सोनिया गांधी ने शनिवार को कांग्रेस के नाराज नेताओं के साथ करीब 5 घंटे चर्चा की। इस दौरान राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी मौजूद रहे। मीटिंग में पार्टी नेताओं की शिकायतें, आने वाले चुनावों की रणनीति और नए पार्टी अध्यक्ष पर चर्चा हुई। इसमें आम राय बनी कि जल्द ही एक चिंतन शिविर रखा जाएगा। इसमें पार्टी नेता आगे की रणनीति के बारे में चर्चा करेंगे। मीटिंग के दौरान राहुल गांधी ने खुलकर अपनी राय रखी और नाराज नेताओं को मनाने की पूरी कोशिश की।
‘पार्टी को राहुल की लीडरशिप की जरूरत’
कांग्रेस के सीनियर लीडर पवन बंसल के मुताबिक मीटिंग में सभी ने कहा कि पार्टी को राहुल की लीडरशिप की जरूरत है। हमें उनकी परवाह नहीं करनी चाहिए जो एजेंडे से ध्यान भटकाना चाहते हैं।
शनिवार को बैठक में हिस्सा लेने के लिए राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राज्यसभा सदस्य आनंद शर्मा, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और पूर्व केंद्रीय मंत्री अंबिका सोनी 10 जनपथ पहुंचे। पिछले दिनों अहमद पटेल के निधन के बाद एक पूर्व मुख्यमंत्री सोनिया गांधी से मिले थे। उन्होंने अंतरिम अध्यक्ष से पार्टी नेताओं से मुलाकात कर मुद्दे सुलझाने की अपील की थी। इसी वजह से यह बैठक बुलाई गई थी।
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राहुल ने कहा- आप सभी का सम्मान है
बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी भाजपा की तरह नहीं है। यहां हर व्यक्ति का सम्मान है। आपमें से कई मेरे पिता के सहयोगी रहे हैं। मैं सबके योगदान और अनुभव की सराहना और सम्मान करता हूं। हम भाजपा नहीं हैं, जो अपने वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर दे। युवाओं के जोश और वरिष्ठों के अनुभव से ही पार्टी आगे बढ़ेगी। यहां लड़ाई युवा बनाम बुजुर्ग की नहीं है। कोई खुद को उपेक्षित ना समझे। पार्टी में पद नहीं, उसकी मजबूती महत्वपूर्ण है।
पार्टी नेताओं ने कहा- राहुल दोबारा अध्यक्ष बनें
- बैठक में पार्टी नेता चाहते थे कि राहुल गांधी दोबारा अध्यक्ष बनें। इस पर राहुल ने कहा कि यह काम संगठन पर छोड़ देना चाहिए। एक प्रक्रिया के तहत अगला अध्यक्ष चुना जाएगा।
- बैठक के बाद पार्टी नेता पवन बंसल ने बताया कि राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पर किसी को आपत्ति नहीं है।
- इससे पहले शुक्रवार को कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि पार्टी के 99.9% नेता चाहते हैं कि राहुल गांधी ही फिर से अध्यक्ष पद संभालें।
पार्टी के अंदर ही गतिरोध था
एक महीने पहले गुलाम नबी आजाद ने पार्टी के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि फाइव स्टार कल्चर से चुनाव नहीं जीते जा सकते। आज नेताओं के साथ यह दिक्कत है कि अगर उन्हें टिकट मिल जाता है तो वे सबसे पहले फाइव स्टार होटल बुक करते हैं। अगर सड़क खराब है तो वे उस पर नहीं जाएंगे। जब तक इस कल्चर को छोड़ नहीं दिया जाता, तब तक कोई चुनाव नहीं जीता जा सकता। पिछले 72 साल में कांग्रेस सबसे निचले पायदान पर है। कांग्रेस के पास पिछले दो कार्यकाल के दौरान लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद भी नहीं है।
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सोनिया को नेताओं ने चिट्ठी भी लिखी थी
कुछ महीने पहले पार्टी के 23 नेताओं ने इस मसले पर सोनिया गांधी को चिट्ठी भी लिखी थी। इनमें कपिल सिब्बल के साथ गुलाम नबी आजाद भी शामिल थे। चिट्ठी में पार्टी में ऊपर से नीचे तक बदलाव करने की मांग की गई थी।
कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक में चिट्ठी लिखने वाले नेताओं की भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगाए जाने से सिब्बल और आजाद नाराज हो गए थे। बिहार चुनाव में हार के बाद कपिल सिब्बल ने तो यहां तक कह दिया था कि पार्टी ने शायद हर चुनाव में हार को ही नियति मान लिया है। उनके इस बयान को पार्टी की टॉप लीडरशिप यानी सोनिया और राहुल गांधी पर निशाना माना गया था।
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Source: DainikBhaskar.com