Delhi Lockdown: कैट ने एलजी और सीएम को लिखा लेटर, हालात को देखते हुए लॉकडाउन लगाने की मांग – दैनिक जागरण

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। कोरोना महामारी का कहर देश भर में बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है और दिल्ली में यह जिस तेजी से बढ़ रहा है उसको देखते हुए दिल्ली के नागरिकों और व्यापारियों के हित में कंफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज दिल्ली के उपराजयपाल अनिल बैजल तथा मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को एक पत्र भेज कर आज यह मांग की है कि दिल्ली में तुरंत प्रभाव से कम से कम 15 दिन का लॉकडाउन लगाया जाए और दिल्ली के सभी बॉर्डर पर कोरोना की जांच के सख्त इंतजाम किए जाएं जिससे कोरोना की बढ़ती दर पर अंकुश लगाया जा सके। कैट ने कहा कि इस कदम से निश्चित रूप से दिल्ली की व्यापारिक एवं आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होंगी, लेकिन अब जान को प्रथम वरीयता पर रखना होगा।

कैट ने कहा कि कल दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने स्वयं इस बात को स्वीकार किया है की दिल्ली में बेड की कमी है और दवाइयां, ऑक्सीजन आदि की भी किल्लत है। मुख्यमंत्री का यह कहना अपने आप में पर्याप्त है की यदि जल्द कोई सख्त कदम नहीं उठाये गए तो स्थिति के बेकाबू होने की सम्भावना है।

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उधर, कैट ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृह मंत्री अमित शाह से आग्रह किया है कि दिल्ली सहित देश भर के जिन राज्यों में कोरोना तेजी से बढ़ रहा है उन सभी राज्यों में जिला स्तरों पर कोरोना से रोकथाम की पुख्ता योजना बनाई जाए। प्रधानमंत्री ने स्वयं कहा है कि छोटे कन्टेनमेंट जोन के आधार पर इस बार कोरोना की रोकथाम के उपाय होने चाहिए और जिला स्तर प्रधानमंत्री के कथन का उपयुक्त आधार है।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि पिछले एक महीने के आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि यदि कोरोना की श्रंखला को तुरंत नहीं रोका गया तो दिल्ली में कोरोना का बम फूटना तय है। दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा की 18 मार्च को दिल्ली में 80,253 टेस्ट हुए थे जिसमें 607 कोरोना के मामले थे और कोरोना की दर 0.76 फीसद थी जबकि एक अप्रैल को दिल्ली में 78,100 टेस्ट हुए और 2,790 कोरोना के मामले निकले और कोरोना दर 3 .5 फीसद थी वहीं, आठ अप्रैल को 91,800 टेस्ट हुए और 7,437 कोरोना के मामले निकले जिसकी कोरोना दर 8 .10 फीसद थी और कल 17 अप्रैल को दिल्ली में 99,200 टेस्ट हुए जिसमें 24,375 कोरोना के मामले निकले जिसकी कोरोना दर 24 .57 फीसद थी।

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यह आंकड़े बेहद भयावह हैं और स्पष्ट दर्शाते हैं कि दिल्ली में कोरोना अपना विकराल रूप ले चुका है। कैट के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विपिन आहुजा व प्रदेश महामंत्री देवराज बवेजा ने कहा कि सरकार कुछ भी दावा करें लेकिन सच्चाई यह है कि दिल्ली में मेडिकल व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है क्योंकि जिस तादाद में मरीज बढ़ रहे हैं, उस तादाद में मेडिकल सुविधएं हैं ही नहीं। अस्पतालों में बिस्तर नहीं है, आईसीयू खाली नहीं हैं।

कोरोना मरीज एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटक रहे हैं। कैट के प्रदेश महामंत्री तथा दिल्ली ड्रग डीलर्स एसोसिएशन के महामंत्री आशीष ग्रोवर ने बताया कि दिल्ली के विभिन्न भागों से लोग बड़ी तादाद में कुछ कोरोना से सम्बंधित विशेष दवाइयों की लगातार मांग कर रहे हैं लेकिन वो दवाइयां बिलकुल भी उपलब्ध नहीं है जिसके कारण मरीजों में हताशा और निराशा है। लोग अपने आप को असहाय महसूस कर रहे हैं। सच तो यह है की पैसे तो हैं लेकिन मरीज को इलाज उपलब्ध नहीं है।

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इन विकट एवं संकटकालीन परिस्थितियों को देखते हुए कैट ने उपराजयपाल बैजल तथा मुख्यमंत्री केजरीवाल से कहा है कि उपरोक्त स्तिथि का वर्णन कोई सरकार अथवा प्रशासन पर आरोप नहीं हैं , लेकिन वास्तविकता को देखते हुए अब एक बार कोरोना की श्रृंखला को तोड़ना बेहद जरूरी हो गया है और इसके लिए न केवल प्रारंभिक तौर पर लॉकडाउन लगाया जाए बल्कि एयरपोर्ट, बस स्टैंड तथा रेलवे स्टेशनों और दिल्ली के सभी बॉर्डर पर दिल्ली में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की कोरोना जांच अवश्य की जाए और इसमें कोई कोताही को बर्दाश्त नहीं किया जाए। इसी तरह लॉकडाउन का सख्ती से पालन हो। इसमें पास केवल सीमित संख्यां में उन व्यक्तियों को ही दिए जाएं जिनके लिए आना जाना बेहद जरूरी है।

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खंडेलवाल ने कहा कि प्रस्तावित लॉकडाउन में दिल्ली में रहने वाले लोगों को आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति उनके घर तक पहुंचे इसके लिए दिल्ली के व्यापारिक संगठन पूरी तरह से तैयार हैं और हर संभव तरीके से सरकार की सहायता करने के लिए तत्पर हैं। उन्होंने उपराजयपाल से आग्रह किया कि इस सम्बन्ध में दिल्ली के कुछ प्रमुख व्यापारी संगठनों से कैट के नेतृत्व में व्यापारियों का एक प्रतिनिधिमंडल मिलना भी चाहता है। यह समस्या केवल सरकार के नहीं है बल्कि दिल्ली के हर नागरिक की है और जरूरत इस बात की है कि पीपीपी मॉडल के आधार पर सरकार और जिम्मेदार नागरिक मिलकर सामूहिक रूप से इस महामारी का मुकाबला करने के लिए तैयार हों।

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