लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिलने पर CM नीतीश ने दी यह प्रतिक्रिया… – News18 इंडिया

नीतीश कुमार-लालू प्रसाद यादव (फाइल फोटो)

लालू यादव को जमानत (Lalu Yadav Bail) मिलने की खबर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) अनजान थे. उनसे जब इस पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा, मुझे इसकी जानकारी नहीं है. यह सब चलता रहता है. यह मामला लालू यादव और कोर्ट के बीच का है

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पटना. राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) को आखिरकार कोर्ट से जमानत मिल गयी. उन्हें जमानत मिलने की खबर जंगल में आग की तरह चारों ओर फैल गई, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य आश्चर्य होगा कि लालू यादव को जमानत (Lalu Yadav Bail) मिलने के काफी देर बाद तक इसकी जानकारी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को नहीं थी. देश-प्रदेश के पल-पल की जानकारी रखने वाले नीतीश कुमार को आखिर यह जानकारी क्यों नहीं मिल पाई कि दुमका कोषागार मामले में लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) ने जमानत दे दी है.

बिहार में कोरोना संकट पर शनिवार को राज्यपाल फागू चौहान के नेतृत्व में सर्वदलीय बैठक आयोजित की गई थी. इसी दौरान खबर आई कि लालू यादव को दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है. लालू यादव के समर्थकों में जश्न का माहौल था, कहीं पटाखे फोड़े जा रहे थे तो कहीं मिठाइयां बांटी जा रही थी. पटना स्थित आरजेडी कार्यालय के बाहर पार्टी के कार्यकर्ता और नेता एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगा रहे थे. इतना सब कुछ हो रहा था लेकिन लालू यादव को जमानत मिलने की खबर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अनजान थे. सीएम नीतीश से जब इस पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा, मुझे इसकी जानकारी नहीं है. यह सब चलता रहता है. यह मामला लालू यादव और कोर्ट के बीच का है.

इधर, लालू यादव को जमानत मिलते ही सियासी गलियारे में हलचल तेज हो गयी और बयानबाजी का दौर भी शुरू हो गया है. लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने कहा कि हम लोगों को शुरू से ही न्यायालय पर भरोसा था कि न्याय जरूर मिलेगा. लालू जी ने सजा का हाफ सेंटेन्स पूरा किया है, उसी के आधार पर उच्च न्यायालय ने बेल दिया है. झारखंड हाईकोर्ट को मैं धन्यवाद देना चाहता हूं. गरीवों के नेता अब उनके बीच रहेंगे.

वहीं, लालू की रिहाई पर जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा है कि यह न्यायालय का फैसला है. लालू प्रसाद यादव के आने से विपक्ष को किसी तरह की मजबूती मिलना जैसी बातें बेबुनियाद हैं. क्योंकि लालू के नेतृत्व वाली आरजेडी को बिहार के वोटर 15 साल पहले ही नकार चुके हैं.

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