कोवैक्सीन को मंजूरी पर पीएम मोदी की बधाई, इधर शशि थरूर का दावा- तीनों ट्रायल से नहीं गुजरा टीका, खतरनाक है ऐसा करना – Jansatta

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोवैक्सीन को कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ भारत की जंग में निर्णायक क्षण बताया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा कि टीके के इस्तेमाल की मंजूरी के मुद्दे पर बेहद सावधानी बरतना आवश्यक है।

भारत में कोरोना की दो वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिलने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश, वैज्ञानिकों और नवोन्मेषकों को बधाई दी है। वहीं, शशि थरूर, आनंद शर्मा समेत कांग्रेस नेताओं ने इस पर चिंता जताई है। (सोर्स- एएनआई/सोशल मीडिया)

भारत में कोविड-19 रोधी दो टीकों (कोविशील्ड और कोवैक्सीन) के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दिए जाने पर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश, वैज्ञानिकों और नवोन्मेषकों को बधाई दी है। वहीं, शशि थरूर, आनंद शर्मा समेत कांग्रेस नेताओं ने कोवैक्सीन के सीमित इस्तेमाल की मंजूरी देने पर चिंता जताई है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि अनिवार्य प्रोटोकॉल तथा डेटा के सत्यापन का पालन क्यों नहीं किया गया?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘कोविशील्ड’ और ‘कोवैक्सीन’  को कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ भारत की जंग में निर्णायक क्षण बताया। उन्होंने रविवार को कहा कि इससे कोविड मुक्त भारत की मुहिम को बल मिलेगा। भारत के औषध महानियंत्रक (डीसीजीआई) द्वारा ऑक्सफोर्ड के टीके ‘कोविशील्ड’ और भारत बायोटेक के ‘कोवैक्सीन’ के सीमित आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी गई है। इसके बाद प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट किया। इसमें उन्होंने लिखा कि यह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है कि देश में जिन दो टीकों के आपात इस्तेमाल की स्वीकृति दी गई है, वे भारत निर्मित हैं।

उन्होंने देश को, वैज्ञानिकों और नवोन्मेषकों को बधाई देते हुए कहा, ‘यह आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने के लिए हमारे वैज्ञानिक समुदाय की इच्छाशक्ति को दर्शाता है। वह आत्मनिर्भर भारत, जिसका आधार है- सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।’ उन्होंने ‘विपरीत परिस्थितियों में असाधारण सेवा भाव के लिए’ डॉक्टरों, चिकित्साकर्मियों, वैज्ञानिकों, पुलिसकर्मियों, सफाईकर्मियों और सभी कोरोना योद्धाओं के प्रति फिर कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘देशवासियों का जीवन बचाने के लिए हम सदा उनके आभारी रहेंगे।’

मोदी ने ट्वीट किया, ‘वैश्विक महामारी के खिलाफ भारत की जंग में एक निर्णायक क्षण! सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक के टीकों को डीसीजीआई की मंजूरी मिलने से स्वस्थ और कोविड मुक्त भारत की मुहिम को बल मिलेगा।’ वहीं, केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने ट्वीट कर कहा, ‘कोवैक्सीन का अब तक तीसरे चरण का परीक्षण नहीं हुआ है। समय से पहले इसकी मंजूरी दी गई है, जो कि खतरनाक हो सकता है।’ उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से आग्रह किया कि जब तक ट्रायल पूरा न हो जाए तब तक कोवैक्सीन के इस्तेमाल से बचें।

उन्होंने ट्वीट में लिखा, ‘केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को स्पष्ट करना चाहिए। जब ​​तक पूर्ण परीक्षण नहीं हो जाता, तब तक इसके इस्तेमाल से बचा जाना चाहिए। भारत इस बीच एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के साथ टीकाकरण की शुरुआत कर सकता है।’ इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श करने वाली गृह मामलों की संसदीय समिति के प्रमुख आनंद शर्मा ने कहा कि सावधानी बरतना बेहद आवश्यक है, क्योंकि किसी भी देश ने अनिवार्य चरण तीन परीक्षणों और डेटा सत्यापन के साथ समझौता नहीं किया है।

उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ समिति के समक्ष दी गई प्रस्तुति के अनुसार, चरण तीन के परीक्षण पूरे नहीं हुए हैं और इसलिए, सुरक्षा तथा प्रभाव के आंकड़ों की समीक्षा नहीं की गई है, जो एक अनिवार्य आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘स्वास्थ्य मंत्रालय को इस मामले में अनिवार्य प्रोटोकॉल और जरूरतों के साथ समझौता करने के लिए अलग-अलग कारण बताना चाहिए, क्योंकि इसमें कोविड-19 के खिलाफ अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले स्वास्थ्य और सुरक्षाकर्मी शामिल हैं जिन्हें सीमित श्रेणी के तहत टीका लगाया जाएगा।’

आनंद शर्मा ने कहा, ‘डीसीजीआई के बयान में स्पष्टता की कमी है और सरकार को टीके की सिद्ध प्रभावशीलता पर किसी भी भ्रम से बचने के लिए वैश्विक प्रभावशीलता परीक्षणों तथा ब्रिटेन में अंतिम परीक्षणों के आंकड़ों को पेश करना चाहिए जिसे ब्रिटेन के एमएचआरए ने दोनों देशों की सरकारों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद आधिकारिक रूप से साझा किया है।’

उन्होंने कहा कि टीके के आगमन और टीकाकरण की शुरुआत की खबर महामारी से पीड़ित देश को ‘वास्तव में आश्वस्त’ करने वाली है। शर्मा ने कहा कि साथ ही यह देश के वैज्ञानिकों, अनुसंधानकर्ताओं और संस्थानों के लिए भी एक सम्मान है, जिन्होंने भारत को दुनिया के सबसे बड़े टीका निर्माता के रूप में स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि एक ऐसे टीके के मामले में सीमित उपयोग की आपात मंजूरी के लिए सिफारिश की खबरों से कुछ चिंताएं उत्पन्न हुई हैं जो अब भी चरण 3 के परीक्षणों से गुजर रहा है और इससे वास्तव में चिंताएं उत्पन्न हुई हैं क्योंकि इसमें स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी मुद्दे जुड़े हैं।

कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी चिंता जताई और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से यह स्पष्ट करने को कहा कि चरण तीन के परीक्षणों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत प्रोटोकॉल क्यों संशोधित किए जा रहे हैं। उन्होंने ट्वीट में लिखा, ‘भारत बायोटेक प्रथम दर्जे का उद्यम है, लेकिन यह हैरान करने वाला है कि चरण 3 के परीक्षण से संबंधित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत प्रोटोकॉल ‘कोवैक्सीन’ के लिए संशोधित किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को स्पष्ट करना चाहिए।’

इस मुद्दे पर पहले गृह मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने गहन विमर्श किया था। समिति ने सरकार से सिफारिश की है कि कोविड -19 के किसी भी टीके को उचित जांच पड़ताल और उसके पर्याप्त परीक्षण के बाद ही आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी जानी चाहिए।

गत 21 दिसंबर को राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में, संसद की स्थायी समिति ने उल्लेख किया था कि सीडीएससीओ ने अतीत में कोई आपात उपयोग की मंजूरी नहीं दी है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया था कि सभी आवश्यक और अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा किया जाना चाहिए तथा सभी परीक्षण के चरण पूरे किए जाने चाहिए।

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