India-China Standoff: बैठक में भारत ने दो-टूक शब्दों में कहा, ‘टकराव वाले स्थानों से PLA को हटना होगा’ – Zee News Hindi

नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख (East Ladakh) में जारी तनाव को लेकर 9वें दौर की कॉर्प्स कमांडर बैठक (Corps Commander Meeting) में नई दिल्ली ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि चीनी सेना (People’s Liberation Army-PLA) को सभी टकराव वाली जगहों से पूरी तरह पीछे हटना होगा. रविवार को हुई इस बैठक का उद्देश्य दोनों देशों के बीच संघर्ष पर विराम लगाते हुए समाधान निकालना था. इससे पहले भी, कई राउंड की बातचीत हो चुकी है, लेकिन चीन के रुख की वजह से कोई सार्थक परिणाम नहीं मिल सका. 

घंटों चलती रही Meeting

जानकारी के मुताबिक, कॉर्प्स कमांडर स्तर की बैठक पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन (China) की ओर स्थित मोलडो में सुबह 10 बजे शुरू हुई और रात ढाई बजे तक चलती रही. इस दौरान, भारत (India) ने कहा कि टकराव वाले क्षेत्रों में डिसइंगेजमेंट और डी-एस्केलेशन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चीन के ऊपर है. बता दें कि इससे पहले, छह नवंबर को हुई आठवें दौर की बातचीत में दोनों पक्षों ने टकराव वाले स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने पर व्यापक चर्चा की थी. 

ये भी पढ़ें -भ्रष्टाचार सत्तारूढ़ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के लिए अब भी सबसे बड़ा खतरा: शी जिनपिंग

मेनन कर रहे India का नेतृत्व 

भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन कर रहे हैं. भारत लगातार कहता आया है कि पर्वतीय क्षेत्र में टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और तनाव को कम करने की जिम्मेदारी चीन की है. कोर कमांडर स्तर की सातवें दौर की बातचीत में चीन ने पेगोंग झील के दक्षिणी तट के आसपास सामरिक महत्व के ठिकानों से भारतीय सैनिकों को हटाने पर जोर दिया था, लेकिन भारत ने साफ किया था कि टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया एक ही समय पर शुरू होनी चाहिए.

China नहीं चाहता ‘बात’ बने?

चीन के साथ विवाद को देखते हुए पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना के करीब 50,000 जवान तैनात हैं. अधिकारियों के अनुसार चीन ने भी इतनी ही संख्या में अपने सैनिकों को तैनात किया है. भारत लगातार शांतिपूर्ण ढंग से विवाद सुलझाने की बात कहता आया है, लेकिन चीन की तरफ से हर बार कुछ न कुछ ऐसा कर दिया जाता है कि समाधान की गाड़ी पटरी से उतर जाती है. चीन जानबूझकर इस मुद्दे को सुलझाने के मूड में नजर नहीं आ रहा है.  

Related posts