Gujarat Municipal Elections Result Analysis : नहीं हिला बीजेपी का सबसे मजबूत किला, विधानसभा चुनाव से पहले गुजरात निकाय नतीजों के मायने समझिए – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • गुजरात में निकाय चुनाव के नतीजों में बीजेपी ने मारी बाजी
  • सभी छह नगर निगमों में बड़ी जीत की ओर बढ़ रही है पार्टी
  • हार्दिक पटेल के जोरदार अभियान के बावजूद कांग्रेस हारी
  • पाटीदार आंदोलन के केंद्र सूरत में कांग्रेस को बड़ा झटका

अहमदाबाद
एक महीने के अंदर देश के तीसरे राज्य में निकाय चुनाव के नतीजे आए हैं। पहले हरियाणा, फिर पंजाब और अब गुजरात। किसान आंदोलनों की आंच के बीच हरियाणा और पंजाब में बीजेपी को जनता का गुस्सा झेलना पड़ा। वहीं, अपने गढ़ गुजरात में बीजेपी ने एक बार फिर कामयाबी हासिल की है। यहां से मिल रहे नतीजे एक तरफ कांग्रेस को भारी टेंशन देनेवाले हैं तो गुजरात में AAP अपने पैर जमाने में कामयाब रही है।

गौर करने वाली बात यह है कि गुजरात में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। उससे पहले निकाय चुनाव के नतीजे काफी कुछ तस्वीर साफ कर रहे हैं। कांग्रेस और AAP बीजेपी के मजबूत गढ़ गुजरात में चुनौती देने में फेल रहे हैं। साफ है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहने के समय और उससे भी पहले से पार्टी का जो जनाधार बना है, वह कम नहीं हुआ है। बीजेपी के लोग तो इसे ‘मोदी का जादू कायम है’ मान रहे हैं।

आइए समझते हैं इस रिजल्ट के क्या हैं मायने…

गुजरात बीजेपी का गढ़ है और रहेगा!
बीजेपी ने जिन छह नगर निगमों में चुनाव हुए थे, उन पर अपनी पकड़ बरकरार रखी है। अहमदाबाद, सूरत, भावनगर, जामनगर, राजकोट और वडोदरा में उसका मेयर तय है। इस चुनाव से सबसे बड़ा झटका कांग्रेस को लगा है। चुनाव के नतीजों से एक बात पत्थर की लकीर की तरह साफ है कि गुजरात बीजेपी का गढ़ है और फिलहाल इस गढ़ में सेंध लगाने वाला दूर-दूर तक कोई दिख नहीं रहा। हालांकि यह चुनाव स्थानीय मुद्दे पर होते हैं। लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के गृहराज्य की वजह से हर चुनाव पर सबकी नजर रहती है। नतीजों से साफ है कि गुजरात में बीजेपी का तिलिस्म तोड़ पाना फिलहाल किसी विपक्षी दल के बूते की बात नहीं है।

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हार्दिक फैक्टर बेअसर
पिछले साल जुलाई में हार्दिक पटेल को गुजरात कांग्रेस कमिटी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। पाटीदार आरक्षण आंदोलन से चर्चित हुए हार्दिक ने पूरे गुजरात में निकाय चुनाव के लिए जमकर प्रचार अभियान चलाया। लेकिन नतीजों में इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। अहमदाबाद में हार्दिक ने पूरी ताकत झोंकी। तमाम वॉर्डों में रैलियां भी कीं। इसके बावजूद यहां कांग्रेस को करारी शिकस्त मिल रही है। सूरत जैसे पाटीदार समुदाय के गढ़ में भी कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। यहां भी बीजेपी ने कांग्रेस को बहुत पीछे छोड़ दिया है।

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आम आदमी पार्टी की एंट्री
इस चुनाव के नतीजे एक और संदेश दे रहे हैं। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने सूरत में अच्छा प्रदर्शन किया है। रुझानों और नतीजों के अपडेट पर नजर डालें तो यहां फिलहाल कांग्रेस से मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा आम आदमी पार्टी ने छीन लिया है। यहां की 79 सीटों के रुझान में से बीजेपी के बाद केजरीवाल की पार्टी दूसरे नंबर पर है। उसके उम्मीदवार 13 सीटों पर आगे चल रहे हैं। राज्य में अगले साल के आखिर तक विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी के पास अपने आधार को बढ़ाने के लिए पर्याप्त समय है।

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ओवैसी नहीं कर पाए कमाल

गुजरात में इस बार के निकाय चुनाव इसलिए भी अहम थे, क्योंकि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने भी हाथ आजमाया था। हालांकि अहमदाबाद को छोड़कर बाकी जगह ओवैसी की पार्टी को नाकामी हाथ लगी है। इक्का-दुक्का सीटों पर ही एआईएमआईएम के उम्मीदवार बढ़त बनाए हुए हैं। पार्टी को मुस्लिम बहुल इलाकों में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी लेकिन नतीजे कुछ और ही इबारत लिख रहे हैं।

GUJARAT NIKAY RESULT

निकाय चुनाव में बीजेपी का परचम

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