गणतंत्र दिवस पर UP किसानों का दिल्ली आह्वान, बोले- भाजपा को वोट दिया मगर कृषि बिलों पर बहुत गुस्सा – Jansatta

सिसौली के किसानों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि हमारे गाँव में करीब 11000 वोटर हैं जिसमें में 8000 वोट 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिले थे लेकिन कृषि कानून के मुद्दे पर किसान और पार्टी अलग है.साथ ही किसान इनके विरोध में भी हैं।

दिल्ली के बॉर्डर पर भारी मात्रा में एकत्रित किसान। (फोटो- PTI)

पिछले 53 दिन से देशभर से आये किसान दिल्ली से सटे अलग अलग सीमाओं पर डटे हुए हैं। आंदोलन कर रहे किसान सरकार द्वारा पारित किये गये तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। वहीँ इन सब के बीच किसानों ने 26 जनवरी को दिल्ली के भीतर ट्रैक्टर परेड करने का लक्ष्य है जिसको लेकर सरगर्मियाँ भी काफी तेज हो गयी हैं। यूपी के किसानों ने ट्रैक्टर रैली को लेकर कहा है कि हम गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली पहुँचेंगे। साथ ही उन्होंने कहा है कि हमने लोकसभा के चुनाव में भाजपा को वोट भी दिया था लेकिन कृषि क़ानूनों को लेकर हमें बहुत गुस्सा है।

उत्तर प्रदेश से ही आने वाले किसान नेता राकेश टिकैत पिछले कुछ दिनों से ट्रैक्टर मार्च की तैयारियों में जुटे हुए हैं। टिकैत ने कहा है कि 26 जनवरी को होने वाला ट्रैक्टर परेड इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा। इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक राकेश के टिकैत के गाँव सिसौली में भी लोगों ने ट्रैक्टर मार्च को लेकर तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। सिसौली के किसानों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि हमारे गाँव में करीब 11000 वोटर हैं जिसमें में 8000 वोट 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिले थे लेकिन कृषि कानून के मुद्दे पर किसान और पार्टी अलग है.साथ ही किसान इनके विरोध में भी हैं।

इसके अलावा सोमवार को महिला किसान दिवस के मौके पर आंदोलनों में महिला किसानों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने प्रदर्शन का नेतृत्व भी किया और साथ साथ अन्य जिम्मेदारियों को भी उठाया। इस मौके पर महिला किसान नेता कविता कुरुगंती ने बताया कि दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर मंच का प्रबंधन भी महिलाओं द्वारा ही किया गया और इस दौरान सभी वक्ता भी महिलाएं ही थी। विरोध प्रदर्शन में शामिल रही महिला किसानों ने कहा कि ये कृषि कानून लोगों के हक़ में नहीं हैं और इससे किसानों को भयंकर नुकसान उठाना पड़ेगा। 

देशभर में चल रहे किसान आंदोलन के बीच सरकार की जाँच एजेंसी द्वारा आंदोलन में शामिल लोगों को समन भी भेजा रहा है। साथ ही जिन लोगों को नोटिस मिले हैं उनमें पत्रकार भी शामिल हैं। हालाँकि एनआईए ने पत्रकार को समन भेजे जाने के मसले पर कहा है कि मामले में पता लगाने के लिए उन्हें गवाह के रूप में बुलाया गया है। ये सभी पत्रकार अकाल चैनल से जुड़े हुए हैं जो पंजाबी भाषा का एक टीवी समाचार चैनल है। 

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