न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना
Updated Mon, 28 Dec 2020 01:00 PM IST
नरेंद्र मोदी-नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
– फोटो : PTI
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बिहार में हाल के दिनों में सियासी मौसम करवट बदलता हुआ नजर आ रहा है। अरुणाचल प्रदेश में जिस तरह भाजपा ने जदयू के छह विधायकों को अपने पाले में किया है, उससे जदयू नेताओं के बीच हलचल पैदा हो गई है। भाजपा नेता भी अब लगातार नीतीश कुमार को घेरने में लगे हुए हैं। हाल ही में पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता संजय पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से गृह विभाग की जिम्मेदारी छोड़ने की बात कही। वहीं, नीतीश कुमार ने साफ कह दिया है कि उन्हें मुख्यमंत्री बनने की कोई इच्छा नहीं है। दूसरी तरफ, नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को जदयू का अध्यक्ष बनाकर यह साफ कर दिया है कि वह भाजपा नेताओं की जमघट को मुख्यमंत्री निवास में नहीं चाहते हैं। माना जा रहा है कि वह अब भाजपा नेताओं से ज्यादा चर्चा करने के पक्ष में नहीं है।
वहीं, पूर्वोत्तर राज्य में मिले झटके के बाद आज मुख्यमंत्री नीतीश पटना स्थित पार्टी कार्यालय पहुंचे हैं, यहां गौर करने वाली बात यह है कि दो दिन पहले ही पार्टी नेताओं की बैठक हुई थी। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में राज्य का सियासी समीकरण बदल सकता है। जदयू नेता बिहार चुनाव के बाद से ही भाजपा से चिराग पासवान के मुद्दे पर नाराज चल रहे थे, वहीं अब अरुणाचल में हुए घटनाक्रम ने पार्टी नेताओं में रोष पैदा कर दिया है। इसका असर अब देखने को मिलना शुरू भी हो गया है, क्योंकि भाजपा जहां लव जिहाद कानून के लिए राज्य में बिल की मांग कर रही हैं। वहीं, जदयू नेताओं ने इस मुद्दे पर असहमति जताते हुए बिल लाने से इनकार कर दिया है।
सीएम बनने की कोई इच्छा नहीं: नीतीश कुमार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को कहा कि मेरी मुख्यमंत्री बनने की कोई इच्छा नहीं थी। मैंने कहा था कि जनता ने अपना जनादेश दिया है और किसी को भी मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। भाजपा अगर चाहे तो अपना मुख्यमंत्री बना सकती है। माना जा रहा है कि नीतीश का यह बयान भाजपा नेताओं द्वारा उनपर किए जा रहे कटाक्ष को लेकर आया है।
नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को क्यों बनाया जदयू अध्यक्ष?
नीतीश कुमार ने राज्यसभा में संसदीय दल के नेता रामचंद्र प्रसाद सिंह को अपनी जगह जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है। आरसीपी सिंह के नाम से जाने वाले जदयू नेता को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने के कई मायने देखे जा रहे हैं। इसमें पहला तो यह माना जा रहा है कि आरसीपी सिंह नीतीश के स्वाजातीय कुर्मी जाति से हैं। इसके अलावा नीतीश उनपर बहुत भरोसा करते हैं। वहीं, इस बात की भी चर्चा शुरू हो गई है कि नीतीश भाजपा से दूरी बनाना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने आरसीपी सिंह को पार्टी का अध्यक्ष बनाया है। भाजपा को अब किसी भी मुद्दे पर बात करने के लिए पहले आरसीपी सिंह से निपटना होगा।
नीतीश ने भाजपा को याद दिलाई ‘अटल संहिता’
अरुणाचल प्रदेश की घटना से नीतीश कुमार कितने नाराज हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने रविवार को हुई पार्टी बैठक में यह तक कह दिया कि अरुणाचल की घटना ने विपक्ष को घर बैठे सरकार को घेरने का अवसर दिया है। हमें इस मुद्दे पर विचार करना होगा और कार्यकारणी की बैठक गठबंधन धर्म की अटल संहिता के पालन का प्रस्ताव करती है। नीतीश द्वारा ‘अटल संहिता’ का जिक्र करने के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को संदेश देना था कि वे अपने सहयोगियों का दल तोड़कर स्वर्गीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के गठबंधन सिद्धांतों के विरुद्ध काम कर रहे हैं। बैठक में जदयू के सभी नेताओं का मानना था कि अरुणाचल की घटना ने यह सबक दिया है कि भाजपा पर राजानीतिक विश्वास करना घातक साबित हो सकता है।
चिराग पासवान के मुद्दे पर पहले से ही नाराज हैं जदयू नेता
जदयू के नेताओं का मानना है कि बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी का कम सीटों पर सिमटने का असल कारण भाजपा नेताओं का असहयोग और वोट का बंटना रहा। भाजपा लोजपा और इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान से ठीक तरह से नहीं निपट पाई, जिसकी वजह से चुनाव में जदयू का ये हाल हुआ। गौरतलब है कि लोजपा ने चुनाव में जदयू को भारी क्षति पहुंचाई और कई सीटों पर जदयू की हार की वजह लोजपा प्रत्याशी बने। वहीं, भाजपा नेतृत्व भी चिराग के मुद्दे पर चुप्पी साधे रहा। चिराग ने चुनाव के दौरान खुलकर नीतीश कुमार पर हमला बोला। वहीं, इन घटनाक्रमों के चलते जदयू नेताओं को लगने लगा है कि भाजपा सहयोगी बनाकर उन्हें खत्म करने में लगी हुई है।
जदयू लव जिहाद के खिलाफ कानून के पक्ष में नहीं: के सी त्यागी
भाजपा शासित राज्य विवाह के लिए धर्मांतरण के खिलाफ कानून बना रहे हैं, बिहार में उसके सहयोगी दल जदयू ने रविवार को इस बात पर जोर दिया कि ऐसे कानून समाज में घृणा और विभाजन उत्पन्न करेंगे जो उसे मंजूर नहीं है। जदयू नेता के सी त्यागी ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, लव जिहाद के नाम पर समाज में नफरत और विभाजन का माहौल बनाया जा रहा है। लव जिहाद शब्द का इस्तेमाल दक्षिणपंथी कार्यकर्ता मुस्लिमों द्वारा हिंदू लड़कियों को प्यार की आड़ में धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने के कथित अभियान को संदर्भित करने के लिए करते हैं। त्यागी ने कहा, संविधान और सीआरपीसी के प्रावधान दो वयस्कों को अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने की आजादी देते हैं, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या क्षेत्र का हो। उन्होंने कहा कि समाजवादियों ने डॉ. राम मनोहर लोहिया के दिनों से ही वयस्कों के विवाह के अधिकार को बरकरार रखा है, चाहे वह किसी भी जाति और संप्रदाय में हो।
अरुणाचल का असर बिहार में भाजपा-जदयू गठबंधन पर नहीं होगा: सुशील मोदी
वहीं, अरुणाचल प्रदेश में हुए घटनाक्रम को लेकर भाजपा नेता आश्वस्त नजर आ रहे हैं कि इसका असर बिहार में भाजपा-जदयू गठबंधन पर नहीं पड़ने वाला है। सूबे के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा सांसद सुशील मोदी ने कहा, जदयू के लोगों ने कहा है कि अरुणाचल में जो हुआ उसका असर बिहार के गठबंधन पर नहीं होगा, बिहार के अंदर भाजपा-जदयू का गठबंधन अटूट है। पूरे पांच साल नीतीश जी के नेतृत्व में सरकार काम करेगी।
वहीं, जब सुशील मोदी से नीतीश कुमार के सीएम नहीं बनने की इच्छा रखने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, वह मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे। भाजपा और जदयू नेताओं ने उन्हें बताया कि हमने उनके नाम और विजन पर चुनाव लड़ा और कहा कि लोगों ने उन्हें वोट दिया है। अंत में, उन्होंने जदयू, भाजपा और वीआईपी नेताओं के अनुरोध पर सीएम बनना स्वीकार किया।
भाजपा के साथ जदयू के रिश्ते अच्छे: आरसीपी सिंह
जदूय के अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने एक निजी चैनल से बात करते हुए इशारों-इशारों में चिराग पासवान का नाम लिए बिना उनपर निशाना साधा। सिंह ने कहा कि बिहार चुनाव में नीतीश को हराने की पूरी कोशिश की गई। नीतीश कुमार की पीठ में छुरा घोंपा गया। आरसीपी सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार ने हमेशा विपक्ष का सम्मान किया है। नीतीश अच्छा काम कर रहे हैं और ये आगे भी जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि नीतीश ने सबके लिए काम किया है और उन्होंने सबका विकास किया है।
अरुणाचल के घटनाक्रम को लेकर पूछे गए सवाल पर जदयू अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा के पार्टी के साथ अच्छे रिश्ते हैं। भाजपा के साथ मैनेजमेंट भी अच्छा है। बिहार में पीएम मोदी और सीएम नीतीश के नेतृत्व में विकास हो रहा है। उन्होंने कहा कि बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव में अगर हमें गठबंधन करना पड़ा तो भाजपा हमारी पहली पसंद होगी।
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सीएम बनने की कोई इच्छा नहीं: नीतीश कुमार