Corona Vaccine in India : स्पूतनिक वैक्सीन को हां, फाइजर और मॉडर्ना को ना…समझिए 7 पॉइंट्स में – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • यह भारत में उपलब्ध तीसरी एंटी कोविड-19 वैक्सीन होगी
  • देश में स्पूतनिक वी वैक्‍सीन का फेज 3 ट्रायल चल रहा है
  • फाइजर, मॉडर्ना जितनी ही प्रभावी बताई जा रही है वैक्सीन

नई दिल्ली
देश में बेकाबू होते कोरोना संक्रमण के मामलों के बीच केंद्रीय औषधि प्राधिकरण की एक्सपर्ट कमेटी ने देश में कुछ शर्तों के साथ रूस के एंटी कोविड-19 वैक्सीन ‘स्पूतनिक वी’ (Sputnik V)के इमरजेंसी यूज को मंजूरी देने की सिफारिश की है। भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) इस सिफारिश पर अंतिम निर्णय लेगा। यदि इस वैक्सीन को मंजूरी मिल जाती है तो यह भारत में उपलब्ध तीसरी एंटी कोविड-19 वैक्सीन होगी।

Dr Harsh Vardhan interview : डॉ. हर्षवर्धन बोले- 10 दिन में भारत को मिलगी तीसरी वैक्सीन, वैक्सीन की कमी पर दिया जवाब
देश में इस वैक्‍सीन का फेज 3 ट्रायल चल रहा है। इससे पहले ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड (Covishield) और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन (Covaxin) की मंजूरी मिल चुकी है। इस बीच यह सवाल उठ रहे हैं कि रूस की स्पूतनिक वैक्सीन को मंजूरी क्यों मिली जबकि अमेरिकी कंपनी फाइजर (Pfizer) या मॉडर्ना (Moderna) की वैक्सीन अभी इंतजार में हैं। जानतें हैं सात प्वाइंट्स में…

  1. स्पूतनिक वैक्सीन बनाने वाली कंपनी गामलेया रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने दावा किया है कि वैक्सीन ने कोरोना वायरस के गंभीर मामलों के खिलाफ 100 प्रतिशत कारगर रही है।
  2. स्पूतनिक वी वैक्सीन अब तक 1.2 अरब आबादी वाले 59 देशों में अप्रूव हो चुकी है। इसे रूस में अगस्त 2020 में ही इस्तेमाल की इजाजत मिल गई थी।
  3. रूस की वैक्सीन सामान्य सर्दी जुखाम पैदा करने वाले adenovirus पर आधारित है। इस वैक्सीन को आर्टिफिशल तरीके से बनाया गया है। यह कोरोना वायरस SARS-CoV-2 में पाए जाने वाले स्ट्रक्चरल प्रोटीन की नकल करती है जिससे शरीर में ठीक वैसा इम्यून रिस्पॉन्स पैदा होता है जो कोरोना वायरस इन्फेक्शन से पैदा होता है।
  4. रूसी वैक्सीन की सबसे खास बात यह है कि यह एमआरएनए तकनीक पर नहीं बनी। फिर भी एमआरएनए तकनीक के फाइजर और मॉडर्ना के वैक्सीन के समान ही प्रभावी है।
  5. भारत में वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी के लिए, यहां कुछ लोगों पर ट्रायल करना जरूरी है। देश में कोई भी बाहर की चीज आती है तो अपने लोगों पर इस्तेमाल होने के लिए एक ब्रीजिंग का ट्रायल करना जरूरी होता है। रूसी कंपनी ने यह ट्रायल का स्टेज पूरा किया है।
  6. फाइज़र ने एक बार शुरू में यहां पर आवेदन किया था लेकिन जब उन्हें यह बताया गया कि यहां उन्हें ट्रायल करना होगा तो उन्होंने अपना आवेदन वापस ले लिया। वहीं मॉडर्ना ने तो कभी कोई आवेदन ही नहीं किया है। इस बात की जानकारी खुद स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने एक इंटरव्यू में दी थी।
  7. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार मौजूदा समय में फाइजर या मॉडर्ना की तरफ से भारत में उनकी वैक्सीन के इमरजेंसी यूज के लिए कोई एप्लिकेशन नहीं है।

sputnik moderna pfizer


Related posts