ़े आरोपियों में केजीएमयू और स्कोप हॉस्पिटल के कर्मचारी भी शामिल, ये लोग अस्पतालों के बाहर ग्राहक तलाशते थे
  • पुलिस के मुताबिक, इसके बाद सौदा तय होने पर 4800 रुपये में मिलने वाला रेमडेसिविर इंजेक्शन 25 तक में बेच रहे थे

लखनऊ
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नाका और कैसरबाग थाने की संयुक्त टीम ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले गिरोह का खुलासा करते हुए 4 लोगों को गिरफ्तार किया है। हत्थे चढ़े आरोपियों में केजीएमयू और स्कोप हॉस्पिटल के कर्मचारी भी शामिल हैं।

गिरोह के सदस्य अस्पतालों के बाहर घूमकर और सोशल मीडिया पर ग्राहक तलाशते थे। इसके बाद सौदा तय होने पर 4800 रुपये में मिलने वाला रेमडेसिविर इंजेक्शन 25 तक में बेच रहे थे। आरोपियों के पास से 116 रेमडेसिविर इंजेक्शन के साथ ही 1,94,310 रुपये, चार फोन और तीन बाइकें बरामद हुई हैं।

इंस्पेक्टर नाका मनोज मिश्रा के अनुसार हत्थे चढ़े आरोपियों में गोंडा के मनकापुर के रहने वाले रामसागर, राजाजीपुरम निवासी अमनदीप मदान, मोहनलालगंज निवासी अंकुर वैश्य उर्फ प्रियांक रघुवंशी और हरदोई निवासी अंशु गुप्ता शामिल हैं। केजीएमयू में काम करने वाला रामसागर और स्कोप हॉस्पिटल में संविदा पर काम करने वाला अमनदीप मिलकर गिरोह चला रहे थे। केजीएमयू में काम करने वाले एक अन्य आरोपी की तलाश में छापे मारे जा रहे हैं।

ग्राहक बनकर पुलिस ने बिछाया था जाल
डीसीपी वेस्ट राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि कोरोना संकट के दौरान कुछ लोगों द्वारा जरूरी दवाओं और इंजेक्शन की कालाबाजारी किए जाने की सूचना मिली थी। आरोपी सिंगल इंजेक्शन को रोटी जबकि पूरे डिब्बे को लंच बॉक्स बोलते थे। पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर के निर्देश पर गिरोह तक पहुंचने के लिए टीम बनाई। इसके बाद सोशल मीडिया की मदद से मोहनलालगंज निवासी अंकुर वैश्य से संपर्क करके दो इंजेक्शन की जरूरत बताई गई।

कालाबाजारी या जमाखोरी करने वालों के संबंध में 9454400290 पर वॉट्सऐप या मेसेज के जरिए सूचना दी जा सकती है। जानकारी देने वाली की पहचान गोपनीय रखी जाएगी।
पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर

आरोपी ने एक इंजेक्शन के 25 हजार रुपये मांगे। सौदा तय होने पर इंजेक्शन लेकर नाका बुलाया गया। रात करीब 12 बजे अंकुर के कहने पर हरदोई निवासी अंशु इंजेक्शन लेकर पहुंचा,जहां पहले से मौजूद पुलिसकर्मियों ने उसे दबोच लिया। इसके बाद अंकुर,रामसागर और अमनदीप को भी गिरफ्तार कर लिया गया।

केजीएमयू स्टाफ बेच रहा था नकली इंजेक्शन
वहीं एक अन्य मामले में मानकनगर पुलिस ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने के आरोप में केजीएमयू के स्टाफ नर्स, ओटी टेक्निशन और नर्सिंग की पढ़ाई कर रहे छात्र समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है।

पुलिस ने आरोपियों के पास से 91 रेमडेसिविर इंजेक्शन, 4 मोबाइल फोन, स्कूटी और 5250 रुपये बरामद किए हैं। पुलिस के अनुसार पकड़े गए आरोपी एक इंजेक्शन 15 से 20 हजार रुपये में बेच रहे थे। गिरोह के सरगना की तलाश में छापे मारे जा रहे हैं।

जरूरतमंद बनकर पहुंची पुलिस
एडीसीपी चिरंजीव नाथ सिन्हा के मुताबिक सूचना मिली थी कि कौशल शुक्ला नामक शख्स 15 से 20 हजार रुपये में डेसरेम नाम का रेमडेसिविर इंजेक्शन बेच रहा है। इस जानकारी के बाद पुलिस टीम ने जरूरतमंद बनकर फोन किया और 6 इंजेक्शन मांगे। आरोपी कौशल ने 20 हजार रुपये में एक इंजेक्शन देने की बात कही।

आखिरकार 15 हजार रुपये में एक एक इंजेक्शन का सौदा तय हुआ। आरोपी ने इंजेक्शन देने के लिए अवध अस्पताल के आगे कनौसी पुल के नीचे बुलाया। पुलिस टीम ग्राहक बनकर इंजेक्शन लेने के लिए पहुंची और आरोपी को दबोच लिया। उसके पास से रेमडेसिविर के 12 इंजेक्शन बरामद हुए।

खदरा से केजीएमयू के नर्सिंग छात्र को पकड़ा

कौशल से पूछताछ में पता चला कि केजीएमयू से बीएससी नर्सिंग कर रहा विकास दूबे रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराता है। इसके बाद पुलिस ने कौशल की मदद से विकास से बात की और इंजेक्शन खरीदने का झांसा दिया। 15 हजार रुपये में सौदा तय होने पर विकास ने इंजेक्शन देने के लिए खदरा स्थित बंधे के किनारे बुलाया।

कौशल के साथ पुलिस टीम सादे कपड़ों में पहुंची और विकास को पकड़ लिया। आरोपी के पास से 36 रेमडेसिविर इंजेक्शन बरामद किए। सख्ती से पूछताछ में विकास ने गिरोह में शामिल अजीत मौर्या और राकेश तिवारी के बारे में बताया। दोनों आरोपी शिक्षा भवन के पास रहते हैं।

रितांशु सप्लाई कर रहा था नकली इंजेक्शन

पुलिस टीम ने विकास की निशानदेही पर अजीत मौर्या और राकेश तिवारी के घर पर छापा मारा। अजीत के घर से 25 और राकेश के घर से 16 इंजेक्शन बरामद हुए। पुलिस के मुताबिक अजीत लारी के ऑपरेशन थिएटर में टेक्निशन है। वहीं, राकेश तिवारी क्वीन मेरी में स्टाफ नर्स है। आरोपियों ने बताया कि बाराबंकी निवासी रितांशु मौर्या नकली इंजेक्शन उपलब्ध कराता है। प्रत्येक इंजेक्शन पर 3000 रुपये कमिशन मिलता है।

रितांशु ने आरोपियों से कहा था कि डिमांड अधिक होने के कारण लोग मुंहमांगी कीमत पर रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीद रहे हैं। किसी को असली या नकली का पता तक नहीं चलेगा। मानकनगर इंस्पेक्टर मुताबिक केजीएमयू से नर्सिंग की पढ़ाई कर रहा विकास मूलरूप से सुलतानपुर का रहने वाला है। आरोपी कौशल शुक्ला ने डी-फार्मा कर रखा है। वह मूलरूप से सीतापुर का रहने वाला है। मौजूदा समय में खदरा में रहता है। लारी में ओटी टेक्निशन अजीत मौर्या मूलरूप से सोनभद्र का रहने वाला है।

इसके अलावा क्वीन मेरी में स्टाफ नर्स राकेश तिवारी बलरामपुर का रहने वाला है। आरोपियों को पकड़ने में सेन्ट्रल जोन के सर्विलांस प्रभारी धर्मेन्द्र सिंह, मानकनगर इंस्पेक्टर अशोक कुमार सरोज व अन्य पुलिसकर्मियों की अहम भूमिका रही।

क्या बोले कमिश्नर

पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने बताया कि कालाबाजारी या जमाखोरी करने वालों के संबंध में 9454400290 पर वॉट्सऐप या मेसेज के जरिए सूचना दी जा सकती है। जानकारी देने वाली की पहचान गोपनीय रखी जाएगी। नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने वालों के खिलाफ विधिक राय लेकर एनएसए लगाने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी।



सांकेतिक तस्वीर

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