सच से पर्दा उठाती हैं ‘इज्जत नगर की असभ्य बेटियां’

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डाक्यूमेंट्री फिल्म ‘इज्जत नगर की असभ्य बेटियां’ ऐसी जाट लड़कियों की कहानी को बयां करती है जिन्होंने ऑनर किलिंग, खाप पंचायतों के तुगलकी फरमान, अन्याय के खिलाफ और राइट टू लव के लिए आवाज बुलंद की है। यह फिल्म हरियाणा की पांच जाट लड़कियों के संघर्ष की उस दास्तान को बयां करती है जहां सब कायदे कानून,सारे नियम, सभी रीति रिवाज और परंपराएं एक औरत के ऊपर लागू होती है। ‘इज्जत नगर की असभ्य बेटियां’ एक तरफ बदलाव की गवाह बन रही है तो दूसरी तरफ खाप पंचायत और समाज का एक तबका इज्जत के नाम पर ऑनर किलिंग से भी नहीं डरता। डाक्यूमेंट्री फिल्म को नकुल सिंह ने निर्देशित किया है और नीतू सिंह ने संपादित किया है। फिल्म बेहद शानदार बन पड़ी है और हरियाणा के बदलते समाज और परंपरागत समाज के टकराव की कहानी को बयां करती है।

एक तरफ समाज की ये लाडली बेटियां जाति बंधन तोड़ प्यार की डगर पर चलकर अपनी जिंदगी की डोर अपने पसंदीदा व्यक्ति के साथ जोड़ना चाहती हैं तो दूसरी तरफ खाप पंचायत में जय सिंह अहलावत जैसे लोग है जो इनको असभ्य मानते हैं और जिनकी नजर में ये उनकी परंपरा के लिए एक खतरे की तरह है।

यह फिल्म सीमा और उसकी मां की उस लड़ाई की कहानी कहती है जिसमें उसके भाई मनोज को समान गोत्र की बबली के साथ विवाह कर लेने के चलते ऑनर किलिंग का शिकार होना पड़ा था। आज सीमा और उसकी मां हत्यारों के खिलाफ कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ रही है। यह फिल्म दिल्ली विवि की गीतिका की कहानी बयां करता है जो ऑनर किलिंग पर स्ट्रीट प्ले करने से नहीं हिचकती। लेकिन ऐसे समय में उसे सुनना पड़ता है कि तुम जाट हो और तुम प्ले बना रही हो। कुछ लोग कहते हैं तुम अपनी जड़े काट रही हो और कुछ नहीं कर रही हो। अंजलि तो अपनी एम.फिल डिग्री ऑनर किलिंग पर रही है । ऐसी ही कुछ कहानी जाट गर्ल मोनिका की है जिसने गौरव सैनी से विवाह किया। गौरव मोनिका के बारे में बताते है कि मोनिका ने मुझे हमेशा कहा कि मैं एक लड़की को गोद लेना चाहती हूं और फिर मैं लोगों को दिखाना चाहती हूं कि लड़की को कैसे पाला जाता है।

‘इज्जत नगर की असभ्य बेटियां’ कोई सामान्य डाक्यूमेंट्री फिल्म नहीं है, ऑनर किलिंग जैसे विषय पर इसे बहुत संजीदा तरीके से बनाया गया है। फिल्म एक सवाल करती है आखिर अपने बच्चों को मारकर कोई कैसे इज्जत बचा सकता है? यह फिल्म हरियाणा में बदलाव की बयार में चल पड़ी युवा पीढ़ी और परंपरागत खाप समाज को मानने वालों के बीच बढ़ती दूरियों की कहानी भी बयां करता है। फिल्म कहती है बेटियां आकाश छूना चाहती है, पंछी बन आकाश में अपने जहां को खूबसूरत बनाना चाहती हैं और अपनी जिंदगी को अपनी पंसद से जीना चाहती है। फिल्म कहती है खाप पंचायत कूपमंडूक बना बैठा है और इस युवा पीढ़ी से अंदर से डरा हुआ है। प्रेम के पंछियों को मारकर पेड़ पर टांगने वाले इस खाप पंचायत के तुगलकी समाज पर सवालिया निशान लगाती है इज्जतनगर की असभ्य बेटियां। इस डाक्यूमेंट्री फिल्म को नीतू सिंह ने बेहद शानदार अंदाज में संपादित किया है । इस डाक्यूमेंट्री फिल्म को भारत के हर गांव में दिखाया जाना चाहिए और नकुल, देवल, विनीत और नीतू सिंह की पूरी टीम को इस डाक्युमेंट्री फिल्म के लिए बधाई देनी चाहिए। इस फिल्म को सिनेमाघरों में प्रदर्शित किया जाना चाहिए जिससे कि इसे अधिक से अधिक लोग देख सके। निश्चित तौर पर यह फिल्म फिल्ममहोत्सव में बहुत पसंद की जाएगी और इसे कई अवार्ड मिलना भी तय है। सच से पर्दा उठाती हैं ‘इज्जत नगर की असभ्य बेटियां’ और कहती हैं हमें हमारा आकाश छूने दो ।

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Source: DainikBhaskar.com

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