NIA के सामने वाझे ने उगले सारे राज, कमजोर कड़ी समझकर मनसुख हिरेन की कर दी हत्या – प्रभात खबर

इसके बाद जांच टीम विक्रोली पहुंची और एफआईआर दर्ज करनेवाले सब इंस्पेक्टर, उस वक्त के डयृटी अधिकारी और जांच अधिकारी से पूछताछ शुरू की, पर विक्रोली पुलिस की कहानी से पहले अभी स्कॉर्पियो की कहानी पर ही फोकस बरकरार रखते हैं. हिरेन मनसुख के परिवार वालों का कहना है कि यह स्कॉर्पियो सचिन वाझे के पास नवंबर से 5 फरवरी तक थी. मनसुख के परिवार वालों का यह भी कहना है कि खुद मनसुख भी इसे पिछले तीन साल से यूज कर रहे थे, लेकिन कमाल यह है कि न तो मनसुख तीन साल में और न ही सचिन वाझे चार महीने में स्कॉर्पियो के एक कांच पर बहुत बारीक से लिखे मूल नंबर को पढ़ पाए. इसलिए वाझे ने गाड़ी के नीचे आगे-पीछे तो फर्जी नंबर प्लेट लगा दिए, लेकिन कांच पर मूल नंबर का सुराग छोड़ गए.

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