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हैदराबाद4 मिनट पहले
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देश में सबसे पहले कोवीशील्ड और कोवैक्सिन को इमरजेंसी अप्रूवल मिला था। दोनों ही वैक्सीन भारत में बनाई जाती हैं।
कोरोना के स्वदेशी टीके कोवैक्सिन के नए दाम की घोषणा हो गई है। भारत बायोटेक ने शनिवार रात को बताया किकोवैक्सिन के दाम राज्य सरकारों के लिए 600 रुपए, जबकि प्राइवेट अस्पतालों के लिए 1200 होंगे। कंपनी ने एक्सपोर्ट के लिए इसके दाम 15 से 20 डॉलर रखने का ऐलान किया है।
इधर, देश में अप्रूवल पाने वाली दूसरी वैक्सीन कोवीशील्ड बनाने वाले सीरम इंस्टिट्यूट ने बुधवार को नए दाम घोषित किए थे। प्राइवेट अस्पतालों को कोवीशील्ड 600 रुपए में, राज्य सरकारों को 400 रुपए में और केंद्र को पहले की तरह 150 रुपए में दी जाएगी। अभी कुल प्रोडक्शन मे से 50% वैक्सीन केंद्र के वैक्सीनेशन प्रोग्राम के लिए भेजी जाती हैं। बाकी 50% वैक्सीन राज्यों और प्राइवेट अस्पतालों को दी जाती है।
भारत बायोटेक ने शनिवार रात को कोवैक्सिन के रेट घोषित किए।
कोवैक्सिन दुनिया की सबसे सफल वैक्सीन में शामिल
भारत बायोटेक और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की कोशिशों से बनी पहली स्वदेशी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सिन दुनिया की सबसे सफल वैक्सीन में से एक के तौर पर सामने आई है। कंपनी ने फेज-3 क्लीनिकल ट्रायल्स के दूसरे अंतरिम नतीजों के आधार पर दावा किया है कि वैक्सीन की क्लिनिकल एफिकेसी 78% है।
यानी यह कोरोना इन्फेक्शन को रोकने में 78% इफेक्टिव है। अच्छी बात यह है कि जिन्हें ट्रायल्स में यह वैक्सीन लगाई गई थी, उनमें से किसी में भी गंभीर लक्षण नहीं दिखे। यानी गंभीर लक्षणों को रोकने के मामले में इसकी इफेक्टिवनेस 100% है।
कोवैक्सिन का प्रोडक्शन बढ़ाया जाएगा
हाल ही में भारत बायोटेक ने कोवैक्सिन का प्रोडक्शन बढ़ाने का फैसला किया था। अब हर साल इसके 70 करोड़ डोज तैयार किए जाएंगे। कंपनी ने अपने हैदराबाद और बेंगलुरु के कई प्लांट की क्षमता बढ़ाई है। मैक्सिमम लिमिट तक प्रोडक्शन पहुंचाने में 2 महीने का समय लगेगा। वित्त मंत्रालय ने कोवैक्सिन का प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए भारत बायोटेक कंपनी को 1,567.50 करोड़ रुपए एडवांस देने का ऐलान किया है।
हर महीने तैयार की जाएंगी 5.35 करोड़ वैक्सीन
कंपनी ने कहा कि वह जुलाई से हर महीने 5.35 करोड़ वैक्सीन तैयार करना शुरू कर देगी। कंपनी इनएक्टिवेटेड वैक्सीन बनाती है। इस तरह की वैक्सीन सुरक्षित होती है, लेकिन उसमें काफी जटिलता होती है। इसको तैयार करना भी महंगा पड़ता है। इसलिए लाइव वायरस वैक्सीन के मुकाबले इसका उत्पादन कम होता है।