ऑक्सिजन की किल्लत : अगर, जरा सी भी देर हुई तो सांस कैसे लेंगे गंभीर मरीज? – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • कई बड़े अस्पतालों में 4 दिन से भी ज्यादा का रहता था स्टॉक, चंद घंटे की ही ऑक्सिजन बची
  • LNJP हॉस्पिटल में रोजाना 20 टन ऑक्सिजन की जरूरत पड़ती है, 12 घंटे के लिए ही बची
  • अपोलो अस्पताल में अभी 350 से ज्यादा मरीज ऑक्सिजन स्पोर्ट पर निर्भर हैं, पूछ रहे सवाल

नई दिल्ली
कोरोना महामारी में पिछले कुछ दिनों से बीमारी की सांस बीच बीच में अटक जा रही है। इस बीमारी में सबसे ज्यादा कारगर ऑक्सिजन थेरपी का सबसे अहम रोल है। जिंदगी की आस इसी पर टिकी है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से ऑक्सिजन की कमी हो रही है। ऐसे में अस्पतालों को बार-बार परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालात यह है कि जिन बड़े अस्पतालों में 4 दिन से भी ज्यादा का ऑक्सिजन स्टॉक में रहता था, अब वहां पर कुछ घंटे के लिए ही ऑक्सिजन बची है।

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LNJP में 20 टन ऑक्सिजन की जरूरत
अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ सुरेश कुमार ने बताया कि उनके यहां रोजाना 20 टन ऑक्सिजन की जरूरत है। फरीदाबाद के एक सप्लायर ने बुधवार को सप्लाई से मना कर दिया, उसने कहा कि हरियाणा में कहीं और सप्लाई है। ऐसे में अस्पताल को जरूरत के आधे ही ऑक्सिजन मिली। अभी अस्पताल में 400 मरीज केवल वेंटिलेटर पर हैं और एक मरीज को 45 से 50 लीटर ऑक्सिजन हर मिनट चाहिए होता है। यही वजह है कि जरूरत ज्यादा हो गई है और सप्लाई कम। वक्त रहते सप्लाई नहीं हुई तो दिक्कत हो सकती है।

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अपोलो में सिर्फ 12 घंटे की ऑक्सिजन
न केवल सरकारी, बल्कि प्राइवेट में अस्पतालों भी ऑक्सिजन की किल्लत होने लगी है। अपोलो अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर पी शिवकुमार के अनुसार ऑक्सिजन को लेकर कई मरीज बार बार पूछ रहे हैं। अस्पताल में सिर्फ 10 से 12 घंटे की ही ऑक्सिजन है। कोई दूसरा विकल्प अब नहीं है। यह खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। सप्लाई की चेन खराब हो गई है। बार-बार देरी से स्पलाई हो रही है। अस्पताल में अभी 350 से ज्यादा मरीज ऑक्सिजन स्पोर्ट पर निर्भर हैं। हम लगातार डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन के साथ काम कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि कई दिनों से यह प्रभावित है, जब दो से तीन घंटे की ऑक्सिजन बचती है तब सप्लाई होती है। मरीज खतरे में पड़ जाते हैं। सरकार को तुरंत इसमें दखल देकर सही कराने की कोशिश की जानी चाहिए।

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बुराड़ी अस्पताल में हर 7-8 घंटे बाद ऑक्सिजन की जरूरत
बुराड़ी अस्पताल के नोडल ऑफिसर आईएएस रमेश वर्मा ने बताया कि उनके पास 7 से 8 घंटे की ऑक्सिजन बची है और 320 मरीजों में से 80 प्रतिशत मरीज ऑक्सिजन सपोर्ट पर हैं। उन्होंने कहा कि हर 7 से 8 घंटे में ऑक्सिजन सप्लाई की जरूरत पड़ रही है, क्योंकि अस्पताल में ऑक्सिजन कम सप्लाई हो रही है। फिलहाल उम्मीद है कि कुछ ही घंटों बाद अस्पताल में ऑक्सिजन की सप्लाई होगी, ताकि रात आराम से निकल जाए और किसी तरह की परेशानी न हो।

गंगाराम अस्पताल में 3 गुना बढ़ी खपत
गंगाराम अस्पताल के चेयरमैन डॉक्टर डीएस राणा के मुताबिक अस्पताल में बुधवार को 4500 क्यूबिक मीटर ऑक्सिजन एक प्राइवेट वेंडर से और 6 हजार क्यूबिक मीटर आइनॉक्स की तरफ से भेजी गई है। फिलहाल अस्पताल में 11 हजार क्यूबिक मीटर ऑक्सिजन की जरूरत है। डॉक्टर राणा का कहना है कि भारतीय ऑक्सिजन लिमिटेड और आईनॉक्स ने दिन के दौरान टैंकों को फिर से भरने का वादा किया है और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में अस्पताल में ऑक्सिजन की कमी नहीं होगी। फिलहाल स्थिति यह है कि अस्पताल में ऑक्सिजन की खपत करीब तीन गुना बढ़ गई है। ऐसे में हमारी पूरी कोशिश है कि समय रहते अस्पताल में ऑक्सिजन की सप्लाई की जाती रहे ताकि परेशानी न हो। खबर लिखे जाने तक 5 घंटे की ही ऑक्सिजन बची थी।

ईएसआई अस्पताल रोहिणी में नहीं है कमी
रोहिणी स्थित ईएसआई अस्पताल में 16 बेड का आइसोलेशन वॉर्ड है, जिसमें से 12 से 13 मरीज ऑक्सिजन सपोर्ट पर हैं। जो मरीज बेहद गंभीर स्थिति में आ रहे हैं, उन्हें इमरजेंसी में ही ऑक्सिज सपोर्ट पर रखा जा रहा है। इस तरह के करीब 6 से 7 मरीज इस वक्त इमरजेंसी में हैं। डॉक्टरों का कहना है कि इस वक्त यहां ऑक्सिजन पर्याप्त मात्रा में है। सरकार को भी लगातार अस्पताल की स्थिति की जानकारी दी जा रही है और फिलहाल अस्पताल में किसी तरह की परेशानी नहीं है। हालांकि ज्यादा बेड की व्यवस्था होने की वजह से ज्यादा मरीज यहां आ भी नहीं रहे हैं।

डीडीयू में फिलहाल पर्याप्त है ऑक्सिजन
वेस्ट दिल्ली के सबसे बड़े दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में कोविड मरीजों के लिए बेड बढ़ाकर यहां करीब एक हजार कर दिए गए हैं। अच्छी बात यह है कि यहां फिलहाल ऑक्सिजन की पर्याप्त मात्रा मौजूद है। अस्पताल के डॉक्टर राज कुमार का कहना है कि फिलहाल यहां करीब 300 मरीज ऐसे भर्ती हैं, जो ऑक्सिजन सपोर्ट पर हैं और अस्पताल में ऑक्सिजन भी अभी मौजूद है। न कल किसी तरह की परेशानी हुई और न ही आज आज कोई दिक्कत अब तक हुई है। अस्पताल मैनेजमेंट का भी यही कहना है कि अस्पताल में ऑक्सिजन की कमी नहीं है, बस इस बात का ध्यान रखा जाए कि अस्पताल में केवल उन्हीं मरीजों को भर्ती किया जाए, जिन्हें वास्तव में ऑक्सिजन की जरूरत है।

संजय गांधी में फिलहाल है ऑक्सिजन
संजय गांधी अस्पताल की नोडल अफसर आईएए आर मेनका का कहना है कि फिलहाल अस्पताल में जो मरीज भर्ती हैं, उन्हें ऑक्सिजन की कोई दिक्कत नहीं है लेकिन जल्द ही अस्पताल में ऑक्सिजन सप्लाई की जरूरत पड़ेगी। अस्पताल में केवल उन्हीं मरीजों को भर्ती किया जा रहा है, जिन्हें सच में ऑक्सिजन की जरूरत है। ऑक्सिजन को लेकर लगातार सरकार के भी संपर्क में हैं।

सेंट स्टीफंस में ऑक्सिजन की कमी
सेंट स्टीफंस अस्पताल के असोसिएट मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर जॉन पुनुज ने बताया कि बुधवार को सवा सवा 5 बजे तक उनके अस्पताल में करीब 40 से 50 मिनट की ऑक्सिजन बची है। इस वक्त अस्पताल में लगभग 350 मरीज ऑक्सिजन सपोर्ट पर हैं। ऐसे में यदि समय पर ऑक्सिजन नहीं पहुंची तो स्थिति बेहद खराब हो सकती है। हालांकि ऑक्सिजन सप्लायर से बात हो गई है और वह जल्द ही अस्पताल में ऑक्सिजन टैंकर भेज रहे हैं लेकिन यदि इसी तरह चलता रहा तो बड़ी मुसीबत आ सकती है। अभी देखना होगा कि अस्पताल में कितनी ऑक्सिजन पहुंचती है और वह कितनी देर तक चलेगी। ऑक्सिजन की कमी को लेकर सरकार के लगातार संपर्क में हैं।

हिंदूराव अस्पताल में भी ऑक्सिजन की कमी
बाड़ा हिंदूराव अस्पताल में एडमिट 210 मरीजों की जान खतरे में पड़ गई है। अफसरों का कहना है कि गुरुवार सुबह तक ही ऑक्सिजन बची है। अगर सरकार व्यवस्था नहीं करती, तो मरीजों की हालत खराब हो सकती है। नॉर्थ एमसीडी मेयर जय प्रकाश के अनुसार, यहां जितने बेड हैं, मरीज उससे कहीं अधिक हैं। इतने मरीजों के लिए अस्पताल में ऑक्सिजन सप्लाई बेहद कम मात्रा में बची हैं। मुश्किल से सुबह तक ही आपूर्ति हो सकेगी। इसलिए दिल्ली सरकार से एमसीडी ने मांग की है कि तुरंत ऑक्सिजन सिलिंडर की व्यवस्था करें। वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर मेयर ने हरियाणा के मुख्यमंत्री से भी बात की है कि फरीदाबाद के ऑक्सिजन गैस प्लांट से हॉस्पिटल के लिए ऑक्सिजन उपलब्ध कराई जाए, लेकिन यहां से सप्लाई में थोड़ा वक्त लगेगा।

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