किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकालने का पक्का इरादा कर लिया है – किसान नेता – BBC हिंदी

  • दिलनवाज़ पाशा
  • बीबीसी संवाददाता

26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की प्रस्तावित परेड के लिए हरियाणा और पंजाब के गाँव-गाँव में बड़े पैमाने पर तैयारियाँ चल रही हैं.

इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर परेड पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शरद ए बोबड़े ने कहा है कि ट्रैक्टर परेड को दिल्ली में आने देना है या नहीं, ये सुरक्षा व्यवस्था से जुड़ा मामला है और इसका फ़ैसला दिल्ली पुलिस को करना है.

इस रैली को लेकर दिल्ली पुलिस और किसान नेताओं के बीच तीन बार बातचीत हो चुकी है. दिल्ली पुलिस चाहती है कि किसानों की परेड दिल्ली के बाहर ही हो, जबकि किसान संगठन दिल्ली में परेड निकालने पर अड़े हैं.

दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के साथ बैठक में शामिल रहे किसान नेता राजिंदर सिंह दीपसिंहवाला कहते हैं, “हमने दिल्ली पुलिस को स्पष्ट कर दिया है कि ट्रैक्टर परेड दिल्ली में दाखिल होगी, कोई बैरिकेड किसानों के ट्रैक्टरों को रोक नहीं पाएगा.”

दीपसिंहवाला बताते हैं, “पुलिस ने हमसे बाहरी पेरिफेरल हाइवे पर परेड निकालने के लिए कहा है, लेकिन हमने स्पष्ट कर दिया है कि परेड दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर ही होगी. हमारा गणतंत्र दिवस की परेड को डिस्टर्ब करने का भी कोई इरादा नहीं है.”

वो कहते हैं, “हमें उम्मीद है कि दिल्ली पुलिस अपने आप ही बैरिकेड हटा देगी. हम ये ज़ोर देकर कह रहे हैं कि किसानों ने दिल्ली में परेड निकालने का इरादा कर लिया है और कोई भी किसानों को रोक नहीं पाएगा.”

वहीं दिल्ली पुलिस के ज्वाइंट सीपी (नॉर्दन रेंज) एसएन यादव ने बीबीसी से कहा, “पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए हैं और किसान नेताओं से परेड को लेकर बातचीत जारी है.”

क्या दिल्ली पुलिस ट्रैक्टर परेड के लिए बैरिकेड हटा देगी और किसानों को दिल्ली में दाखिल होने देगी, इस सवाल पर यादव कहते हैं, “अभी इस बारे में अंतिम फ़ैसला नहीं किया गया है. किसानों से इस पर फ़िलहाल चर्चा चल रही है. हमारा पहला मक़सद राजधानी में सुरक्षा और शांति बनाए रखना है.”

इधर किसानों और सरकार के बीच 10वें दौर की बातचीत बुधवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई, जिसमें सरकार ने 18 महीनों के लिए कृषि क़ानून टालने का प्रस्ताव रखा है. 11वें दौर की बातचीत 22 जनवरी को होगी.

बैठक में सरकार के प्रस्ताव पर अभी किसान नेताओं की बातचीत होनी बाक़ी है. लेकिन इस बीच किसान अपनी ट्रैक्टर रैली को लेकर तैयारियाँ करते दिख रहे हैं.

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बीबीसी के सहयोगी पत्रकार समीरात्मज मिश्र के अनुसार विज्ञान भवन में हुई बैठक के बाद भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बीबीसी से कहा, “ट्रैक्टर मार्च तो निकलेगा ही. उसे न तो सरकार रोक सकती है, न पुलिस रोक सकती है और न ही हम रोक सकते हैं.”

राकेश टिकैत का कहना था कि दूर-दराज से आ रहे लाखों किसानों को रोकना अब मुश्किल है. उनके मुताबिक, “किसान शांतिपूर्ण तरीक़े से मार्च करना चाहते हैं, तो उन्हें रोकना भी नहीं चाहिए. किसी तरह की अव्यवस्था तो करेंगे नहीं. किसानों ने ख़ुद ही हज़ारों वालंटियर्स तैयार किए हैं जो पूरी व्यवस्था पर नज़र रखेंगे. आख़िर किसानों को भी तो दिल्ली की सड़कें देखने का हक़ है. वो भी तो देखें कि दिल्ली की सड़कों पर गड्ढे क्यों नहीं हैं, हमारे गाँवों की सड़कें ही गड्ढों वाली क्यों होती हैं.”

ट्रैक्टर रैली की तैयारियां

रैली के लिए गाँवगाँव में तैयारियाँ

किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन उगराहां से जुड़े शिंगारा सिंह मान कहते हैं कि किसानों की ट्रैक्टर परेड को लेकर गाँव-गाँव में तैयारियाँ चल रही हैं और हर गाँव से ट्रैक्टर दिल्ली की तरफ़ कूच करने जा रहे हैं.

पंजाब और हरियाणा के गाँवों में बाइक और ट्रैक्टर रैलियाँ निकालकर परेड का रिहर्सल आयेजित किया जा रहा है. किसान यूनियनों से जुड़े कार्यकर्ता गाँव-गाँव में दिन रात परेड की तैयारियों में जुटे हैं.

शिंगारा सिंह मान कहते हैं, “हमारी जत्थेबंदी से सिर्फ़ टिकरी बॉर्डर से ही एक हज़ार से अधिक ट्रैक्टर परेड में शामिल होंगे. हम गाँवों से परेड के लिए आने वाले ट्रैक्टरों की गिनती कर रहे हैं और जल्द ही ये आँकड़ा जारी कर दिया जाएगा.”

शिंगारा सिंह मान कहते हैं, “किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकालने का पक्का इरादा कर लिया है. इस प्रदर्शन में किसानों ने दिखा दिया है कि वो जो ठान लेते हैं, करते हैं, हम ट्रैक्टर रैली भी निकालकर दिखाएँगे.”

वहीं राजिंदर सिंह दीपसिंहवाला कहते हैं कि अभी परेड में शामिल होने वाले ट्रैक्टरों का सही-सही आँकड़ा तो नहीं दिया जा सकता, लेकिन कम से कम एक लाख ट्रैक्टर रैली में शामिल होंगे.

जसकीरत सिंह

क्या करेंगे किसान

किसान बलजीत सिंह कई दिनों से ट्रैक्टर परेड की तैयारी कर रहे हैं. वो टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन में शामिल हैं. बलजीत को अंदेशा है कि अगर पुलिस ने बैरीकेड नहीं हटाए, तो हिंसा भी हो सकती है.

बलजीत सिंह कहते हैं, “हम अपनी ट्रैक्टर रैली की तैयारी कर रहे हैं. हमारी मंशा गणतंत्र दिवस परेड में बाधा डालने की नहीं है. लेकिन सरकार की मंशा है कि हम कुछ करें.”

वो कहते हैं, “अभी सरकार ने बैरिकेडिंग बढ़ा दी है. ये बात तय है कि बैरिकेड टूटने हैं. सरकार जानती है कि हम जितने अधिक बैरिकेड लगाएँगे, उतने ही किसान उत्तेजित होंगे. सरकार किसी तरह से इस आंदोलन को हिंसक करना चाहती है. सरकार बैरिकेड हटा दे, तो हिंसा की आशंका ही ख़त्म हो जाएगी.”

बैरिकेड तोड़ने के सवाल पर दीपसिंहवाला कहते हैं, “अगर पुलिस चाहती है कि शांति बनी रहे तो बैरिकेड हटा दे, अगर पुलिस चाहती है कि अशांति हो, तो बैरिकेड लगाए रखे. किसान बैरिकेड को तोड़ना जानते हैं. हमने दिल्ली पहुँचने के लिए भी तोड़े हैं, दिल्ली में घुसने के लिए भी तोड़ देंगे.”

किसानों का विरोध प्रदर्शन

हर सौ मीटर पर होगा वॉलंटियर

टिकरी बॉर्डर पर पहले दिन से प्रदर्शन में शामिल अनूप सिंह चानौत बताते हैं, “26 जनवरी के लिए हमने एक हजार वॉलंटियर तैयार किए हैं जिनकी अंतिम ट्रेनिंग 23 जनवरी को होगी.

परेड के दौरान हर 100 मीटर पर वॉलंटियर तैनात रहेगा. बेहतर कम्यूनिकेशन के लिए सभी को वॉकी-टॉकी दिए जाएँगे.”

अनूप कहते हैं, “हमारा मक़सद है कि किसी भी तरह की हिंसा या उत्तेजक बात न हो और लोग अफ़वाहों पर ध्यान न दें. हमारे किसान नेताओं का संदेश रियल टाइम में परेड में शामिल लोगों तक पहुँचाया जाएगा.”

परेड का रूट अभी तय नहीं

किसान दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर परेड निकालना चाहते हैं, लेकिन परेड का अंतिम रूट अभी तय नहीं किया गया है. सिंघू बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, गाज़ीपुर बॉर्डर और शाहजहांपुर बॉर्डर से किसान ट्रैक्टर लेकर दिल्ली के आउटर रिंग रोड की तरफ बढ़ेंगे और एक दूसरे से मिलते जाएँगे.

दिल्ली का आउटर रिंग रोड एक घेरे जैसा है, जिसके दायरे में दिल्ली आती है.

परेड को अंतिम रूप देने के लिए किसान संगठनों की बैठकें हो रही हैं. किसान नेता गुरुवार को इस बारे में अंतिम फ़ैसला ले सकते हैं. परेड के दौरान किसान संगठनों के नेता आगे रहेंगे, लेकिन कोई भाषण नहीं देगा.

राजिंदर सिंह दीपसिंहवाला कहते हैं, “किसानों की ट्रैक्टर परेड में कम से कम 20 प्रांतों के किसानों की झाँकियाँ भी होंगी. कलाकार भी परेड के लिए झाँकियाँ तैयार करने में सहयोग कर रहे हैं. हम अपनी झाँकियों में किसानों के मुद्दे और उनकी ज़िंदगी की झलक दिखाएँगे. 2021 का गणतंत्र दिवस किसानों के नाम रहेगा.”

ट्रैक्टर परेड में सिर्फ़ ट्रैक्टर ट्रालियाँ ही शामिल नहीं होंगी, बल्कि कृषि में इस्तेमाल की जाने वाली दूसरी मशीनें भी रैली का हिस्सा होंगी. पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों में परेड को लेकर तैयारियाँ चल रही हैं, जिनमें बड़ी-बड़ी कंबाइन मशीनों को भी सजाया गया है.

सुरक्षा के लिए ख़तरा?

किसानों की ट्रैक्टर परेड को लेकर सुरक्षा का सवाल भी उठाया गया है. गणतंत्र दिवस की वजह से सुरक्षा एक संवेदनशील मुद्दा है. पुलिस का कहना है कि इसके ज़रिए लाखों की संख्या में किसानों के दिल्ली में घुसने से सुरक्षा के लिए ख़तरा भी पैदा हो सकता है.

लेकिन किसान नेता इस आलोचना को ख़ारिज करते हैं. दीपसिंहवाला कहते हैं, “गणतंत्र दिवस के दिन संविधान लागू हुआ था, उसी दिन हम पर बंदिश लगाई जाएगी, तो हमारे अधिकारों का उल्लंघन होगा. फिर रिपब्लिक डे का मतलब क्या रह जाएगा. सुरक्षा का हवाला देकर हमारे अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है.”

वो कहते हैं, “इस बार गणतंत्र दिवस बिल्कुल अलग होगा. देश किसानों की ताक़त देखेगा. हम लाखों ट्रैक्टर लेकर शांतिपूर्ण तरीक़े से निकलेंगे. पूरा देश इस परेड में शामिल होगा.”

टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन में शामिल जसकीरत सिंह अपने तीन दशक पुराने एचएमटी ट्रेक्टर को परेड के लिए तैयार कर रहे हैं. उन्होंने इससे पहले हुई ट्रैक्टर परेड में भी हिस्सा लिया था.

जसकीरत कहते हैं, “हम दिल्ली में दाख़िल होंगे. ये देश अब किसानों की ताक़त देखेगा.”

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