भूमि अधिग्रहण में देरी से बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर क्या होगा असर? रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने कही ये बात – News18 हिंदी

बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट.

महाराष्ट्र (Maharashtra) में बुलेट ट्रेन (Bullet train) प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहण में देरी होती है. तो रेलवे मुंबई-गुजरात बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को चरणबद्ध (Phased out) तरीके से चलाने के लिए तैयार है.

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  • Last Updated:
    December 26, 2020, 7:49 PM IST
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नई दिल्ली. बुलेट ट्रेन परियोजना केंद्र सरकार की महत्वकाक्षी परियोजनाओं में से एक है. रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने इस परियोजना की गति के बारे में बताते हुए कहा कि, यदि महाराष्ट्र में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहण में देरी होती है. तो रेलवे मुंबई-गुजरात बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को चरणबद्ध तरीके से चलाने के लिए तैयार है. उन्होंने बताया कि गुजरात में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का काम तेजी हो रहा है. जबकि महाराष्ट्र में इसमें कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जिसमें से एक है इस प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण की समस्या है. जिसका किसान संगठन विरोध कर रहे हैं. वहीं रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने इस प्रोजेक्ट को 2024 तक पूरा होने की उम्मीद जताई. 

 अधिग्रहण के बाद आमंत्रित करेंगे टेंडर- रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने बताया कि इस परियोजना के लिए लीनियर प्रोजेक्ट्स के टेंडर तब तक आमंत्रित नहीं किए जा सकते. जब तक जमीन का अधिग्रहण नहीं हो जाता. वहीं उन्होंने बताया कि मंत्रालय इस प्रोजेक्ट को एक साथ शुरू करना चाहता है. लेकिन जरूरत पड़ी तो इस प्रोजेक्ट को चरणबद्ध तरीके से भी शुरू किया जा सकता है.

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चरणबद्ध तरीके से चलेगी ट्रेन- उन्होंने कहा कि रेल मंत्रालय की महाराष्ट्र सरकार के साथ कई दौर की बातचीत हो चुकी है और उन्हें आश्वासन दिया गया है कि 4 महीने में 80 फीसदी भूमि अधिग्रहण पूरा हो जाएगा. अगर ऐसा होता है तो हम टेंडर आमंत्रित कर सकेंगे और दोनों चरणों को एक साथ शुरू किया जाएगा. वहीं उन्होंने कहा कि, यदि महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण में देरी हुई तो पहले चरण में वापी (गुजरात) तक के 325 किमी को स्ट्रेच को शुरू किया जा सकता है.यह भी पढ़ें: SBI के रिटायर कर्मचारी ने क्रैक किया नीट , MBBS करने के लिए सरकारी कालेज में लिया दाखिला

कुल 68 फीसदी हुआ है अधिग्रहण- रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव के अनुसार अभी तक इस परियोजना के लिए कुल 68 फीसदी जमीन का अधिग्रहण हुआ है. जिसमें से महाराष्ट्र में केवल 26 फीसदी जमीन अधिग्रहण की गई है. वहीं उन्होंने बताया कि यह प्रोजेक्ट कुल 508.17 किलोमीटर लंबा है. जिसमें से 155.7 किलोमीटर का हिस्सा महाराष्ट्र और 348.04 किलोमीटर का हिस्सा गुजरात में और 4.3 किलोमीटर का हिस्सा दादरा एवं नगर हवेली में आता है. आपको बता दें इस परियोजना की कुल लागत 1.1 लाख करोड़ रुपये है जिसमें जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी 81 फीसदी फाइनेंस कर रही है.

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