ट्रैक्टर रैली में ऐसी हिंसा! अब किसान आंदोलन का क्या होगा? – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा में 300 से अधिक पुलिसकर्मी घायल
  • दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने गृह मंत्री अमित शाह के साथ की बैठक
  • साइबर सेल ने 1 हजार से अधिक ट्विटर हैंडल की पहचान की

नई दिल्ली
Farmers Protest Violence: दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान भड़की हिंसा को लेकर बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेस की। दिल्ली पुलिस आयुक्त एस.एन. श्रीवास्तव ने एक -एक कर घटना के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आखिर हिंसा कब और कैसे भड़की। उन्होंने सबसे पहले कहा कि 2 जनवरी को दिल्ली पुलिस को पता चला कि किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली करने जा रहे हैं। हमने किसानों से कहा कि कुंडली, मानेसर, पलवल पर ट्रैक्टर मार्च निकालें लेकिन किसान दिल्ली में ही ट्रैक्टर रैली निकालने पर अडिग रहे।

394 पुलिसकर्मी घायल, कई ICU में
उन्होंने आगे बताया कि किसानों ने 26 जनवरी पुलिस के द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए पुलिस बैरिकेड तोड़कर हिंसक घटनाएं कीं। कुल मिलाकर 394 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और कुछ पुलिसकर्मी ICU में भी है। उन्होंने बताया कि ये दिल्ली पुलिस का ही संयम था कि पुलिस कार्रवाई से एक भी आदमी की मौत नहीं हुई।

पुलिस आयुक्त के मुताबिक हम दिल्ली में गैर-क़ानूनी तरीके से किए गए आंदोलन और उस दौरान हिंसा और लाल किले पर फहराए गए झंडे को बड़ी गंभीरता से ले रहे हैं। हिंसा करने वालों के वीडियो हमारे पास हैं, विश्लेषण हो रहा है।












ट्रैक्टर रैली में ऐसी हिंसा! अब किसान आंदोलन का क्या होगा?

दर्ज हुए मामले, होंगी गिरफ्तारियां
दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने कहा कि आरोपियों की पहचान की जा रही है, गिरफ़्तारियां की जाएंगी। अब तक 25 से ज्यादा मामले दर्ज़ किए गए हैं। कोई भी अपराधी जिसकी पहचान होती है, उसे छोड़ा नहीं जाएगा। जो किसान नेता इसमें शामिल हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी

किसान नेताओं ने हमारे साथ विश्वासघात किया है, जितने भी किसान नेता इस पूरे घटनाक्रम में शामिल रहे हैं, उनमें से किसी को बख्शा नहीं जाएगा।
दिल्ली पुलिस कमिश्नर

किसानों ने विश्वासघात किया
दिल्ली पुलिस आयुक्त एस.एन. श्रीवास्तव ने बताया कि किसान नेताओं को कुछ शर्तों के साथ मार्च की मंजूरी दी थी। किसानों ने तय रूट की अनदेखी की और बैरिकेट्स तोड़कर दिल्ली के अंदर घुस गए। जबकि हमने किसान नेताओं से कहा था कि वो कुंडली, मानेसर, पलवल पर ट्रैक्टर मार्च निकाले। लेकिन किसान दिल्ली में ही ट्रैक्टर रैली निकालने पर अडिग रहे। दिल्ली पुलिस आयुक्त ने बताया कि 25 जनवरी की देर शाम तक, यह सामने आया कि रैली निकाले जाने को लेकर हमारे और किसान नेताओं के बीच जो तय हुआ है उसे वे (किसान) नहीं रख रहे थे। वे आक्रामक और उग्रवादी तत्वों को सामने लाए, जिन्होंने मंच पर कब्जा कर लिया और भड़काऊ भाषण दिए, जिससे उनके इरादे स्पष्ट हो गए थे।












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राकेश टिकैत समेत कई किसान नेताओं के खिलाफ केस
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में किसान नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। दिल्ली पुलिस की एफआईआर में (किसान ट्रैक्टर रैली के संबंध में एनओसी के उल्लंघन के लिए) किसान नेता दर्शन पाल, राजिंदर सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, बूटा सिंह बुर्जगिल और जोगिंदर सिंह उग्रा के नाम है। एफआईआर में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का भी नाम है।

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साइबर सेल ने की 1000 से अधिक ट्विटर हैंडल की पहचान
दिल्ली पुलिस ने राजधानी में मंगलवार को किसान ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के सिलसिले में 200 लोगों को हिरासत में लिया। पुलिस का कहना है कि जल्द ही उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा। सू्त्रों के हवाले से खबर है कि साइबर सेल ने 1 हजार से अधिक ट्विटर हैंडल की पहचान की। जिन्होंने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कल की घटना में अहम भूमिका निभाई, इनमें कई बड़े नाम भी शामिल हैं।

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पुलिस कमिश्नर ने अधिकारियों के साथ की मीटिंग
हिंसा में पुलिस को हुए नुकसान की समीक्षा के लिए पुलिस कमिश्नर अपने वरीय अधिकारियों के साथ मीटिंग की। गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में जगह-जगह पर हुई किसान हिंसा में पुलिस के 300 से ज्यादा जवान और ऑफिसर घायल हो गए। मंगलवार को मूलतः पंजाब और हरियाणा से जुड़े किसानों ने ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली के कई इलाकों में जमकर बवाल काटा। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वालों पर लाठी-डंडों और पत्थरों स प्रहार किए।

ट्रैक्टर परेड के लिए नहीं किया नियमों का पालन
दिल्ली पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों ने ट्रैक्टर परेड के लिए पूर्व निर्धारित शर्तों पर बनी सहमति का पालन नहीं किया और हिंसा तथा तोड़फोड़ की जिसमें अनेक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। पुलिस ने एक बयान में यह भी दावा किया कि बल ने रैली की शर्तों के अनुपालन के लिए सभी प्रयास किए, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने निर्धारित समय से काफी पहले ही अपना मार्च शुरू कर दिया और सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया।

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