Farmers Protest: एक और मौत, अब तक 40…बुजुर्गों, महिलाओं को आंदोलन में रखने की किसान संगठनों की ये कैसी जिद – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • किसान आंदोलन के दौरान टिकरी बॉर्ड पर एक और किसान की मौत
  • 58 वर्षीय इस किसान की मौत दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुई
  • 4 जनवरी को किसान संगठनों और सरकार के बीच अगले दौर की बातचीत
  • दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर आज किसान आंदोलन का 38वां दिन

नई दिल्ली
एक तो कड़ाके की ठंड ऊपर से बारिश की मार, बावजूद इसके किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हुए हैं। नए कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठे किसान संगठन कानून को वापस लिए जाने तक किसी भी कीमत पर पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है जिसमें कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया। इस बीच टिकरी बॉर्डर पर एक और आंदोलनकारी किसान ने आज दम तोड़ दिया। 58 साल के इस किसान की दिल का दौरा पड़ने से मौत हुई है।

घर पर बोलकर आए थे कि बॉर्डर जा रहा हूं
मृतक किसान जुगबीर हरियाणा के जींद के रहने वाले थे और वह एक दिन पहले ही आंदोलन का हिस्सा बने थे। जानकारी के मुताबिक, घर से निकलते वक्त उन्होंने कहा था कि बॉर्डर जा रहा हूं। आज सुबह टिकरी बॉर्डर पर दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनकी मौत हो गई। उनकी उम्र 58 साल बताई जा रही है।

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अबतक 40 से ज्यादा किसानों की मौत
दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर किसान डटे हुए हैं। आंदोलन के दौरान अक्सर किसी किसान के मौत की खबर आती रहती है। जानकारी के मुताबिक, अबतक 40 से ज्यादा किसानों की अलग-अलग बॉर्डर पर मौत हो चुकी है। मृतक किसानों में ज्यादातर बुजुर्ग किसान शामिल हैं। इन मौतों की वजह से किसान संगठनों में सरकार के प्रति गुस्सा लगातार बढ़ रहा है। उनका कहना है कि सरकार पूरी तरह से संवेदनहीन हो चुकी है।

किसान संगठनों की ये कैसी जिद
सरकार और किसान संगठनों के बीच अबतक 7 दौर की बातचीत हो चुकी है। 7वें दौर की बातचीत के बाद दोनों पक्षों में दो मुद्दों पर सहमति बन गई है, लेकिन कानूनों को वापस लेने की मांग पर किसान संगठन अड़े हुए हैं। आंदोलन के दौरान होने वाली मौतों में ज्यादातर बुजुर्ग किसान ही हैं, बावजूद इसके कड़ाके की ठंड में भी बॉर्डर पर मौजूद किसानों में बुजुर्गों की जमघट बनी हुई है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर किसान संगठनों कि यह कैसी जिद है जिसकी वजह से बुजुर्गों की जान पर खतरा बना हुआ है। सरकार भी किसान संगठनों से बार-बार अपील कर चुकी है कि ठंड को देखते हुए वे आंदोलन से बुजुर्गों, बच्चों और महिलाओं को दूर रखें।

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सरकार भी कर चुकी है अपील है, लेकिन नहीं पड़ा कोई फर्क
इस किसान आंदोलन में बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री इससे पहले किसान संगठनों से आग्रह कर चुके हैं कि आंदोलन में भाग लेने वाले बुजुर्ग, महिलाओं और बच्चों को घर भेज दिया जाए। हालांकि किसान संगठनों पर उनकी इस अपील का कोई खास असर नहीं पड़ा और अभी आंदोलन में बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।

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आज किसान आंदोलन का 38वां दिन
नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन का 38वां दिन है। किसान सगंठन इस बात पर अड़े हुए हैं कि तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लिया जाए जबकि सरकार कह रही है कि वह कानूनों में जरूरी संशोधन के लिए तैयार है। दोनों पक्षों के बीच अबतक हुई 7 दौर की बातचीत का कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया है। ऐसे में कल यानी 4 जनवरी को होने वाली बैठक पर ही सबकी नजरें टिकी हुई हैं।

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