उत्तराखंड सीएम पद से त्रिवेंद्र सिंह रावत का इस्तीफा, वजह के जवाब में बोले… – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • बेलगाम अफसरशाही और चंद लोगों से घिरना ले डूबा सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को
  • विधायकों ने खोल दिया था मोर्चा और किसी कीमत पर मानने को नहीं थे तैयार
  • पार्टी कार्यकर्ता भी जता चुके थे गहरी नाराजगी, चुनाव में काम न करने की भी की बात

नई दिल्ली
उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत की सीएम कुर्सी को राज्य की बेलगाम अफसरशाही ले डूबी। चंद अफसरों के मुताबिक ही सारे फैसले लेने और विधायकों की शिकायतों को अनसुना करना रावत पर भारी पड़ा। सामान्य परिवार से निकलकर सीएम की कुर्सी तक पहुंचने की बात त्रिवेंद्र सिंह रावत ने की लेकिन कार्यकर्ताओं की नजर में उनकी इमेज एक घमंडी सीएम की बन गई थी। बीजेपी विधायकों और बीजेपी कार्यकर्ताओं ने इस तरह सीएम के खिलाफ मोर्चा खोला कि आखिरकार पार्टी को सीएम बदलने का फैसला लेना पड़ा।

उत्तराखंड के कई विधायकों और बीजेपी नेताओं से बात करने पर सबके पास सीएम के खिलाफ सुनाने को कोई न कोई कहानी मिली। एक ने बताया कि त्रिवेंद्र सिंह रावत अफसरशाही के इशारों पर चल रहे थे। बात भले जीरो करप्शन की हो लेकिन अफसर पूरी तरह बेलगाम थे। उन्होंने एक विधायक का जिक्र करते हुए कहा कि उनके इलाके के डीएम ने तो मीटिंग में ही विधायक को डांट दिया। इसकी शिकायत सीएम से की गई लेकिन सीएम ने कुछ भी नहीं किया। जबकि वह विधायक कांग्रेस के एक बड़े नेता को हराकर विधायक बने हैं।
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एक विधायक ने कहा कि अपने क्षेत्र की जनता की मांग पर जब किसी भी प्रोजेक्ट को लेकर अधिकारियों से मिलते थे तो वे वह काम करना तो दूर ठीक उसके उलट काम करते थे। एक विधायक ने कहा कि अधिकारी कभी भी विधायक के आने पर भी कुर्सी से खड़े नहीं होते थे, फिर उन्होंने कहा कि हम उनसे ऐसा करने को कह भी नहीं रहे हैं, हमें भले इज्जत ना देते पर जनता का काम तो करते।












उत्तराखंड सीएम पद से त्रिवेंद्र सिंह रावत का इस्तीफा, वजह के जवाब में बोले…

बीजेपी के एक नेता ने कहा कि सीएम के इर्द गिर्द के दो आईएएस ऑफिसर की वजह से रावत के खिलाफ नाराजगी बढ़ी। वह उनसे मिलने का वक्त नहीं देते थे। कार्यकर्ता घंटों इंतजार करते थे पर रावत के पास दो मिनट का टाइम भी नहीं होता था। एक नाराजगी यह भी बताई गई कि सीएम ने पहाड़ के लोगों की सुनने की बजाय यूपी से आए अफसरों पर ज्यादा भरोसा किया और पहाड़ वालों की कद्र नहीं की।

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प्रेस कॉन्फ्रेंस में छलका त्रिवेंद्र सिंह रावत का दर्द, इस्तीफे के सवाल पर कही ये बात….
नाराज विधायकों और नाराज पार्टी कार्यकर्ताओं की वजह से त्रिवेंद्र सिंह रावत जनता के बीच भी विलेन बनने लगे। पार्टी कार्यकर्ताओं ने कहना शुरू किया कि रावत जब पार्टी कार्यकर्ताओं की ही नहीं सुनते तो जनता की क्या सुनेंगे।

उत्तराखंड में जब बीजेपी की सरकार बनी तब उत्तराखंड के लोगों को बहुत उम्मीद थी लेकिन वह उम्मीद भी पूरी होती नहीं दिखी। युवाओं को रोजगार के मौके बढ़ने की उम्मीद थी लेकिन रोजगार नहीं मिला। युवाओं की नाराजगी भी रावत पर भारी पड़ी। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी विधायकों ने पार्टी नेतृत्व को साफ कर दिया था कि अगर त्रिवेंद्र सिंह रावत के सीएम रहते चुनाव में जाना पड़ा तो उनकी अपनी सीट बचाना भी मुश्किल हो जाएगा। साफ कहा गया कि वह किस मुंह से जनता के बीच जाएंगे।

सूत्रों के मुताबिक दिल्ली से भेजे गए पर्यवेक्षकों को भी बीजेपी के स्थानीय नेताओं ने कहा कि कार्यकर्ता इस हद तक नाराज है कि वह चुनाव में काम न करने की बात कर रहे हैं। हालांकि त्रिवेंद्र सिंह रावत के करीबियों का कहना है कि पार्टी के भीतर आंतरिक गुटबाजी की वजह से रावत की कुर्सी गई। उन्होंने कहा कि राज्य में पार्टी के कई नेताओं की नजर पहले दिन से सीएम की कुर्सी पर लगी थी और वह किसी भी तरह उन्हें हटाने की कोशिश में लगे थे। इसके लिए कई तरह की बातें की गई। एक नेता ने कहा कि पार्टी के भीतर की ब्राह्मण लॉबी भी रावत को हटाने के लिए लगातार काम कर रही थी।

राज्य में अगले साल की शुरुआत में चुनाव होने हैं। ऐसे में बीजेपी कोई भी खतरा मोल नहीं लेना चाहती और चुनाव में किसी तरह की दिक्कत ना हो इसलिए बीजेपी ने सीएम को बदलने का फैसला किया। बुधवार को देहरादून में बीजेपी विधायक दल की मीटिंग है जिसमें नए नेता का चुनाव किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक किसी विधायक के ही सीएम बनने की संभावना ज्यादा है। इसमें मौजूदा मंत्री धन सिंह रावत का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है।

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