आरसीपी सिंह को जेडीयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है
(फाइल फोटो)
जेडीयू (JDU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने वाले आरसीपी सिंह (RCP Singh) को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का विश्वासपात्र माना जाता है. यही नहीं, सिंह आईएएस की नौकरी छोड़ राजनीति में आए थे.
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आरसीपी सिंह पहले नौकरशाह थे, जो बाद में नेता बने और अब तक वह इस क्षेत्रीय दल के महासचिव (संगठन) थे. वर्ष 1984 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी रहे आरसीपी सिंह, उस समय से नीतीश कुमार के साथ जुड़े हुए हैं, जब वह तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में रेल मंत्री हुआ करते थे. जब नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में लौटे और वर्ष 2005 में मुख्यमंत्री बने तो सिंह भी अपने गृह प्रदेश में आ गए और उन्हें मुख्यमंत्री का प्रधान सचिव नियुक्त किया गया.
नौकरी छोड़, राजनीति में कूदे
सेवानिवृत्त होने से कुछ महीने पहले ही आरसीपी सिंह ने नौकरी छोड़ दी और वर्ष 2010 में राजनीति में सक्रिय हो गए. तब नीतीश कुमार ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया और तब से वह लगातार उच्च सदन के सदस्य हैं. जबकि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में जदयू के भाजपा से कम सीटें जीतने के चलते बिहार में ‘बड़े भाई’ का दर्जा गंवाने के विपरीत समय में 62 वर्षीय आरसीपी सिंह पर पार्टी संगठन को मजबूत करने के साथ ही भगवा दल से समझदारी से निपटने की जिम्मेदारी है.मुस्तफापुर से शुरू हुआ सफर और…
आरसीपी सिंह का जन्म छह जुलाई 1958 को नालंदा जिले के मुस्तफापुर में हुआ था. उन्होंने इसी जिले के हुसैनपुर में शिक्षा प्राप्त की. इसके बाद सिंह ने पटना कॉलेज से इतिहास में स्नातक और परास्नातक जेएनयू से किया. वहीं, आरसीपी सिंह ने 21 मई 1982 को गिरिजा सिंह से विवाह किया और उनकी दो बेटियां हैं. उनकी बेटी लिपि सिंह वर्ष 2016 बैच की आईपीएस अधिकारी है.
आरसीपी सिंह के सामने कड़ी चुनौती
अरुणाचल प्रदेश में जदयू के सात विधायकों में से छह का भाजपा में शामिल होना और पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनाव जदयू के नए अध्यक्ष के समक्ष तात्कालिक चुनौती है.