केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ राजस्थान सरकार ने रविवार को ‘किसान बचाओ, देश बचाओ’ अभियान के तहत धरना दिया। कांग्रेस के इस अभियान को सफल बनाने के लिए देशभर में ऐसे ही धरने चल रहे हैं, पर राजस्थान से जो तस्वीर आई, उसने सभी का ध्यान खींचा। पहली वजह ये थी कि दो दिग्गज कांग्रेसी यानी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट 6 महीने बाद एक मंच पर नजर आए। दूसरी वजह ये कि कांग्रेस की एकसाथ दिखने की यह कवायद महज रस्म अदायगी नजर आई।
गहलोत और पायलट करीब डेढ़ घंटे तक अगल-बगल बैठकर धरना देते रहे, पर दोनों में बातचीत तक नहीं हुई। दोनों नेता 12 अगस्त 2020 के बाद एकसाथ नजर आए थे, तब वरिष्ठ कांग्रेसी नेता केसी वेणुगोपाल ने दोनों की मुलाकात करवाई थी।
पायलट पहले पहुंचे, एक घंटे बाद आए गहलोत
जयपुर के शहीद स्मारक पर रविवार को हुए धरने में पहले पायलट पहुंचे। अशोक गहलोत एक घंटे बाद आए थे। नजर टकराई तो अभिवादन हुआ, वो भी महज औपचारिकता निभाने के लिए। पायलट लगातार नजदीक बैठे मंत्री लालचंद कटारिया से बात कर रहे थे, लेकिन गहलोत से फिर कोई बातचीत नहीं हुई।
गहलोत बोले- कांग्रेस यहां है, पायलट ने कहा- बीती बातें भूल जाओ
बातचीत तो नहीं हुई, लेकिन अपने-अपने भाषणों के दौरान गहलोत और पायलट एक-दूसरे का नाम लेना नहीं भूले। राजस्थान के सीएम गहलोत ने कहा, ‘जो लोग पूछते है कि राज्य में कांग्रेस कहां है? वो लोग देख सकते हैं कि यहां है।’ हां, गहलोत तब जरूर उखड़े हुए नजर आए, जब उनके भाषण के दौरान सचिन पायलट जिंदाबाद के नारे लगने लगे। हालांकि, पायलट ने अपनी स्पीच में यह कहकर मामले को ठंडा करने की कोशिश की कि अब हम लोगों को बीती बातें भूल जानी चाहिए।
प्रदेशाध्यक्ष डोटसरा की कोशिश भी नाकाम हुई
मंच पर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटसरा भी थे। उन्होंने कई बार कोशिश की कि पायलट और गहलोत के बीच बातचीत हो जाए, पर ऐसा हो नहीं पाया। दोनों नेताओं के खेमे भी एक-दूसरे से दूरी बरतते हुए नजर आए।
इस धरने में 80 से ज्यादा विधायक, पार्टी के पदाधिकारी मौजूद थे। इनके अलावा पार्षद, पार्षद प्रत्याशी, ब्लॉक अध्यक्ष, वार्ड अध्यक्ष, पीसीसी सदस्य, जिला पदाधिकारी एवं कांग्रेस के सभी संगठनों के अध्यक्ष और कार्यकारिणी समेत कार्यकर्ताओं को भी बुलाया गया था।
पायलट ने बना ली थी दूरी, लौटे तो कहा- सियासत में निजी बैर नहीं होना चाहिए
गहलोत और पायलट में तब दूरियां आ गई थीं, जब पिछले साल जुलाई में हॉर्स ट्रेडिंग के आरोप लगाकर SOG ने तब डिप्टी सीएम रहे सचिन पायलट और कुछ विधायकों को नोटिस भेजे थे। 12 जुलाई 2020 को कैबिनेट की मीटिंग में पायलट और दो विधायक नहीं आए तो अनबन स्पष्ट हो गई। 13 जुलाई को सचिन पायलट ने ट्वीट किया कि गहलोत सरकार अल्पमत में है। 30 विधायक हमारे संपर्क में हैं।
इसके बाद करीब 33 दिन तक राजस्थान की सियासत में नाटकीय मोड़ आए और आखिरकार आलाकमान की कोशिशों के बाद 11 अगस्त को सचिन पायलट और उनके गुट के विधायक जयपुर लौट आए। तब उन्होंने कहा था, “मेरे बारे में ऐसी बातें बोली गईं, जिन्हें सुनकर दुख और आश्चर्य हुआ। इसके बावजूद मैं घूंट पीकर रह गया। मुझे लगता है कि जो कहा गया, उसे भूल जाना चाहिए। राजनीति में निजी बैर की जगह नहीं होनी चाहिए। काम केवल मुद्दों और पॉलिसी के आधार पर होना चाहिए।’
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Source: DainikBhaskar.com