संजीव बालियान ने कहा है कि नए कृषि कानून से एक भी किसान की जमीन गई तो मैं सबसे पहले इस्तीफा दे दूंगा। इधर राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन को तेज करने के लिए एक नया फ़ॉर्मूला दिया है जिसमें….
कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन को 100 दिन पूरे हो चुके हैं लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से किसानों को राहत देने के लिए कोई हल नहीं निकाला जा सका है। नवंबर के अंतिम दिनों में शुरू हुए किसान आंदोलन में देश के अलग- अलग हिस्सों से किसानों ने हिस्सा लिया है मगर फिर भी सरकार पर इसका कुछ असर होता नहीं दिख रहा। किसान नेता राकेश टिकैत ने अब इस आंदोलन को और तेज करने के लिए किसानों को एक नया फॉर्मूला सुझाया है। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता ने कहा कि अगर हर गांव से एक ट्रैक्टर पर 15 लोग दस दिन के लिए आंदोलन में आएं तो इससे आंदोलन लंबा चलेगा।
राकेश टिकैत ने कहा कि इस फॉर्मूले से किसान को यह फायदा होगा कि वो गांव वापस जाकर अपनी खेती भी कर सकेगा। राकेश टिकैत अपने संबोधनों और सोशल मीडिया के जरिए किए गए पोस्ट्स में सरकार पर हमलावर दिख रहे हैं। उनका कहना है कि अब जो आंदोलन होगा, इसमें कहीं बैरिकेडिंग नहीं होनी चाहिए। अगर ऐसा होता है तो उसे तोड़ दिया जाएगा। उन्होंने किसानों से कहा है कि वो बैरिकेडिंग तोड़ना सीख लें।
इधर बीजेपी सांसद संजीव बालियान केंद्र की तरफ से लगातार किसानों और जाट समुदाय को अपने पक्ष में लेने की कोशिश करते दिख रहे हैं। उन्होंने हाल ही में कहा है कि नए कृषि कानून से अगर एक भी किसान की जमीन गई तो मैं सबसे पहले इस्तीफा दे दूंगा। मुजफ्फरनगर से बीजेपी सांसद बालियान मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज में हिंदू मजदूर किसान समिति द्वारा आयोजित एक रैली को संबोधित कर रहे थे।
अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा, ‘जिस दिन इस देश के किसान की जमीन कोई उद्योगपति छीन लेना, उस दिन संजीव बालियान सबसे पहले इस्तीफा देगा।’ बालियान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसी तरह की रैलियों के माध्यम से लोगों को नए कृषि कानूनों के फायदे बता रहे हैं।
गौरतलब है कि कृषि कानूनों के विरोध में किसान 26 नवंबर से दिल्ली की अलग- अलग सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए और MSP पर कानून बनाया जाए। किसानों और केंद्र सरकार के बीच 11 दौर की बातचीत भी हुई है लेकिन जनवरी के बाद से यह बातचीत ठप्प है। किसान नेता और सरकार दोनो यह कहते रहे हैं कि हम बातचीत के लिए तैयार हैं लेकिन बातचीत के लिए फिलहाल कोई पहल नहीं दिख रही।